12वीं परीक्षा रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

12वीं परीक्षा रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय माध्यमिक परीक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और भारतीय स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा परिषद (सीआईएससीई) द्वारा 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी और बोर्ड की ओर से मूल्यांकन के लिए प्रस्तुत की गयी योजना को स्वीकार कर लिया।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की अवकाशकालीन खंडपीठ ने कहा कि बोर्ड ने उच्च स्तर पर बुद्धिमतापूर्ण और जनहित में निर्णय लिया है और इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं नजर आता।

इस बीच केंद्र सरकार की ओर से पेश एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि सभी बोर्ड परीक्षाओं के लिए कोई समान मूल्यांकन नीति नहीं हो सकती है, जिनमें सीबीएसई, आईसीएससीई और 32 राज्य बोर्ड शामिल हैं।

वेणुगोपाल ने कहा कि सभी बोर्ड स्वायत्त निकाय हैं और उन्हें कक्षा 12वीं के छात्रों के मूल्यांकन के संबंध में अपनी योजनाएं तैयार करने का अधिकार है। इतना ही नहीं, प्रत्येक छात्र का जीवन संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा संरक्षित है और कोरोना महामारी के बीच लिखित परीक्षा कराया जाना सुरक्षित या विवेकपूर्ण निर्णय नहीं है। उन्होंने कहा, "छात्रों को महामारी के दौरान परीक्षा देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।"

केंद्र ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि छात्रों को एक विकल्प दिया जाएगा, यानी यदि वे मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं हैं, तो वे परीक्षा का विकल्प चुन सकते हैं।

वार्ता

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