हाय री बालक की बेबसी- मां का इलाज कराना है- कितने में बिकेगी मेरी किडनी

हाय री बालक की बेबसी- मां का इलाज कराना है- कितने में बिकेगी मेरी किडनी

नई दिल्ली। पूरी दुनिया में आने वाले रविवार को पब्लिक द्वारा मदर्स डे मनाया जाएगा। कुछ हकीकत और कुछ दिखावे के लिए बेटे बेटियों द्वारा मां पर बारंबार खुशियां न्योछावर की जाएगी। मदर्स डे पर होने वाले स्वागत से अभिभूत हुई माताएं भी अपने बच्चों के लिए सलामती के आंचल फैलाकर ईश्वर से दुआएं मांगेंगी। मगर मदर्स डे से 4 दिन पहले मां के इलाज के लिये बेबसी के आंसू रोने वाले मासूम बेटे की जिसने भी तड़प सुनी उसकी आंखों से झरझर आंसू बहने लगे। मां के इलाज के लिए पैसे नहीं जुटा पाया बालक अस्पताल दर अस्पताल घूमकर अपनी किडनी बेचने के लिए खरीदार ढूंढने लगा।

दरअसल झारखंड के रांची में रहने वाले दीपांशु के सिर से बचपन में ही पिता का साया उठ गया था। होश संभालने पर घर का खर्च उठाने के लिए वह होटल में काम करने लगा। घर की गुजर-बसर पता नहीं कैसे हो रही थी कि इसी बीच उसकी मां का पैर टूट गया। चिकित्सकों के पास बालक अपनी मां को लेकर गया जिन्होंने उसके इलाज में भारी खर्च होना बताया। दीपांशु की हैसियत इतनी नहीं थी कि वह मां के टूटे पैर को ठीक करा सके। घर के अंदर दर्द के मारे रोने वाली मां की जब दीपांशु से तकलीफ नहीं देखी गई तो उसने किडनी बेचकर पैसे जुटाने का इरादा बनाया। मजबूत इरादों के साथ दीपांशु अस्पताल दर अस्पताल घूमकर ऐसे किसी खरीदार को ढूंढने लगा जो उसकी किडनी को खरीदकर मां के इलाज के लिए उसे पैसे दे सके। काफी जद्दोजहद के बाद भी जब इलाज के लिए पैसे नहीं जुटा पाया तो वह अपनी किडनी बेचने रांची के एक निजी अस्पताल में पहुंच गया। जहां दीपांशु की मुलाकात धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों से हो गई। चिकित्सकों ने उसकी पीड़ा जानी तो बालक की बेबसी को देखकर वह भी अपनी आंखों से आंसू निकलने से नही रोक सके।

अस्पताल के चिकित्सकों ने दीपांशु को उसकी मां को स्वस्थ कर देने का भरोसा दिया और उससे अपनी मां को रांची लाने को कहा। रिम्स के न्यूरो सर्जरी के सीनियर रेजिडेंट डॉ विकास एवं उनके सहयोगियों ने दीपांशु की मां का रिम्स में होने वाले इलाज का सारा खर्च उठाने का आश्वासन दिया है। दीपांशु ने बताया कि उसकी मां का पैर टूट गया है और इलाज कराने के लिए उसके पास पैसे नहीं है। अब दीपांशु को मां के मुफ्त इलाज का भरोसा देने वाले रिम्स के चिकित्सकों की चौतरफा प्रशंसा हो रही है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में जगह-जगह खुले प्राइवेट हॉस्पिटल मरीजों से धन उगाही का अड्डा बन रहे हैं। जहां इलाज कराना एक सामान्य व्यक्ति के लिए असंभव सी बात हो रही है क्योंकि निजी अस्पतालों पर दवाओं से लेकर जांच में कमीशन खाने के आरोप लगाए जाते रहते हैं।

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