मोदी राज में कम हुई अमीरी-गरीबी की खांई

मोदी राज में कम हुई अमीरी-गरीबी की खांई

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार अपनी नीतियों से देश में अमीरी और गरीबी के बीच की खाई पाटने के काम में लगी है और अब इसका असर भी दिखाई देता है। कांग्रेस ने गरीबी हटाने का नारा दिया था। लेकिन उसके कार्यकाल में गरीबी और गरीब घटने के बजाए सुरसा के मुंह ही तरह बढ़ते ही रहे। इसके विपरीत प्रधानमंत्री मोदी ने नारे की जगह ईमानदारी के साथ गरीबों के कल्याण में अपनी सरकार को समर्पित कर दिया। भ्रष्टाचार मुक्त कई योजनाएं शुरू कीं। इसका परिणाम हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी ने गीबी को कम करने का कमाल कर दिखाया।

गरीबी रेखा पर एक शोध पत्र के अनुसार, भारत में गरीबी 2011 में 27 करोड़ से घटकर 2017 में 8.4 करोड़ रह गई। 2011 में 14.9 प्रतिशत आबादी गरीबी में रहती थी, जो 2017 में घटकर 7 प्रतिशत हो गई। इस शोध पत्र के मुताबिक गरीबी में कमी का श्रेय उच्च विकास दर और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, पीएम किसान योजना और एलपीजी सब्सिडी जैसी सरकारी योजनाओं को दिया गया है। इसके अलावा शोध पत्र में बताया गया है कि 2014 से गरीबों के लिए आवास और शौचालयों के निर्माण जैसे कार्यों ने गरीबी को कम करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

किसानों की आर्थिक हालत सुधारने के लिए मोदी सरकार ने पीएम-किसान सम्मान निधि देने की शुरुआत की है। इस योजना की शुरुआत 1 दिसंबर 2018 को हुई थी। इसके तहत किसानों को साल भर में 6000 रुपए का लाभ सीधे उनके बैंक खाते में दिया जाता है। हर 4 महीने में किसान को 2000 रूपए की किस्त दी जाती है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत अब तक 8.35 करोड़ किसानों को लाभ मिल चुका है। लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कृषि मंत्री ने बताया कि इन किसानों के खाते में अब तक कुल मिलाकर 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम भेजी जा चुकी है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को गरीबों को बैंकों से जोड़ने के लिए जन धन योजना की शुरुआत की। उन्होंने जन धन योजना का ऐलान 15 अगस्त 2014 को लाल किले से अपने पहले संबोधन में किया था। इस योजना को आर्थिक समावेश के राष्ट्रीय मिशन के तहत शुरू किया गया था। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, फिलहाल इस बैंकिंग सुविधा के साथ 43.04 करोड़ लाभार्थी जुड़े हैं। यानी देश की करीब 32.08 फीसदी जनता इस योजना के दायरे में है। इसके अलावा फिलहाल इन बैक अकाउंटों में जमा राशि 146.23 करोड़ बताई जाती है। 18 अगस्त 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में इस वक्त 43.04 करोड़ जन धन बैंक खाते हैं, जो कि मार्च 2015 के 14.72 करोड़ मुकाबले लगभग तीन गुना हैं। इस योजना का सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को मिला है, क्योंकि कुल खातों में 55 फीसदी महिलाओं के नाम पर ही हैं। इसके अलावा 67 फीसद खाते ग्रामीण या छोटे शहरी इलाकों में हैं।

भारत सरकार ने कोरोना महामारी के अनेक रूपों का बड़े ही संयम और धैर्य से मुकाबला किया है और इसमें हमें सफलता मिली है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कोरोना काल में 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन की व्यवस्था करके दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत पिछले 25 महीनों में 6 चरणों के अंतर्गत 1,000 लाख मीट्रिक टन अनाज बांटे गए हैं। अप्रैल 2020 से लेकर सितंबर 2022 तक इस योजना पर 3.40 लाख करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। इस शताब्दी के सबसे बड़े संकट कोरोना महामारी के बावजूद भारत एक ऐसा देश बनकर उभरा जिसमें एक भी गरीब परिवार के घर में चूल्हा न जला हो, ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 80 करोड़ देशवासियों को प्रतिमाह पांच किलो अनाज मुफ्त देने का काम प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किया गया। इसके साथ ही वन नेशन- वन राशन कार्ड के कारण लगभग 65 करोड़ पोर्टेबिलिटी ट्रांसेक्शन से लोगों ने अपने अन्न को अपने घर की जगह कहीं और से लिया है।

मोदी सरकार हमेशा ही किसानों की समृद्धि, उनकी आर्थिक मजबूती की दिशा में कदम उठाती रही है। प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि जब किसान समृद्ध होगा तो देश भी समृद्ध होगा। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था कि सरकार के सारे प्रयासों का एक ही लक्ष्य है कि किसानों की आय बढ़े और देश का किसान समृद्ध हो। क्योंकि जब किसान समृद्ध होगा तभी देश भी समृद्ध होगा। पीएम मोदी अपने संबोधन के दौरान कहा कि उनकी सरकार के समय में कृषि क्षेत्र को सशक्त करने के लिए काफी तेजी से काम हुआ है। इससे देश का कृषि क्षेत्र पहले से कहीं अधिक वाइब्रेंट हुआ है। आज जहां देश में मंडियां मॉडर्न हो रही हैं वहीं किसानों को डिजिटल प्लेटफार्म पर भी फसल क्रय-विक्रय करने का विकल्प मिला है।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई इन योजनाओं से देश की बड़ी आबादी को सीधे-सीधे फायदा पहुंचा। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के जरिए जहां महिलाओं को चूल्हे के धुएं से निजात दिलाई, तो मुद्रा योजना के जरिए लोगों को अपना खुद का रोजगार शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता मुहैया कराई। इसके अलावा आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत कर देश को स्वस्थ रखने की दिशा में बड़ा कदम उठाया। आवास योजना के जरिए लोगों को अपनी छत मिली, तो वहीं गरीब कल्याण अन्न योजना के जरिए लोगों का पेट भरने का जिम्मा उठाया।

ब्रूकिंग्स के 'फ्यूचर डिवेलपमेंट' ब्लॉग में प्रकाशित यह रिपोर्ट बताती है कि हर मिनट 44 भारतीय अत्यंत गरीबी की श्रेणी से बाहर निकलते जा रहे हैं, जो दुनिया में गरीबी घटने की सबसे तेज रफ्तार है। दरअसल बीते पांच सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने गरीबी दूर करने के लिए एक के बाद एक कई योजनाओं की शुरुआत की। उसमें जन-धन योजना, उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि सहित तमाम अभियानों के चलते देश में गरीबी खत्म हो रही है। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद 20 मई, 2014 को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुना गया था। इसके बाद उन्होंने अपने संबोधन में कहा था, "सरकार वह हो जो गरीबों के लिए सोचे, सरकार गरीबों को सुने, गरीबों के लिए जिए, इसलिए नई सरकार देश के गरीबों को समर्पित है। देश के युवाओं, मां-बहनों को समर्पित है। यह सरकार गरीब, शोषित, वंचितों के लिए है। उनकी आशाएं पूरी हो, यही हमारा प्रयास रहेगा।" (हिफी)

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