बॉर्डर पर बसा गांव- जहां कार्ड पर 3 दिन में मिलता है 15 लीटर पानी

बॉर्डर पर बसा गांव- जहां कार्ड पर 3 दिन में मिलता है 15 लीटर पानी
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मिर्जापुर। पानी की बचत के लिए सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से अनेक जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। इस तरह के जागरूकता कार्यक्रमों को भागीदारी के बावजूद लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं, जिसके चलते सरकारी टोटियों को खुला ही छोड़ दिया जाता है। पानी की किल्लत क्या होती है इस बात को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर बसे मिर्जापुर के लहुरियादह के लोग भली-भांति जानते हैं। क्योंकि उन्हें कार्ड पर पानी लेना पड़ता है और वह भी 3 दिनों में केवल 15 लीटर।

वातावरण में पड रही चिलचिलाती गर्मी से उत्तर प्रदेश के अनेक स्थानों पर भूमिगत पेयजल का स्तर नीचे चला गया है जिसके चलते अनेक स्थानों पर लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही है। इसके बावजूद भी लोग पानी बचाने के प्रति गंभीर नहीं है और समरसेबल जैसे इलेक्ट्रिक यंत्रों के जरिए धरती की ओर से पानी खींचकर अधिकांश लोग व्यर्थ ही बहा रहे हैं।

पानी की अहमियत क्या होती है इस बात को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर बसे मिर्जापुर के गांव लहुरियादह के लोगों से ज्यादा कोई नहीं जान सकता, क्योंकि इस गांव के लोगों को पानी की किल्लत विरासत में मिली है। जिस तरह से हम कोटेदार से राशन कार्ड पर राशन लेकर आते हैं उसी तरह इस गांव में कार्ड दिखाकर पानी प्राप्त होता है। वह भी 3 दिनों में केवल 15 लीटर। अगर इससे ज्यादा किसी को पानी की आवश्यकता है तो उसे गांव से दूर एक झरने तक जाना होगा और वहां से पानी को भरकर अपने सिर पर लादते हुए घर तक लाना होगा।

पानी की ऐसी किल्लत देखकर लोग अपनी बेटियों की शादी इस गांव के लड़कों से करने में पूरी तरह से कतराते हैं। इसलिए इस गांव के ज्यादातर घरों में लड़के कुंवारे ही दिखाई देते हैं।

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