आकाश की शान राफेल और सुखोई

आकाश की शान राफेल और सुखोई

नई दिल्ली। इसमें कोई सन्देह नहीं कि जिस धरती की रखवाली आकाश में मंडराते हुए राफेल और सुखोई जैसे लडाकू विमान कर रहे हों, उसकी तरफ बुरी नजर से देखने की जुर्रत कोई नहीं कर सकता। भारत के पास रूस की मदद से भारत निर्मित सुखोई विमान तो पहले से ही थे, अब फ्रांस से राफेल विमानों की खेप भारत आ रही है। ये आलेख जब तक आपको पढ़ने को मिलेगा, तब तक राफेल विमान भारत की धरती पर उतर चुके होंगे। खुशी और गर्व की बात यह है कि राफेल विमानों को भारतीय पायलट ही उड़ाकर ला रहे हैं। आकाश में हम मजबूत हुए हैं लेकिन जैसा हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हम आक्रमण करने के लिए नहीं बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए इस प्रकार की तैयारियां करते हैं। यह हमारे पड़ोसी चीन जैसे देशों के लिए एक संदेश जरूर है कि हमारी जमीन पर कब्जा करने की गलती न करे।

बहुप्रतीक्षित लड़ाकू विमान राफेल की पहली खेप 29 जुलाई को भारत में पहुंच जाएगी। ये विमान फ्रांस से अंबाला आएंगे और यहीं पर आधिकारिक तौर पर इन्हें भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा। बालाकोट हमले के बाद से भारत में इन विमानों की जरूरत महसूस की जा रही थी। भारत और फ्रांस के संयुक्त युद्धाभ्यास गरुण-6 के बाद तत्कालीन वाइस एयर चीफ आरकेएस भदौरिया (वर्तमान एयर चीफ मार्शल) ने दुश्मनों को सुखोई और राफेल की घातक प्रहार क्षमता को लेकर चेताया था।

तब भदौरिया ने कहा था कि सुखोई और राफेल एक बार साथ में ऑपरेट करना शुरू कर दें फिर किसी भी दुश्मन के लिए ये घातक कॉम्बिनेशन होगा। साल 2016 में राफेल जेट के लिए फ्रांस से हुई बातचीत में आरकेएस भदौरिया भारतीय टीम के हेड थे। तब भी उन्होंने सुखोई और राफेल के कॉम्बिनेशन को बेहद घातक करार दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि अगर राफेल विमानों की मौजूदगी रही होती तो हम पाक स्थित आतंकी ठिकानों को और अधिक तबाह कर पाते। मार्च 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कहा था कि राफेल जेट की कमी पूरा देश महसूस कर रहा है। अत्याधुनिक तकनीक से लैस ये लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना की क्षमता को और ज्यादा बढ़ा देंगे। अपनी मारक क्षमता के कारण इसे वायुसेना का ब्रह्मास्त्र भी कहा जा रहा है। फ्रांस से रवाना होने के बाद आज ये विमान संयुक्त अरब अमीरात के अल दफरा एयरपोर्ट पर पहुंचे जहां इन विमानों की लैंडिंग पायलेट्स को आराम देने के लिए की गई । राफेल विमानों ने 27जुलाई को फ्रांस वायुसेना के मेरिनेक एयरबेस से लगातार सात घंटे तक उड़ान भरी थी। फ्रांस से पहली खेप के रूप में भारत आ रहे पांच राफेल लड़ाकू विमान यूएई पहुंच गए हैं। संयुक्त अरब के अल दफरा एयरपोर्ट पर सुरक्षित लैंड किया गया। ये विमान आज सारा दिन अबूधाबी के पास अल दफरा एयरपोर्ट पर ही रहेंगे और 29 जुलाई को ये विमान वहां से उड़ान भरेंगे, फिर दोपहर तक अंबाला पहुंचेंगे। अबूधाबी के पास फ्रांस के एयरबेस तक फ्रांस वायुसेना के मिड एयर रिफ्यूलर राफेल के साथ थे, अब अबूधाबी के बाद भारतीय आईएल 78 रिफ्यूलर राफेल के साथ होंगे। भारतीय वायुसेना के प्लान के तहत एक दिन का हॉल्ट किया गया है। ये प्लान मौसम को ध्यान में रखकर बनाया गया है। भारत ने वायुसेना के लिये 36 राफेल विमान खरीदने के लिये चार साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था।

राफेल के साथ ही रूस में निर्मित सुखोई लड़ाकू विमान इस वक्त भारतीय वायुसेना में सबसे घातक विमान है। ये उड़ान के दौरान ही फ्यूल भर सकता है। इस फाइटर प्लेन में 12 टन तक युद्धक सामग्री लोड की जा सकती है। साथ ही इस विमान में डबल इंजन लगे हुए हैं जो इमरजेंसी की स्थिति में पायलट को मदद करते हैं। सुखोई-30 एमकेआई एक बार में 3,000 किमी की उड़ान भर सकता है। रूस के सहयोग से भारत द्वारा निर्मित सुखोई-30 एमकेआई को दुनिया के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में एक माना जाता है। इस विमान को बनाने के लिए भारत और रूस के बीच 2000 में समझौता हुआ था। भारत को पहला सुखोई-30 विमान 2002 में मिला था। रूस के सहयोग से भारत ने 2015 में स्वेदश निर्मित सुखोई-30 एमकेआई को भारतीय वायुसेना में शामिल करके अपनी ताकत कई गुना बढ़ा ली। वर्तमान में भारत के पास 200 से ज्यादा सुखोई-30 एमकेआई विमान हैं।

लंबाई से लेकर रेंज और मिसाइल ले जाने की क्षमता तक के मामले में सुखोई-30 एमकेआई को अमेरिका के एफ-16 से बेहतर माना जाता है। इसमें सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम लगा है, जो इसे किसी भी मौसम में दिन और रात दोनों वक्त काम करने के काबिल बनाता है। साथ ही इसमें लॉन्ग रेंज रेडियो नेविगेशन सिस्टम है। इसमें ऑटोमेटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम है। ऑटोमेटिक सिस्टम से नेविगेशन सिस्टम को जानकारी मिलते ही यह खुद ही फ्लाइट के रूट से जुड़ी समस्याओं को भी सुलझा लेता है। इसमें टारगेट को नेस्तनाबूद करने के साथ ही वापस अपने एयरफील्ड तक लैंडिंग करना शामिल है।

अब हमारे युद्धक विमानों में शामिल हो रहा राफेल एक फ्रांसीसी कंपनी डैसॉल्ट एविएशन निर्मित दो इंजन वाला मध्यम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) है। राफेल लड़ाकू विमानों को ओमनिरोल विमानों के रूप में रखा गया है, जो कि युद्ध में अहम रोल निभाने में सक्षम हैं। ये बखूबी सारे काम कर सकता है- वायु वर्चस्व, हवाई हमला, जमीनी समर्थन, भारी हमला और परमाणु प्रतिरोध। कुल मिलाकर राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है।

राफेल चौथी पीढ़ी का फाइटर जेट है। ये कई रोल निभाने में सक्षम कॉम्बैट फाइटर जेट है। ग्राउंड सपोर्ट, डेप्थ स्ट्राइक और एंटी शिप अटैक में सक्षम है। इसकी ताकत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ये छोटे न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने में सक्षम हैं। राफेल एयरक्राफ्ट 9500 किलोग्राम भार उठाने में सक्षम है। ये अधिकतम 24500 किलोग्राम वजन के साथ उड़ान भर सकता है। इस फाइटर जेट की अधिकतम रफ्तार 1389 किमी/घंटा है। एक बार में ये जेट 3700 किमी तक का सफर तय कर सकता है। ये हवा से हवा और जमीन दोनों पर हमला करने वाली मिसाइलों से लैस है। चीन के साथ विवाद के मद्देनजर भारत ने इसमें हैमर मिसाइल लगाने का फैसला भी किया है। बहरहाल, अब हमारी धरती की निगहबानी के लिए सुखोई के साथ राफेल राम और लक्ष्मण की तरह है। किसी मारीच और सुबाहु की जुर्रत नहीं कि इधर देख सकें।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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