विश्व ह्रदय दिवस: 5 मूल मन्त्रों से रखें दिल का ख्याल - डॉ. राजवंशी

विश्व ह्रदय दिवस: 5 मूल मन्त्रों से रखें दिल का ख्याल - डॉ.  राजवंशी

मुज़फ्फरनगर। डॉ. सत्यम राजवंशी (डी. एम्. कार्डियोलॉजी) ह्रदय रोग विशेषज्ञ है। मुज़फ्फरनगर के नयी मंडी में राजवंश हॉस्पिटल चलने वाले ने डॉ. सत्यम राजवंशी ने विश्व ह्रदय दिवस पर 5 मूल मन्त्रों से अपने दिल का ख्याल रखने के बारे में जानकारी दी है।

ह्रदय रोग हर साल पूरे विश्व में २० लाख लोगों की जानें लेता है। भारतवर्ष में हर 15 सेकंड में एक हार्ट अटैक और हर 30 सेकंड में दिल की बीमारी से एक मृत्यु हो जाती है। आधुनिक जीवनशैली में ह्रदय रोग एक प्रकोप की तरह पूरी दुनिया में गंभीर समस्या बन चुका है।

क्यों मनाया गया विश्व ह्रदय दिवस?

विश्व हार्ट फ़ाउंडेशन हर साल 29 सितंबर को हृदय दिवस का आयोजन करता है। इस आयोजन की पहल 1999 में विश्व हृदय संघ (WHF) के निदेशक आंटोनी बेस दे लुना ने डब्ल्यूएचओ (WHO) के साथ मिल कर की थी। इसकी स्थापना लोगो को ह्रदय रोग की जानकारी देने के लिए की गयी थी - किस प्रकार एक स्वस्थ हृदय के लिए वातावरण बन सकता है और कैसे स्वस्थ जीवन शैली अपना कर हृदय से संबंधित रोगों पर रोक लगाई जा सकती है।

इस साल, वर्ल्ड हार्ट डे की थीम "यूज़ हार्ट तो बीट हार्ट डिसीज़" है। पूरे विश्व को अपने दिल से दृढ़ निश्चय करके दिल की बिमारियों को हराने का आह्वान है।

क्या हैं दिल की जानलेवा बीमारियां?

सबसे मुख्य ह्रदय रोग "दिल का दौरा या हार्ट अटैक" है जो वयस्कों में मृत्यु का सबसे व्यापक कारण है। इसके अलावा "हार्ट फेलियर या दिल का फैलना", "कार्डियक अरेस्ट या एकाएक दिल का रुकना", "दिल की वाल्व की बीमारी", "दिल की धड़कन की अनियमितता", "दिल के पैदाइशी रोग - दिल में छेद", "ब्रेन स्ट्रोक या दिमाग का दौरा" आदि भी गंभीर ह्रदय रोग हैं।

क्यों आता है हार्ट अटैक?

हमारा दिल एक दिन में करीब 1 लाख बार धड़कता है और पूरे शरीर में रक्त का संचार करता है। दिल की मासपेशी को इतना काम करते रहने के लिए निरंतर सुचारु रूप से खून की सप्लाई चाहिए। दिल की धमनियों (कोरोनरी आर्टरी) में अचानक खून गाढ़ा होकर जमने से मासपेशी को खून का प्रवाह रुक जाता है जिससे हार्ट अटैक पड़ जाता है और दिल के एकाएक रुकने से मृत्यु भी हो सकती है।

युवाओं का दिल भी दे रहा धोखा

भारत में दुर्भाग्यवश 30 से 40 वर्ष की छोटी आयु में जानलेवा दिल की बिमारियों की वृद्धि हुई है। पश्चिमी देशो के मुक़ाबले भारतीयों को 10 से 15 वर्ष कम उम्र में दिल की बीमारी घेर रही है। आधुनिक जीवनशैली, धूम्रपान व तम्बाकू शराब आदि का नशा, व्यायाम का अभाव, बढ़ता मोटापा, बढ़ते मोटापे , शुगर , ब्लड प्रेशर , कोलेस्ट्रॉल का कॉम्बिनेशन, दिमागी तनाव, खाने में अत्यधिक वसा, नमक, मीठा तथा ताज़े फल और सब्ज़ियों का अभाव इस प्रकोप को बढ़ावा देने वाले मुख्या कारण हैं। इसके अलावा भारतियों में मोटापे का पेट के आस पास केंद्रित होना और "लाईपोप्रोटीन-ऐ" कोलेस्ट्रॉल का बढे होना भी हार्ट अटैक का मुख्य कारण है।

इन लक्षणों को न करें नज़रअंदाज़, हो सकता है हार्ट अटैक

छाती में दर्द, भारीपन, जलन, या खिंचाव दिल के दौरे का सबसे प्रमुख लक्षण है। इसके अलावा अत्यधिक सांस फूलना, थकान रहना, ठन्डे पसीने आना, धुकधुकी या धड़कन का कम या ज़्यादा होना, एकाएक बेहोशी आना, अचानक हाथ या पैर का सुन्न पड़ना या कमज़ोरी आना, अचानक मुँह और होठों का तिरछा होना और ज़बान न उठना, हाथों पैरों पर सूजन आना भी दिल और नसों में खून के प्रवाह कम होने के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में बिना देर करे अपने चिकित्सक या ह्रदय रोग विशेषज्ञ से अवश्य मिलें।


ये 5 मूल मंत्र रखेंगे आपके दिल का ख़याल और बनाएंगे ह्रदय का सुरक्षा कवच जीवनशैली में इन 5 मूल मन्त्रों का कवच हमारे दिल को निरोगी रख सकता है

1. प्रतिदिन 45 मिनट का व्यायाम और योग साधना - हर रोज़ कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें और 15 मिनट प्राणायाम और सूर्य नमश्कार की क्रिया करें। अपने वज़न को हर हफ्ते एक बार नोट करें और उससे बढ़ने न दें। अत्यधिक वज़न कम करना पूरे शरीर के हर भाग के लिए फायदेमंद है।

2. संतुलित आहार - अत्यधिक नमक, मीठा, वासा युक्त भोजन, डब्बा बंद भोजन, फ़ास्ट फ़ूड, मांसाहारी भोजन की आदत को छोड़ें. इसके विकल्प में ज़्यादा से ज़्यादा ताज़े फल, सब्ज़ी, और बादाम व अखरोट का सेवन करें। गेंहू में चने का आटा मिला कर मिस्सी रोटी खाएं। खाना पकाने के लिए न्यूनतम मात्रा में सरसों के तेल का प्रयोग करें।

3. धूम्रपान, तम्बाकू, शराब, और नशा हो बंद - धूम्रपान और अन्य सभी तंबाकू युक्त चीज़ों का सेवन कम उम्र में पड़ने वाले 70 प्रतिशत हार्ट अटैक के लिए ज़िम्मेदार है। शराब पीने से और अन्य नशीले पदार्थों से दिल की बीमारियां और हार्ट अटैक बढ़ते हैं।इनका प्रयोग बंद करें।

4. दिमागी तनाव से छुटकारा - जीवन में अत्यधिक भाग दौड़ और प्रतिस्पर्धा से बचें। अपनी ज़रूरतों को कम करके संतोष रखें तथा अपने जीवन साथी, परिवारजन, और मित्रों के साथ समय बिताएं।

5. स्वास्थ की नियमित जांच - 30 साल की उम्र के बाद चिकित्सकी सलाह के अनुसार नियमित रूप से स्वास्थ की जांच कराएं। अपने ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, और वज़न को बढ़ने न दें।

इन 5 मन्त्रों को अपने जीवन में धारण करने से हम एक निरोगी जीवन का आनंद ले सकते हैं।

रहे स्वस्थ व सुरक्षित

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