अखिलेश यादव की एकता बैठक
ईवीएम पर सबसे पहले सवाल बसपा ने 2017 में उठाये थे। इससे पूर्व भी ईवीएम पर सवाल उठे और भाजपा के ही वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी ईवीएम पर सवाल उठा चुके हैं। विशेष चर्चा 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद हुई और मायावती ने कहा कि हमारे दलित वोटर कहते हैं कि हमने बसपा को वोट दिया लेकिन दलित बाहुल्य क्षेत्र में भी भाजपा का प्रत्याशी कैसे जीत गया? इसके बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भी ईवीएम पर सवाल उठाये और अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी तो सबसे आगे निकल गयी। उसके एक नेता ने तो दिल्ली विधानसभा में एक ईवीएम जैसी मशीन का डेमो करके दिखाया कि मामूली परिवर्तन करके ईवीएम मशीन में कोई भी बटन दबाओ लेकिन वोट किसी एक ही पार्टी को जाएगा। यह चुनाव आयोग पर काफी गंभीर आरोप था और चुनाव आयोग ने 2017 के चुनाव में भाग लेने वाले राजनीतिक दलों को चुनौती दी कि वे ईवीएम मशीन पर इस बात को सिद्ध करें। अफसोस की बात यह कि उस समय कोई भी राजनीतिक दल यह साहस नहीं जुटा सका। इसके अलावा चुनाव आयोग ने एक सुधार भी किया और गुजरात व हिमाचल प्रदेश के चुनाव में ईवीएम मशीन के साथ वीवी पैट का इस्तेमाल किया गया। इस पद्धति से वोट करने वाले को एक पर्ची मिलती थी जिससे पता चलता कि उसने किसको वोट दिया।
ईवीएम पर सबसे पहले सवाल बसपा ने 2017 में उठाये थे। इससे पूर्व भी ईवीएम पर सवाल उठे और भाजपा के ही वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी ईवीएम पर सवाल उठा...
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