अभिभावक- प्रशासन हो अलर्ट तो बदल सकती है भीख मांगने वाले बच्चों की किस्मत

अभिभावक- प्रशासन हो अलर्ट तो बदल सकती है भीख मांगने वाले बच्चों की किस्मत

मुजफ्फरनगर। अभिभावक और प्रशासन दोनों ही यदि गंभीर हो जायें, तो भीख मांगने वाले बच्चों की किस्मत पलट सकती है। अक्सर सड़कों पर छोटे-छोटे बच्चे भीख मांगते हुए नजर आते हैं। बच्चों से भीख मंगवाना अपराध है। अभिभावकों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए बच्चों को विद्यालय भेजना चाहिए, जिससे कि उनका भविष्य उज्ज्वल बन सके। अगर कोई बच्चा गरीब है, तो प्रशासन को सरकारी योजनाओं से लाभान्वित कराते हुए उसकी शिक्षा की व्यवस्था करानी चाहिए। वहीं यदि, बच्चों से अगर कोई भीख मंगवा रहा है तो प्रशासन को ऐसे लोगों की जांच पड़ताल कर उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। भीख मांगने वाले बच्चों का भी सपना होता है कि वे अच्छी शिक्षा ग्रहण कर कामयाब इंसान बन सके, इसलिए इस दिशा में पुलिस और प्रशासन के साथ-साथ समाजसेवी संगठनों को भी पहल करनी चाहिए।

अक्सर चौराहों, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, सार्वजनिक स्थानों पर छोटे-छोटे बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग भीख मांगते हुए नजर आते हैं। आम नागरिक हों या फिर खास, अगर उनसे हो सकता है, तो वे बच्चों को भीख तो दे देते हैं, लेकिन कोई भी इतना सोचने का कष्ट नहीं करता कि आखिर उक्त बच्चे भीख क्यों मांग रहे है?

ऐसा भी देखा जाता है कि यदि किसी महिला से उसके भीख मांगने का कारण पूछा जाये, तो वह भड़क उठती है। किसी हट्टे-कट्टे इंसान से इस बाबत पूछा जाये और उसे कुछ काम करने की नसीहत दी जाये, तो वह भी उल्टी-सीधी बातें करना शुरू कर देता है। वहीं यदि बच्चों से उनके भीख मांगने का कारण पूछा जाये, तो वे या तो कोई जवाब नहीं देते या फिर उनकी आंखों से आंसू आ जाते हैं। इससे साफ पता चलता है कि वे अपनी मर्जी से भीख नहीं मांग रहे, या तो उनकी मजबूरी है या फिर उन पर किसी तरह का कोई दबाव है।

जनपद मुजफ्फरनगर में रेलवे स्टेशन, मीनाक्षी चौक, महावीर चौक, टाऊन हाल, शिव चौक और अन्य स्थलों पर भिखारी भीख मांगते हुए देखे जा सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति होटल पर खाना खा रहा है, तो भिखारी जैसे ही व्यक्ति होटल से बाहर आता है, तो उससे भीख मांगने लगते हैं। छोटे-छोटे बच्चे तो लोगों के पीछे ही पड़ जाते हैं और नागरिकों को मजबूर कर देते हैं कि वे उन्हें भीख दें। बच्चों को यदि कुछ लोग हड़का भी दें, तो भी वे उनका पीछा नहीं छोड़ते और रुपये लेकर ही मानते हैं।


बच्चों से भीख मंगवाना बहुत बड़ा अपराध है। छोटे-छोटे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करना मानवता के भी खिलाफ है। इस संबंध में सख्त कानून बनाये गये हैं, लेकिन उनका पालन नहीं हो पा रहा है। सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई है। इसके साथ-साथ विद्यालय में मिड-डे मील के तहत खाना भी दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, बच्चों को सरकार द्वारा छात्रवृत्ति भी दी जाती है।

बावजूद इसके बच्चे भीख मांगने पर मजबूर हैं। यह बहुत ही चिंतनीय प्रश्न है। सबसे पहले तो उन कारणों को ढूंढना होगा कि भीख मांगने वाले बच्चे आखिर शिक्षा के मंदिरों की ओर क्यों नहीं जा पा रहे हैं। क्या उन पर किसी का दबाव है या फिर उनके अभिभावक बदतर आर्थिक स्थिति के चलते बच्चों से भीख मंगवाने को मजबूर हैं।

अगर बात बदतर आर्थिक स्थिति की है, तो ऐसी हालत में उन अभिभावकों को अपनी सोच को थोड़ा परिवर्तित करना होगा और हर हाल में बच्चों को शिक्षा के मंदिरों की ओर भेजना होगा। बच्चों के बचपन को उनसे छीनने का किसी को भी कोई अधिकार नहीं है।

वहीं दूसरी ओर कुछ बच्चे भीख मांगकर जो रुपये एकत्रित करते हैं, उसका उपयोग नशा करने में करते हैं। ऐसे में वे गलत संगत में पड़ जाते हैं और फिर उस रास्ते को अख्तियार कर लेते हैं, जहां अंधेरे के सिवा और कुछ भी नहीं होता है।

इस मामले में पुलिस-प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है। इन बच्चों के बारे में यदि सही तरीके से जानकारी हासिल की जाये और भीख मांगने वाले बच्चों के अभिभावकों को जागरूक किया जाये, तो काफी हद तक समस्या का समाधान हो सकता है।

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