स्कूल फीस का मुद्दा -स्कूल प्रबंधन अभिभावकों के साथ सुलझाएं -हाईकोर्ट

स्कूल फीस का मुद्दा -स्कूल प्रबंधन अभिभावकों के साथ सुलझाएं -हाईकोर्ट

मुंबई ।बॉम्बे उच्च न्यायालय ने गुरुवार को सुझाव दिया कि वर्तमान कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए राज्य भर के निजी स्कूलों के प्रबंधन को छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने से रोकने और इसे कानूनी लड़ाई में बदलने के बजाय माता-पिता के साथ शुल्क संबंधी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहिए।

सुझाव मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने दिया। खंडपीठ भाजपा विधायक अतुल भातखलकर की तरफ से दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान यह सुझाव दिया। याचिका में कहा गया कि निजी स्कूलों के प्रबंधन ने फीस का भुगतान नही करने पर छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने से रोक दिया था। इसमें कहा गया कि स्कूल उन सुविधाओं के लिए शुल्क का दावा नहीं कर सकते हैं जिनका उपयोग छात्रों द्वारा महामारी के दौरान नहीं किया जा रहा है।

अदालत ने कहा कि स्कूल प्रबंधन संबंधित अभिभावकों के साथ मामले का समाधान कर सकते हैं। अदालत ने कहा, "यह खुशी की स्थिति नहीं है। महामारी के दौरान कई परिवार समस्याओं का सामना कर रहे हैं, ऐसे में दृष्टिकोण अलग होना चाहिए।"

अतिरिक्त सरकारी वकील गीता शास्त्री ने अदालत को सूचित किया कि राज्य सरकार ने मुंबई, पुणे, नागपुर और नासिक में संभागीय शुल्क नियामक समितियों का गठन किया है और अगर किसी अभिभावक को स्कूल के खिलाफ शिकायत है, तो वे स्थानीय समिति से संपर्क कर सकते हैं।

मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी।

वार्ता

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