विदेशी तब्लीगी जमातियों पर सख्त कार्रवाई

विदेशी तब्लीगी जमातियों पर सख्त कार्रवाई

नई दिल्ली केन्द्र सरकार ने तब्लीगी जमात की गतिविधियों में अवैध तरीके से शामिल होने वाले विदेशी नागरिकों की भारत यात्रा पर दस साल के लिए प्रतिबन्ध लगा दिया है। ये विदेशी टूरिस्ट बीजा पर आकर मजलिस में भाग लेते थे। बताया जा रहा है कि जब कोरोना भारत में दस्तक दे रहा था, तब ये विदेशी भारत के विभिन्न नगरों में फैल गए। निजामुद्दीन मरकज में आए जमातियों के अलावा भी बड़ी संख्या इन विदेशियों की है। परन्तु उनका वर्गीकरण नहीं हो पाया है। वीजा नियमों के उल्लंघन के कारण तब्लीगी जमात से जुड़े 2550 विदेशियों के 10 वर्ष तक भारत में प्रवेश करने पर केन्द्रीय गृह मन्त्रालय ने प्रतिबन्ध लगाया है।

ध्यान रहे दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात के तत्वावधान में एक मजलिस का आयोजन मार्च के महीने में किया गया था। इसमें अनुमानतः दस हजार लोगों ने भाग लिया था। जिसमें बड़ी संख्या विदेशियों की थी। यहां से निकलने के बाद ये जमाती देश के कोने-कोने में फैल गए। जिससे कोरोना का प्रसार बड़े पैमाने पर हुआ है। विशेष बात यह है कि विदेशों से आए जमाती जो टूरिस्ट वीजा पर आए, उन्होंने भारत में ठहरने का जो पता नोट कराया था, वहां न जाकर तब्लीगी जमात द्वारा निर्दिष्ट स्थानों पर पहुंच गए। यह भी कहा जा रहा है कि कुछ तो नियमित फ्लाइट से आए, तो कुछ चार्टेड प्लेन से। इसका भांडा तब फूटा, जब इन विदेशी जमातियों की धरपकड़ चालू की गई। मलेशिया चार्टेड प्लेन से जाते तब्लीगी जमात के कुछ मौलाना पकड़े गए।

इसके पूर्व 960 तब्लीगी जमात के सदस्यों को भारत में आने के लिए दस वर्ष के लिए प्रतिबन्धित किया जा चुका है। जो विदेशी प्रतिबन्धित किए गए हैं, वे देश के विभिन्न भागों में क्वारंटाइन किए गए थे। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार तब्लीगी जमात द्वारा दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में हुए कार्यक्रम के समय से अप्रैल मध्य तक कुल 14378 कोरोना संक्रमण के मामलों में से 4291 मामले निजामुद्दीन मरकज से सम्बन्धित है। स्वास्थ्य मन्त्रालय ने उस समय बताया था कि निजामुद्दीन मरकज से निकले जमातियों ने कम से कम 23 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों को प्रभावित किया। सरकार द्वारा यह भी बताया गया था कि तमिलनाडु में 84 फीसदी, दिल्ली में 63 फीसदी, तेलंगाना में 79 फीसदी व आन्ध्र प्रदेश में 61 फीसदी मामले मरकज से सम्बन्धित है। आज जब भारत में कोरोना संक्रमण का मामला दो लाख से ऊपर चला गया है, तब पता चलता है कि तब्लीगी जमात द्वारा जिस समस्या का बीजारोपण किया गया था, वह समस्या भयावह रूप से सामने है।

ये विदेशी जो प्रतिबन्धित किए गए हैं, अलग-अलग राज्यों में पकड़े गए, वहीं उनके पास पोर्ट व महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त कर लिए गए। जैसे- दिल्ली पुलिस अपराध शाखा ने लगभग सात सौ जमात से जुड़े विदेशियों के पासपोर्ट व महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त कर लिए। इस प्रकरण को लेकर दिल्ली पुलिस उनसे पहले से पूछताछ कर चुकी है। पूछताछ में यह पता करने का प्रयास किया गया था कि यह वीजा दिलाने में उन्हें किसने मदद की थी, वीजा मिलने का आधार क्या था? इसका पालन क्यों नहीं किया गया? इसी प्रकार उत्तर प्रदेश पुलिस ने 211 विदेशी जमातियों के पासपोर्ट जब्त कर लिए। ये वे विदेशी है जिन्होंने मार्च में तब्लीगी जमात की इस्लामिक मजलिस में भाग लिया था।

बताया जा रहा है कि प्रतिबन्धित विदेशियों में किर्गिस्तान के 77, मलेशिया के 75, थाईलैण्ड के 65, वियतनाम के 12, सऊदी अरब के 9, फ्रांस के 3 नागरिक शामिल हैं।

इसी प्रकार इन्डोनेशिया के 379, बांग्लादेश के 110, म्यांमार के 63 तथा श्रीलंका के 33 नागरिक प्रतिबन्धित किए गए है। गृहमन्त्रालय ने इन सभी विदेशियों के आगामी दस वर्षो तक भारत में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगाया है। मार्च-अप्रैल में चलाए गए व्यापक धर पकड़ अभियान में निजामुद्दीन मरकज से 216, लखनऊ से 13, रांची से 30 पटना की मस्जिदों में भी 10 विदेशी पकड़े गए थे। इन विदेशियों का भंाड़ा तब फूटा जब तेलंगाना में कुछ जमाती कोरोना संक्रमित पाए गए। परन्तु दिल्ली पुलिस इस सूचना पर सक्रिय नहीं हुई। कश्मीर में एक जमाती की मृत्यु के बाद पता चला कि वह कोरोना संक्रमित है, तब उसके यात्रा विवरण से जानकारी प्राप्त हुई कि वह निजामुद्दीन मरकज से आया था। इसके बाद निजामुद्दीन मरकज चर्चा में रहा। तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड सहित अनेक राज्यों में चलाए गए अभियान में ये विदेशी जमाती धर दबोचे गए।

केन्द्र सरकार ने टूरिस्ट वीजा पर आए इन विदेशी जमातियों के भारत में प्रवेश को प्रतिबन्धित किया है। परन्तु इनको बुलाने वाले तब्लीकी जमात के मुखिया मौलाना साद को पुलिसिया कार्रवाई से बाहर रखा गया है, जो लोगों के गले नहीं उतर रहा है। दिल्ली हिंसा के सम्बन्ध में पुलिस के आरोप पत्र में मौलाना साद से सम्पर्कित का नाम आने की बात कही जा रही है। ऐसे में इन विदेशियों पर प्रतिबन्ध लगाकर ही छोड़ना क्या उचित रहेगा? सीएए के विरोध में दिल्ली में बड़े पैमाने पर की गई हिंसा तथा देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन में इन विदेशियों की भूमिका की जाॅच की जानी चाहिए। टूरिस्ट बीजा पर आए विदेशियों की गतिविधियों पर कठोर नियन्त्रण रखे जाने की आवश्यकता है। टूरिस्ट बीजा पर आए विदेशी भारत में जिस उद्देश्य के लिए आए थे, वह काम कर रहे हैं या अन्य किसी काम में लिप्त हो गए हैं। रहने का जो पता दिया है, वहां है या नहीं। इसकी निरन्तर निगरानी आवश्यक है। भारत में प्रदेश पर तब्लीगी जमात के विदेशी धर्म प्रचारकों पर प्रतिबन्ध क्यों नही लगाया जा रहा है?

गृह मन्त्रालय के आदेश में अस्पष्टता

गृह मन्त्रालय के निर्देशानुसार दिल्ली पुलिस ने काफी संख्या में जमातियों को गिरफ्तार किया था। 14 दिन तक क्वारन्टाइन करने के बाद दिल्ली में ये विदेशी जमाती कहां है, खोज का विषय है। जबकि उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में इन्हें

अस्थाई जेलों में रखा गया है। प्रतिबन्धित विदेशी नागरिकों की सूची में कई ऐसे तब्लीगी भी हैं, जो हवाई उड़ान पर प्रतिबन्ध के पहले ही अपने देश वापिस चले गए थे। मंत्रालय के आदेश से यह पता नहीं चलता है कि प्रतिबन्धित विदेशियों में कितने भारत में मौजूद है, कितने अपने देश वापस चले गए हैं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि भारत में जो मौजूद हैं, उन पर कोई कड़ी कार्रवाई होगी या उन्हें केवल प्रतिबन्धित कर वापिस भेज दिया जाएगा?

केन्द्र सरकार का यह निर्णय सही दिशा में अच्छा कदम कहा जा सकता है। फिर भी कुछ प्रश्न अनुत्तरित है- पर्यटन वीजा या स्थाई वीजा पर आए विदेशी नागरिक धर्मान्तरण, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं, ऐसे आरोप लगाए जाते हैं, सरकार इन पर क्या कार्रवाई कर रही है। अवैध रूपेण बांग्लादेश व म्यांमार से आए घुसपैठियों पर केन्द्र सरकार क्या कार्रवाई कर रही है? केन्द्र सरकार की नाक के नीचे लाखों बांग्लादेशी, रोहिंग्याई दिल्ली में रह रहे हैं। जगह-जगह इन्हें आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पानी बिजली, राशन निःशुल्क दिया जा रहा है। लाखों की संख्या में भारत के ही नागरिकों को दिल्ली से कुटिलतापूर्वक निकाला गया, तब इन विदेशियों का अतिथि-सत्कार क्यों? दिल्ली सरकार पर मामला टालकर केन्द्र सरकार अपनी जिम्मेवारी से किस प्रकार बच सकती है? दिल्ली- मुखिया के इरादे जग जाहिर हैं। परन्तु दिल्ली में अन्तिम प्रशासनिक नियन्त्रण केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि उप राज्यपाल का है। आवश्यकता है कि केन्द्र सरकार स्थिति स्पष्ट करे।

~ मानवेन्द्र नाथ पंकज

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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