CM ने कतरे भाजपा नेताओं के पंख-अफसरों पर धौंस का जमाना हुआ खत्म

CM ने कतरे भाजपा नेताओं के पंख-अफसरों पर धौंस का जमाना हुआ खत्म

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पटरी से उतर चुके सिस्टम को छह साल से दोबारा से ट्रैक पर लाने में लगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकारी कामकाज की रीति और नीति में लगातार बदलाव करने में लगे हुए हैं। जीरों टालरेेंस की नीति पर चल रहे सीएम के निर्देशों के चलते अब उत्तर प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं एवं नेताओं की सरकारी दफ्तरों के भीतर अफसरों एवं बाबू के ऊपर धौंस नहीं चल सकेगी। दफ्तर के बाबू से लेकर कलेक्टर तक कोई भी भाजपा नेता या कार्यकर्ता डिलिंग यानि संपर्क नहीं करेगा।

अफसरों की ओर से मिल रही शिकायतों से नाराज मुख्यमंत्री की ओर से की गई नई व्यवस्था के तहत अब हर जिले में एक कोर ग्रुप बनाया जाएगा। इस कोर ग्रुप के मुखिया जिले के प्रभारी मंत्री होंगे। ग्रुप में पार्टी के सांसद, विधायक और जिला अध्यक्ष को शामिल किया जाएगा। पार्टी कार्यकर्ता इस ग्रुप को अपनी शिकायत देंगे और समस्या बताएंगे।

दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पार्ट-2 सरकार की प्राथमिकता सूबे से भ्रष्टाचार खत्म करना है। पहली सरकार के दौरान सीएम ने संगठित अपराधियों को दुरुस्त किया था जिसका काम अभी तक भी पूरी शिददत के साथ चल रहा है। इस बार पार्ट-2 सरकार में सिस्टम से करप्शन को हटाने का बीड़ा मुख्यमंत्री ने उठाया है। लिहाजा, अफसरों की नकेल कसी जा रही है। भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों के विकेट धड़ाधड़ गिराये जा रहे हैं। ऐसे में सीएम अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की दखल और किसी तरह का भ्रष्टाचार पसन्द नहीं करेंगे।

दरअसल, ढीला कुर्ता पहने भाजपा नेता अपना काम लेकर अफसरों के पास जाते हैं। इसकी आड़ में भ्रष्ट कर्मचारी और अधिकारी उनके माध्यम से अपना उल्लू भी सीधा करते हैं। लिहाजा, योगी आदित्यनाथ ने इस व्यवस्था में बदलाव कर दिया है। जिससे किसी अफसर या कर्मचारी को कोई बहाना नहीं मिले। मुख्यमंत्री की नई व्यवस्था में सरकार, जिलों के जनप्रतिनिधियों और पार्टी के जिलाध्यक्ष को शामिल किया गया है। पार्टी के किसी भी नेता या कार्यकर्ता का कोई काम, शिकायत या परेशानी है तो कोर ग्रुप के सदस्यों को बताएंगे।

कोर ग्रुप इन कामों पर विचार करेगा और उपयुक्त होने पर पुलिस-प्रशासन को बताएगा। इस व्यवस्था में सरकार, जनप्रतिनिधि और संगठन को शामिल किया गया है। जिससे निगरानी और संतुलन बना रहेगा। अगर कोर ग्रुप का कोई सदस्य ही अव्यवस्था फैलाएगा तो बाकी सदस्यों की नजर में आ जाएगा।

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