प्रधानमंत्री मोदी ने नमामि गंगे को जन आंदोलन बनाया : अमित शाह

प्रधानमंत्री मोदी ने नमामि गंगे को जन आंदोलन बनाया   : अमित शाह

नई दिल्ली केन्‍द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन के अंतर्गत आयोजित फ्लैग-इन गंगा आमंत्रण अभियान समारोह की अध्‍यक्षता की।





अमित शाह ने कहा, "हमें गंगा को केवल एक नदी के रूप में नहीं देखना चाहिए। यह एक हजार साल पुरानी सभ्यता का केन्‍द्र बिंदु है, जो दुनिया में सबसे पुरानी नदियों में से एक है। भारतीय सभ्यता ने मानवता के लिए सबसे अधिक योगदान दिया है, चाहे विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संस्कृति और भाषा या धार्मिक अनुसंधान और आध्यात्मिकता हो। गंगा भारतीय सभ्यता का प्रतीक है और देश के प्रत्येक परिवार में पूजनीय है।" उन्‍होंने गंगा के तट पर बसे लोगों के लिए इसे जीवन दायिनी बताया। उन्होंने कहा कि नदी भारत के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक इतिहास का एक अटूट हिस्सा रही है।




गृह मंत्री ने कहा कि उन्‍हें तकलीफ होती है कि हमने गंगा को अपनी मां के रूप में माना, लेकिन अतीत में भारत ने अपनी मां की परवाह नहीं की, जैसी करनी चाहिए थी। उन्होंने कई वर्षों में इसके तट पर मानव बस्तियों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों के बढ़ते दबाव और विभिन्न रूपों में नदी के पानी के प्रदूषण का हवाला दिया। इससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि नदी का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि हमारी संस्कृति में पूजनीय नदी होने के बावजूद लोग इसमें डुबकी लगाने से पहले दो बार सोचते हैं। "गंगा ने अत्यधिक पानी के उपयोग और प्रदूषण के कारण अपना 'निर्मल, अविरल' (स्वच्छ और निर्बाध) प्रवाह खो दिया। श्री शाह ने कहा कि श्री नरेन्‍द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही, स्वतंत्र भारत में किसी सरकार ने एक केंद्रित दृष्टिकोण अपनाते हुए गंगा संरक्षण की दिशा में निर्णायक रूप से कार्य करने के बारे में सोचा। प्रधनमंत्री मोदी ने नमामि गंगे को जन आंदोलन बना दिया है।



अमित शाह ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना केवल बुनियादी ढांचे के निर्माण, जल प्रदूषण को रोकने, लोगों को स्वच्छ जल आपूर्ति प्रदान करने के लिए कुशल जल प्रबंधन या नदी को एक जलमार्ग के रूप में उपयोग करने जैसी गतिविधियों तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि ये गतिविधियां किसी भी तरह से होंगी, लेकिन नमामि गंगे परियोजना का मुख्य ध्‍यान भविष्य की पीढ़ियों के लिए 'निर्मल और अविरल' नदी के संरक्षण की संस्कृति तैयार करना है और कोई भी इसे फिर से प्रदूषित नहीं करे। यह प्रधानमंत्री मोदी की संकल्‍पना है और केवल वह ही इस तरह के साहसिक फैसले ले सकते हैं और जमीनी स्‍तर पर इस संकल्‍पना को लागू कर सकते हैं। श्री शाह ने कहा कि 1985 से 2014 तक गंगा की सफाई के लिए करीब 4000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। 2014 के बाद 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं। सरकार, संबंधित राज्य सरकारों के साथ, गंगा के कायाकल्प और स्वच्छ अभियान के लिए नमामि गंगे के तहत गंगा बेसिन में 300 से अधिक परियोजनाओं को लागू कर रही है, जिनमें से 116 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। गृह मंत्री ने कहा कि आम बजट 2020-21 में जल शक्ति मंत्रालय के लिए 30,700 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।


अमित शाह ने 5 वर्षों की छोटी अवधि में, गंगा के कायाकल्प में प्रधानमंत्री की संकल्‍पना को आगे बढ़ाने और एक सराहनीय कार्य करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने दुनिया भर में हो रहे प्रयासों से इन प्रयासों की तुलना की और कहा कि इतने कम समय में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की गई है। गृह मंत्री ने जल प्रबंधन और नदी में जल प्रवाह के स्तर को बनाए रखने के लिए मंत्रालय की कुशल योजना का उल्लेख किया। 97 शहरों और गंगा के किनारे बसे 4400 से अधिक गांवों में सीवर नेटवर्क का निर्माण किया जा रहा है और स्नान घाटों को पुनर्निर्मित किया जा रहा है। निकट भविष्य में, इसी तरह की परियोजनाएं नदी की प्रमुख सहायक नदियों पर लागू की जाएंगी। उन्होंने नदी पर एक महीने तक चलने वाले अनुसंधान अभियान और जागरूकता अभियान के लिए गंगा आमंत्रण अभियान की टीम को भी बधाई दी, जो इसे फिर से जीवंत करने में एक बड़ी भूमिका निभाएगा। शाह ने नमामि गंगे परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए नदी के किनारे रहने वाले लोगों, विशेषकर बच्चों में एक व्यवहारिक परिवर्तन लाने पर जोर दिया।

इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने पिछले 5 वर्षों के रिकॉर्ड समय में मिशन नमामि गंगे के तहत गंगा के कायाकल्प के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों की जानकारी दी। गंगा के पानी में सुधार का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आज गंगा दुनिया की शीर्ष 10 स्वच्छ नदियों में शामिल है, और नदी में ऑक्सीजन और डॉल्फिन की आबादी का स्तर लगातार बढ़ गया है।

इस अवसर पर जल शक्ति, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में राज्‍य मंत्री रतन लाल कटारिया के साथ सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

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