पाक की नापाक कारगुजारियां

पाक की नापाक कारगुजारियां
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नई दिल्ली। पाकिस्तान भारत के विरुद्ध विष-वमन करने से बाज नही आ रहा है। कश्मीर घाटी का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के पाकिस्तान के मंसूबों की हवा पुनः निकल गई है। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को लिखे एक पत्र में कश्मीर पर चर्चा की मांग की थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कहा है कि इस मुद्दे को भारत और पाकिस्तान द्वारा द्विपक्षीय रूप से हल किया जाना चाहिए। कुछ राजनयिकों ने कहा कि यह पाकिस्तान द्वारा 'मैच फिक्स' जैसा है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को खत्म हुए एक साल पूरा हुआ है और इसी वजह से पाकिस्तान अपने 'ऑल वेदर फ्रेंड' चीन की मदद से चर्चा करना चाहता था। इस बैठक की निगरानी करने वाले संयुक्त राष्ट्र के राजनयिक के अनुसार, इस बार पाकिस्तान और चीन को इंडोनेशिया का भी समर्थन हासिल था। हालांकि, बाद में वह कश्मीर को द्विपक्षीय तरीके से हल किए जाने पर सहमत हुआ। उन्होंने बताया कि यह एक अनौपचारिक बैठक थी, जो बंद दरवाजों के पीछे आयोजित की गई थी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आज की अनौपचारिक बैठक में तकरीबन सभी देशों ने कहा कि कश्मीर भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है। इस पर परिषद को ध्यान और समय व्यतीत नहीं करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में मुँह की खाने के बाद पाकिस्तान ने इस्लामिक सहयोग संगठन पर कश्मीर मुद्दे पर बैठक बुलाने की मांग की है। परन्तु संगठन द्वारा पाक को कोई भाव न देने के बाद पाक धमकी पर उतर आया है। उसने कहा है कि यदि संगठन बैठक नहीं बुलायेगा तो वह स्वयं बैठक बुला लेगा।

इसके पूर्व पाक के एक मंत्री ने भारत में सेक्युलरिज्म पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि, भारत अब राम नगर में तब्दील हो चुका है। वहां सांप्रदायिकता बढ़ रही है और धर्म निरपेक्षता यानी सेक्युलरिज्म खत्म हो रहा है। साफतौर पर कहूं तो भारत अब सेक्युलर रहा ही नहीं। वहां अल्पसंख्यकों को दिक्कत हो रही है। भारत अब श्रीराम के हिंदुत्व में ढल चुका है। साथ ही पाक मंत्री कश्मीर का तड़का लगाने से भी नहीं चूके। रेल मन्त्री रशीद ने कहा, पाकिस्तान के मुसलमान कश्मीरियों के साथ खड़े हैं। भारत उन्हें यह तय करने का मौका दे कि वे किसके साथ रहना चाहते। यह सुयोग ही है कि जिस दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का भूमि पूजन किया, उसी दिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए हुए एक साल हो रहा है। केंद्र सरकार ने विगत वर्ष 5 अगस्त को ही अनुच्छेद 370 हटाया था। इसके साथ ही कश्मीर का स्पेशल स्टेटस भी खत्म हो गया था।

कैसी विडंबना है कि पाक में हिंदुओं सहित अल्पसंख्यको का जीना मुहाल है, उन पर बर्बर अत्याचार किया जा रहा है उनकी बच्चियों का सरेआम अपहरण कर जबरिया इस्लाम में धर्मान्तरित करने के साथ ही बलात्कार किया जा रहा है । यही नहीं अहमदिया, शिया, बलूचों पर पाश्विक अत्याचार किये जा रहे हैं। नेहरू-लियाकत समझौते को कूड़ेदान में फेंकने वाला पाक धर्म निरपेक्षता की सीख दे रहा है। यदि उसे धर्मनिरपेक्षता से इतना लगाव है तो इस्लामिक रिपब्लिक का चोला उतार कर धर्म निरपेक्ष क्यों नहीं बन जाता है। पाक सरकार को जवाब पाक से ही मिल है। एक राजनीतिक पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि यदि मोदी अयोध्या में राम मंदिर बनवा रहे हैं तो इमरान इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर बनवा दें। इससे पूर्व पाकिस्तान ने एक नया 'राजनीतिक मानचित्र' जारी किया जिसमें उसने पूरे जम्मू-कश्मीर और गुजरात के कुछ हिस्सों को अपना क्षेत्र बताया। उसकी इस कार्रवाई पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया जताई और इसे श्हास्यास्पदश् बताया जिसकी न तो कानूनी वैधता है न ही श्अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता । विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली से बयान जारी कर कहा, हमने पाकिस्तान का एक तथाकथित श्राजनीतिक मानचित्रश् देखा है जिसे प्रधानमंत्री इमरान खान ने जारी किया है। यह राजनीतिक मूर्खता का काम है जिसमें भारत के राज्य गुजरात और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख पर बेतुका दावा किया गया है। पाक की इन नापाक हरकतों के पीछे कौन है, यह कोई रहस्य नहीं है । चीन ने कहा कि भारत ने कश्मीर में एकतरफा फैसले के जरिए यथास्थिति में बदलाव कर अवैध और गैरकानूनी काम किया है। भारत ने विगत वर्ष जब अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी किया था तब भी चीन ने इसी प्रकार आपत्ति जताई थी।

चीन के बयान पर भारत ने आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि चीन को दूसरे देशों के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। चीन को इस पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है।

ज्ञात हो पाकिस्तान की सरकारी समाचार एजेंसी असोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान ने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन से प्रेस कॉन्फ्रेंस में कश्मीर और भारत को लेकर एक सवाल किया था।

एपीपी ने सवाल पूछा, भारत ने कश्मीर की जनसांख्यिकी संरचना बदलने के लिए जो एकतरफा कघ्दम उठाया था, उसे आज एक साल पूरा हो गया। अब भी बेगुनाह कश्मीरियों के खघ्लिाफ अत्याचार जारी है। भारत की यह कोशिश और सीमा पर युद्धविराम के उल्लंघन के अलावा पाकिस्तान के खघ्लिाफ बयानबाजी क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा है। भारत के इस कदम के बाद से ही चीन संयुक्त राष्ट्र चार्टर और शांतिपूर्ण तरीकों से कश्मीर का विवाद सुलझाने की वकालत करता रहा है। अभी चीन का क्या रुख है?

इस सवाल के जवाब में वांग वेनबिन ने कहा, चीन की नजर कश्मीर के हालात पर बनी हुई है। कश्मीर मुद्दे पर हमारा रुख बिल्कुल स्थिर और स्पष्ट है। कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान बीच ऐतिहासिक रूप से विवादित है। यह बात संयुक्त राष्ट्र चार्टर, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और दोनों देशों के द्विपक्षीय समझौतों में भी कही गई है । कश्मीर की यथास्थिति में किसी भी तरह का एकतरफा बदलाव अवैध है। कश्मीर मसले का समाधान संबंधित पक्षों को शांतिपूर्ण संवाद में खोजना चाहिए। भारत और पाकिस्तान दोनों पड़ोसी हैं और इसे बदला नहीं जा सकता। दोनों देशों के बीच अच्छे संबंस दोनों के ही हित में हैं। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के भी हित में है। चीन उम्मीद करता है कि दोनों पक्ष बातचीत के जरिए अपने मतभेदों को सुलझाएंगे और रिश्ते बेहतर करेंगे। यह दोनों देशों और पूरे इलाके की तरक्की, शांति और स्थिरता के हक में है।

चीन के अलावा तुर्की भी पाक को भारत के विरुद्ध उकसा रहा है। बताया जा रहा है कि तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान ने पाकिस्तानी समकक्ष आरिफ अल्वी और प्रधानमंत्री इमरान खान से फोन पर बात करते हुए भरोसा दिलाया था कि उनका देश कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़ा है। यह बात जानते हुए भी भारत को कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है, तुर्की इससे पूर्व भी कई बार पाकिस्तान को इस तरह का आश्वासन दे चुका है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को लेकर तुर्की की ओर से किए गए बयान को तथ्यात्मक रूप से गलत, पक्षपातपूर्ण और गैजरूरी बताया है। भारत का कहना है कि तुर्की भारत के आंतरिक मामलों में तब दखल दे जब उसे यहां की जमीनी हकीकत का पता हो। ध्यान रहे तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने कश्मीर की तुलना फलस्तीन से करने के साथ भारत पर कोरोना संकट के दौरान कश्मीर में अत्याचार करने का आरोप भी लगाया था।

पाक राष्ट्रपति अल्वी ने कहा, तुर्की के राष्ट्रपति ने भरोसा दिया कि उनका देश कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के स्टैंड का समर्थन करेगा क्योंकि भाई-भाई जैसे दोनों देशों के लक्ष्य एक हैं। ईरान को अपने पाले में करने के बाद चीन की पाक व तुर्की से गोलबंदी भारत। के लिए मुश्किलों का सबब तो है ही, पश्चिमी एशिया की शान्ति पर बड़ा खतरा नजर आ रहा है। (मानवेन्द्र नाथ पंकज-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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