दमोह में साध्वी की शरण में कांग्रेस

दमोह में साध्वी की शरण में कांग्रेस

लखनऊ। चुनाव जीतने के लिए राजनेताओं को कैसे-कैसे पापड़ बेलने पड़ते हैं, यह मध्य प्रदेश के दमोह में देखा जा सकता। दमोह विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने अजय कुमार टंडन को मैदान में उतारा है तो भाजपा ने राहुल सिंह पर दांव आजमाया। कांग्रेस ने इस सीट पर विजयश्री पाने के लिए राम नाम का जाप कराने का फैसला किया है। इसके लिए कथावाचक साध्वी सिया भारती का सहारा लिया गया है। भाजपा के पास तो उमा भारती और साध्वी ऋतम्भरा जैसी साध्वी पहले से मौजूद हैं। हालांकि यहां पर भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्य भूमिका में नहीं रखा है लेकिन भाजपा प्रत्याशी अजय टण्डन का पलड़ा भारी माना जा रहा है। मजेदार बात यह है कि इस उपचुनाव में कई डमी उम्मीदवार उतारे गये हैं। राहुल के नाम पर चार उम्मीदवार हैं तो अजय कुमार के नाम से भी चार प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा के अलावा भारतीय शक्ति चेतना पार्टी से उमा सिंह लोधी, शिवसेना से राज पाठक उर्फ राजा भैया भी किस्मत आजमा रहे हैं। दमोह उपचुनाव इस बार भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। मतदान 17 अप्रैल को होना है।

मध्य प्रदेश के दमोह सीट पर होने वाले उपचुनाव में जीत के लिए कांग्रेस हर दांव आजमाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस पार्टी ने दमोह सीट पर राम नाम का जाप करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों में कथा वाचक साध्वी राम सिया भारती का नाम शामिल किया है। पार्टी की कोशिश है कि बड़ा मलहरा के उपचुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार रही राम सिया भारती को दमोह के उपचुनाव में पार्टी प्रचारक के तौर पर उतारकर माहौल बनाया जाए।

दरअसल साध्वी राम सिया भारती एक अच्छी कथा वाचक है और पार्टी चाहती है कि राम सिया भारती के राम नाम का इस्तेमाल दमोह के उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में हो। पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि दमोह उपचुनाव में राम सिया भारती को प्रचारक के तौर पर सबसे आगे रखा गया है ताकि राम सिया भारती के प्रचार के तरीके से पार्टी को फायदा हो सके। वही दमोह सीट को लेकर कांग्रेस के राम नाम और जातीय समीकरणों को लेकर बनाए गए प्लान पर बीजेपी ने तंज कसा है। बीजेपी के प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने दमोह सीट पर अपनी हार स्वीकार कर ली है। और यही कारण है कि पार्टी के बड़े नेताओं को पीछे छोड़ अब राम नाम के लिए राम सिया भारती जैसे चेहरे को पार्टी को आगे करना पड़ रहा है। सिर्फ राम नाम ही नहीं बल्कि कांग्रेस ने दमोह उपचुनाव में बीजेपी को टक्कर देने के लिए जाति समीकरणों को भी साधने की कोशिश की है। पार्टी का जातीय समीकरणों को साधने के प्लान पर नजर डालें तो... दमोह सीट पर 14 फीसदी लोधी वोटरों को लुभाने के लिए राम सिया भारती, साधना भारती, प्रताप लोधी को पार्टी ने जिम्मेदारी सौंपी है इसी प्रकार 11 फीसदी जैन वोटरों को साधने के लिए पूर्व विधायक निशंक जैन की ड्यूटी लगाई है और 11 फीसदी एस सी वोटरों को साधने के लिए पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया, सज्जन सिंह वर्मा, फूल सिंह बरैया, सुरेंद्र चौधरी और मुकुल वासनिक मोर्चा संभालेंगे। कुर्मी वोटरों को साधने के लिए पार्टी ने कमलेश्वर पटेल को जिम्मेदारी सौंपी है। नो फीस दी ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए पार्टी ने सुरेश पचैरी और चैधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को स्टार प्रचारक बनाया है। 7 फीसदी वोटरों को साधने के लिए कांतिलाल भूरिया को स्टार प्रचारक बनाया है। पीसीसी के कार्यालय प्रभारी राजीव सिंह ने कहा कि पार्टी को उपचुनाव में जहां जिसकी जरूरत होती है उसको जिम्मेदारी सौंपी जाती है।

दरअसल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर राहुल लोधी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन 2020 में राहुल लोधी ने दल बदल कर बीजेपी का दामन थाम लिया। अब 2021 के दमोह उपचुनाव में राहुल लोधी बीजेपी के उम्मीदवार हैं। इसके मुकाबले में कांग्रेस पार्टी ने पूर्व जिला अध्यक्ष कांग्रेस अजय टंडन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। कांग्रेस पार्टी की कोशिश है कि राम के नाम और जातीय समीकरणों के आधार पर पार्टी 2018 में मिली कांग्रेस की जीत को 2021 के उपचुनाव में बरकरार रख सके और यही कारण है कि इस बार दमोह के उपचुनाव में प्रचारक अलग अंदाज में नजर आ रहे हैं और हर वह दांव आजमा रहे हैं जो पार्टी को जीत दिला सके।

दमोह विधानसभा उपचुनाव में 37 प्रत्याशियों ने नामांकन फार्म जमा किए। इनमें से 11 लोगों ने फॉर्म वापस ले लिए और 4 फॉर्म निरस्त हो गए। इस तरह अब दमोह उपचुनाव में 2 महिला समेत 22 प्रत्याशी मैदान में हैं। वहीं, इस बार तीन महिला उम्मीदवारों ने भी नामांकन फार्म जमा किया है। इनमें से एक का फार्म निरस्त हो गया। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार उपचुनाव में अब तक प्रमुख दलों द्वारा महिला प्रत्याशी नहीं उतारी है। दमोह सीट पर वर्ष 1951 से 2018 तक भाजपा हो या कांग्रेस किसी ने महिलाओं को मौका नहीं दिया, लेकिन इस बार दो महिलाएं मैदान में उतरी गयीं। छह माह पहले मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव में मुख्य भूमिका में रहने वाले राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया दमोह के चुनावी रण में आम भूमिका में ही दिखाई दे रहे हैं। दमोह सीट को वापस भाजपा के खाते में लाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य भूमिका में हैं। चुनाव की रणनीति भी मुख्यमंत्री चैहान खुद ही बना रहे हैं। राज्य भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा तो रणनीति पर अमल भर कर रहे हैं।

बुंदेलखंड का टीकमगढ़ जिला वह स्थान हैं जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा दिए गए एक बयान के कारण मध्यप्रदेश की पूरी राजनीति बदल गई। पिछले साल तेरह फरवरी में टीकमगढ़ जिले के ग्राम कुडीला में संत रविदास जयंती के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में सिंधिया ने अतिथि शिक्षकों से उनकी मांग के बारे में संबोधित करते हुए कहा था कि कांग्रेस पार्टी ने अपने वचन पत्र में जो वादा किया है, वह पूरा न हुआ तो वे भी समर्थन में सड़क पर उतर जाएंगे। बात सामान्य ढंग से कही गई थी, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के जवाब ने दोनों नेताओं के बीच के कटु रिश्तों को उजागर कर दिया। कमलनाथ ने जवाब में कहा कि सिंधिया को सड़क पर उतरना है तो उतर जाएं। इस जवाब के कुछ दिन बाद ही सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी। विधानसभा में कांग्रेस का संख्या बल कम हो जाने के कारण कमलनाथ सरकार का पतन हो गया था। सिंधिया राज परिवार का राजनीतिक प्रभाव क्षेत्र ग्वालियर-चंबल अंचल के अलावा मालवा, मध्य भारत के कुछ इलाकों तक सीमित रहा है। यद्यपि उनकी छवि अन्य कद्दावर राजनेताओं की तुलना में ज्यादा चमकदार हैं। जनता के बीच भी उनके नाम का ग्लैमर है। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी परिवार की परंपरा के अनुसार ही राजनीति करते आ रहे हैं। राज्य के परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत बुंदेलखंड में सिंधिया का चेहरा माने जाते हैं। राजपूत उन 22 विधायकों में थे, जिन्होंने पिछले साल मार्च में सिंधिया के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़ी थी।

बहरहाल, इस सीट पर विजय का श्रेय चौहान लेना चाहते हैं। (हिफी)

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