मोबाइल टाॅर्च की रोशनी में कोरोना वैक्सीन लगाने को मजबूर चिकित्सक

मुरादाबाद। कोरोना वैक्सीन बनाने पर अब तक सरकार लाखों करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है। कोरोना महामारी के चलते लाॅकडाउन के दौरान न जाने कितने रुपये सरकार द्वारा वहन किये गये। अब जब कोरोना वैक्सीन बन गई है और उसके टीके लगने शुरू हो गये हैं, तो क्या थोड़े से रुपये खर्च करके सरकारी अस्पताल में बिजली की व्यवस्था नहीं की जा सकती। आखिर ऐसा क्या कारण है कि बिजली की व्यवस्था न होने के कारण चिकित्सकों को मोबाइल टाॅर्च की रोशनी में कोरोना वैक्सीन के टीके लगाने पड़ रहे हैं।
कोरोना महामारी ने न सिर्फ भारत, वरन पूरी दुनिया में हा-हाकार मचाया है। इस बीमारी के चलते न जाने कितने लोग मौत के मुंह में अकाल ही समा गये। व्यापार धंधे चौपट हो गये। नौकरियां चल गईं। देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ा। सरकार ने कोरोना काल में पानी की तरह रुपया बहाया और जरूरतमंदों के द्वार पर खाद्यान्न पहुंचाया।

कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए तभी से वैज्ञानिक लगे हुए थे। इस वैक्सीन को बनाने में सरकार ने न जाने कितने रुपये खर्च किये हैं। सबसे खास बात यह है कि वैज्ञानिकों ने खतरनाक महामारी की वैक्सीन बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है और प्रथम चरण में चिकित्सकों को इस वैक्सीन का टीका लगाया जा रहा है, जो कि देश के लिए बहुत ही गर्व की बात है।
वहीं इससे इतर, मुरादाबाद जिले के सरकारी अस्पताल के बुरे हाल का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में दिखाया गया है कि सरकारी अस्पताल में बिजली नहीं है, जिसके कारण वहां अंधेरे का राज कायम है। बावजूद इसके चिकित्सक अपनी ड्यूटी को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। सरकारी अस्पताल पर जो कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाने के लिए आ रहे हैं, उन्हें चिकित्सक मोबाइल की टाॅर्च से रोशनी करके टीका लगा रहे हैं।
सवाल यह उठता है कि ऐसी क्या मजबूरी है, जो कि सरकारी अस्पताल में बिजली की व्यवस्था नहीं की गई। यदि बिजली न होने के कारण टीका सही न लग पाये, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। सोशल मीडिया पर इसी तरह के सवाल उक्त वीडियो को देखने के बाद उठाये जा रहे हैं। जिला प्रशासन को इस ओर अविलम्ब ध्यान देना चाहिए और सरकारी अस्पताल में बिजली की व्यवस्था करानी चाहिए।