स्टील का कारोबार हुआ सुस्त

बीते कुछ दिनों से स्टील की कीमतों में तेजी जारी है। वैसे तो यह खबर इंडस्ट्री के लिहाज से बेहतर कही जा सकती है लेकिन कारोबारियों और उद्यमियों का कहना है कि इसके चलते उनकी परेशानी बढ़ी है। उनके मुताबिक मांग पहले से कम थी जो दाम बढ़ने के बाद और घट गई। लोहा बाजार की हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नए साल में केवल दो दिन के कारोबार में ही 1,800 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की जा चुकी है। यह स्टील इंडस्ट्री पर सटोरियों के हावी होने का संकेत है। कारोबार की कुल मात्रा के मुकाबले स्टील की कीमतों में तेजी-मंदी तर्कसंगत नहीं है। बगैर उचित कारण और कम मांग के बीच भाव में लगातार तेजी ने स्टॉकिस्टों के लिए परेशानी पैदा कर दी है। दरअसल लोहा बाजार में लंबे समय से मांग का समर्थन नहीं है। ऐसे में कीमतें निरंतर बढ़ने की वजह से खेरची में स्टॉक बढ़ता जा रहा है। जाहिर है, लोहा कारोबारियों को इस तेजी से फायदा नहीं हो रहा है, बल्कि उनकी परेशानी बढ़ी है। हकीकत यही है कि उत्पादक केंद्रों पर इन दिनों अतिरिक्त मांग जैसी कोई बात नहीं है।
रायपुर के साथ ही मंडी गोविंदगढ़ में भी स्टील कंपनियां माल के भरावे की मुसीबत झेल रही हैं। कारोबारियों के मुताबिक दीपावली के पहले का स्टॉक भी कई कंपनियों के पास पड़ा है। हाल में कोई ताजा ग्राहकी नहीं बन पाई है। ऐसे में आए दिन तेजी पर नियमित ग्राहकी भी प्रभावित हो रही है। सरकारी हस्तक्षेप के बगैर इस उद्योग को राहत की उम्मीद नहीं है। दिसंबर के मध्य से चल आ रही तेजी पर आखिरी हफ्ते में ब्रेक लगने से कुछ उम्मीद बंधी थीं, लेकिन नए साल की शुरुआत में दो दिनों में ही जिस तरह से बाजार में उछाल आया है उससे फिर कारोबार धीमा पड़ने के आसार बनते जा रहे है।रायपुर के साथ ही मंडी गोविंदगढ़ में भी स्टील कंपनियां माल के भरावे की मुसीबत झेल रही हैं। कारोबारियों के मुताबिक दीपावली के पहले का स्टॉक भी कई कंपनियों के पास पड़ा है। हाल में कोई ताजा ग्राहकी नहीं बन पाई है। ऐसे में आए दिन तेजी पर नियमित ग्राहकी भी प्रभावित हो रही है। सरकारी हस्तक्षेप के बगैर इस उद्योग को राहत की उम्मीद नहीं है। दिसंबर के मध्य से चल आ रही तेजी पर आखिरी हफ्ते में ब्रेक लगने से कुछ उम्मीद बंधी थीं, लेकिन नए साल की शुरुआत में दो दिनों में ही जिस तरह से बाजार में उछाल आया है उससे फिर कारोबार धीमा पड़ने के आसार बनते जा रहे है।
छत्तीसगढ़ और पंजाब के स्टील उद्योग से जुड़े कई संगठन इस अनियंत्रित तेजी का लगातार विरोध कर रहे हैं। ये संगठन स्थानीय प्रशासन के समक्ष भी विरोध दर्ज करवा रहे हैं, लेकिन बाजार पर सटोरियों की पकड़ इस कदर मजबूत है कि सारे प्रयास बेअसर रहे। इससे संगठनो को इस क्षेत्र से जुड़े अन्य घटकों के नियमित कारोबार पर नकारात्मक असर की आशंका बढ़ती जा रही है।
इन्हें स्क्रैप और अन्य कारोबारियों के इनसे जुड़ने पर उद्योग को भविष्य में होने वाली चिंता सता रही है। कई बड़ी कंपनियो ने नए साल में भाव बढ़ने की
आशंका के चलते 2 जनवरी तक पूर्व में प्राप्त अग्रिम के बदले भी माल के डीओ (डिलीवरी ऑर्डर) रोक दिए हैं। इसकी वजह से नये सिरे से तेजी की बात कही जाने लगी है।
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