टिकैत बोले- नही मिल रही सरकार, अब होगी आर-पार

टिकैत बोले- नही मिल रही सरकार, अब होगी आर-पार

मुजफ्फरनगर। केन्द्र सरकार द्वारा 5 जून को लागू किये गये अध्यादेशों का देश के किसान विरोध कर रहे हैं। इसको लेकर भारतीय किसान यूनियन 11 दिन का धरना प्रदर्शन कर रही है। आज भारतीय किसान यूनियन राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत, राष्ट्रीय प्रवक्ता के साथ किसान यूनियन के हजारों कार्यकर्ताओं ने गन्ने के उत्पादन में ज्यादा लागत आने के कारण गन्ने का मूल्य बढाने, गन्ना खरीद के उपरांत 14 दिन के अंदर भुगतान न करने पर ब्याज सहित भुगतान अविलम्ब कराया जाये। निजी नलकूप के संयोजन नियमितीकरण हेतु पुनः 3 माह का समय दिया जाए। संशोधन हेतु समय सीमा तय करते हुए पात्र किसानों को लोन दिया जाए इसके अतिरिक्त कई समस्यों को लेकर धरना प्रदर्शन किया है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार ने आम जनता लूट लिया है बिजली का बिल बढा दिया है शुगरमिल वालों ने लूट लिया है। राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा अब आर पार की होगी लड़ाई सरकार को ढूंढ रहे है। पर सरकार नही मिल पा रही है।

नरेश टिकैत ने कहा किसान विरोधी नीति क्या है उसके खिलाफ धरना प्रदर्शन 11 दिन तक धरना था यह किसानों की समस्या है किसानों की समस्या जो कि तू है किसान क्या करें धरना प्रदर्शन प्रदर्शन पंचायत के खिलाफ इसके अलग इन किसानों का है क्या सरकार क्यों नहीं सुन रही इनके बाद इस क्षेत्र में गन्ने का पेमेंट गन्ने का रेट बिजली की समस्या है बिजली के बिल बता दिए तो क्या करें किसान बात तो बहुत है भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है यह तो 1 किसानों को पंचायत रखने के तथा इमाम कोई बात नहीं हुई सफल बात नहीं हुई इसलिए विफल रहे कमेटी तय करेगी कब तक धरना प्रदर्शन चलेगा।

राकेश टिकैत ने कहा देखो मुद्दा यह है गन्ने का भुगतान नहीं हो रहा करीब 8000 करोड रुपया आज भी किसानों का बकाया है धान 800 कुंटल में बिक रहा है क्या किसान जिंदा रह सकता है बिजली ने पूर्ण रूप से लूट लिया यह जो आप भीड़ देख रहे हैं समस्याओं की भीड़ है यह आंदोलन की भीड़ है और जब भी देश में वैचारिक क्रांति हुई है उसमें परिवर्तन कराया है दुखी लोगे यह आए हैं दुखी हैं अपनी बात सरकार को कहने आए हैं हमारी बात सरकार तक जाए उसका समाधान हो यह हमारी सरकार से डिमांड है बिल कानून में सरकार संशोधन करे प्रवर्तक परिवर्तन करें यह हमारा हमारी मांगे अभी तो धरना चलेगा पंचायत निर्णय लेगी उसके बाद निर्णय लिया जाएगा नंबर एक पर चल रहा धरना एमएससी बताएंगे पता नहीं किस टाइम आएंगे कब आएंगे 20 अक्टूबर तक गन्ना भुगतान देने का वादा किया था सरकार ने शुगर मिल चलने से पहले लेकिन शुगर मिल गई भुगतान अब तक नहीं यह मेल वाले मुख्यमंत्री से अपना मान रहे हैं आज निर्णय लिया जाएगा जो कुछ होगा।

केन्द्र सरकार द्वारा 5 जून को लागू किये गये अध्यादेशों का देश के किसान विरोध कर रहे हैं। वहीं केन्द्र सरकार द्वारा इन अध्यादेशों को एक देश एक बाजार के रूप में कृषि सुधार की दशा में एक बड़ा कदम बता रही है। यह अध्यादेश अब कानून की शक्ल ले चुके हैं। वहीं भारतीय किसान यूनियन इन अध्यादेशों को कृषि क्षेत्र में कम्पनी राज के रूप में देख रही है। कुछ राज्य सरकारों द्वारा भी इसको सघीय ढांचे का उल्लंघन मानते हुए इन्हें वापिस लिये जाने की मांग कर रही है। देश के अनेक हिस्सों में इसके विरोध में किसान आवाज उठा रहे हैं। किसानों को इन कानून से कम्पनी की बंधुआ बनाये जाने का खतरा सता रहा है। कृषि में कानून नियंत्रण मुक्त, विपणन, भंडारण, आयात-निर्यात किसान हित में नहीं है। इसका खामियाजा देश के किसान विश्व व्यापार संगठन के रूप में भी भुगत रहे हैं। समर्थन मूल्य कानून बनाने जैसे कृषि सुधारों से किसान का बिचैलियों और कम्पनियों द्वारा किया जा रहा अति शोषण बन्द हो सकता है और इस कदम से किसानों के आय में वृद्धि होगी। भारतीय किसान यूनियन आज दिनांक 7 नवम्बर 2020 को उत्तर प्रदेश के जिला मुख्यालय मुजफ्फरनगर पर किसान महापंचायत/विरोध प्रदर्शन के माध्यम से निम्न मांग करती है।

1. पिछले दो वर्षों से गन्ना मूल्य न बढ़ने के कारण उत्पादन लागत वृद्धि हुई है। जिसके चलते गन्ना किसानों को घाटा हो रहा है। आगामी सत्र में गन्ने का मूल्य 450 रुपये प्रति कुन्तल किया जाए। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का बकाया भुगतान व्याज सहित अविलम्ब कराया जाए।

2. उत्तर प्रदेश गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) अधिनियम 1953 की धारा 17(3) तथा शुगर केन कट्रोल आर्डर 1996 की क्लाज 3(3-4) के प्रावधान के अनुसार गन्ना खरीद के उपरांत 14 दिन के अन्दर गन्ने के भुगतान न करने पर लम्बित अवधि के ब्याज सहित गन्ना किसानों का बकाया गन्ना भुगतान अविलम्ब कराया जाए। प्रत्येक गन्ना किसान की लेखा-जोखा हेतु गन्ना पासबुक जारी किए जाएं। गन्ना खरीद नीति में कोई बदलाव न किया जाए।

3. यूपी गन्ना (आपूर्ति और खरीद का विनियमन) अधिनियम, 1953 की धारा 17(3) के संदर्भ में ब्याज माफ करने गन्ना आयुक्त में निहित है। इस धारा को समाप्त किया जाए।

4. किसानों के सामान्य योजना के स्वीकृत नलकूप कनैक्शन का सागान दिये जाने हेतु अविलम्ब लक्ष्य जारी किया जाए। डार्क जोन में अनियमित रूप से चलाये जा रहे निजी नलकूप के संयोजन नियमितीकरण हेतु पुनः 3 माह का समय दिया जाए। सामान्य योजना में निजी नलकूप कनेक्शन जारी किए जाए।

5. प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में निजी नलकूप एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बिजली बिलों में भारी वृद्धि हुई है। जिसे कम किया जाना आवश्यक है। किसानों के बिजली बिल की दर कम की जाएं।

6. किसान सम्मान निधि का लाभ प्रदेश के सभी किसानों को नहीं मिल रहा है। कार्यालयों के कई चक्कर लगाने के बावजूद भी किसानों को किस्त जारी नहीं की जा रही है। संशोधन हेतु समय सीमा तय करते हुए पात्र किसानों को लोन दिया जाए व राज्य सरकार द्वारा भी इसमें अंशदान देते हुए इसे 12 हजार रुपये सालाना किया जाए।

7. पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम घर फसलों की खरीद को अपराध घोषित किया जाए।

8. प्रदेश में चालान के नाम पर पुलिस द्वारा कोविड-19 से लेकर आज तक उत्पीड़न जारी है। पुलिस द्वारा अभद्रता व मारपीट आम हो चुकी है। इस उत्पीड़न से नागरिकों को राहत दिलायी जाए। थाने में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जाए।

9. उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण डेडिकेटिड फ्रन्ट कोरिडार के अन्तर्गत बडे पैमाने पर भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। सभी जगह किसानों को भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा एवं अधिकार, सुधार तथा पुनर्वास 2013 में संशोधन का लाभ नहीं दिया जा रहा है। दोनों विभागों द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का उल्लंघन किया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की अनुसूची 2 व 3 का लाभ दिया जाए।

10. भूमि अधिग्रहण अवार्ड में कानून के विरुद्ध बिना फसल का मुआवजा दिये मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, निर्जापुर, सहारनपुर, शामली में किसानों का तैयार फसलों को नष्ट कर दी गयी है। ऐसा करने वाली जिम्मेदार व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए एवं किसानों को नष्ट की गयी फसलों का मुआवजा दिलाया जाए।

11. जगली जानवरों व अन्ना प्रथा से किसानों को राहत दी जाए। गौशालाओं का संचालन सुचारू किया जाए।

12. सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार किसानों को पराली एवं गन्ना पत्ती के निस्तारण हेतु 3000 रुपये एकड़ दिया जाए और कम्बाईन्ड से एसएमएस (स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम) लगाये जाने की बाध्यता को समाप्त किया जाए। पराली के नाम पर किसानों को जेल न भेजा जाये। जेलों में बन्द किसानों को तुरंत रिहा किया जाए।

13. उत्तर प्रदेश में किसान के दौरान दर्ज फर्जी मुकदमों को वापिस लिया जाए। आशा है कि समस्याओं का जल्द से जल्द निस्तारण किया जायेगा।

रिपोर्ट- फिरोज अली खोजी/ नसीम सैफी

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