बिछड़ी- पहुंच गई पाकिस्तान- मूक-बधिर युवती को अब मिला परिवार

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नई दिल्ली। एक मूक-बधिर युवती, जो कि गलती से पड़ौसी देश पाकिस्तान चली गई थीं, आखिरकार लम्बी मशक्कत के बाद वापिस भारत वापिस आई। भारत आने के बाद भी लगभग छह वर्षों तक वह अपने परिवार को पाने के लिए भटकती रही। लगभग 20 परिवारों ने दावा किया कि वह उनकी बेटी है, लेकिन सभी के दावे खोखले निकले।


भारत से मूक बधिर एक लड़की किसी तरह से अपने मां से बिछड़कर पाकिस्तान चली गई थी। पाकिस्तान की सामाजिक कल्याण संस्था ईधी फाउन्डेशन के पूर्व प्रमुख स्व. अब्दुल सत्तार ईधी की पत्नी बिलकिस ने बताया कि उन्हें उक्त युवती जब 10-12 साल की थी, तो वह रेलवे स्टेशन पर मिली थी। उसे वह अपने साथ ले गई थी और कराची स्थित अपने केन्द्र में रखा था। उन्होंने बताया कि जब वह उन्हें मिली थी, तो बेसहारा थी। बिलकिस ने उसका नाम फातिमा रखा था। बाद में उन्हें पता चला कि युवती हिन्दू है, तो उन्होंने उसका नाम गीता रख दिया। बाद में जब भारत सरकार को मामले की जानकारी हुई, तो भारत सरकार ने गीता को वापिस लाने की कवायद शुरू कर दी। वर्ष 2015 में भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गीता को वापिस भारत लाने में कामयाब हुई थीं। उसके बाद से गीता के असली माता-पिता की खोज की जा रही थी। देश में लगभग 20 परिवारों ने गीता को अपनी बेटी होने का दावा किया था। सरकार द्वारा जब डीएनए जांच कराई गई, तो सभी दावे फर्जी पाये गये। लगभग 6 साल की इंतजार के बाद अब गीता को अपना असली परिवार मिला है। गीता का अपना परिवार महाराष्ट्र के नयागांव में रहता है। गीता की मां का असली नाम मीना है, जबकि उसके असली पिता की कुछ साल पूर्व मौत हो चुकी है। मीना ने दूसरी शादी कर ली है।

पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार में भी गीता का परिवार मिलने की खबर छपी है। ईधी वेलफेफेयर ट्रस्ट के पूर्व प्रमुख दिवंगत अब्दुल सत्तार ईधी की पत्नी बिलकिस ईधी के अनुसार गीता लगातार उनसे संपर्क थी। उसने स्वयं बिलकिस को अपनी मां से मिलने के बारे में जानकारी दी है। गीता ने बताया कि उसका असली नाम राधा वाघमारे है। गीता उर्फ फातिमा उर्फ राधा वाघमारे अब अपनी मां के साथ खुश है।

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