कोरोना काल में मीडिया हमारा साथी हमारा सहयोगी : वाइस प्रेसिडेंट

कोरोना काल में मीडिया हमारा साथी हमारा सहयोगी : वाइस प्रेसिडेंट

नई दिल्ली उपराष्ट्रपति एवं राज्य सभा के सभापति एम. वेंकैया नायडु ने कोरोना वायरस एवं कोविड-19 महामारी के प्रकोप के विभिन्न पहलुओं के बारे में आवश्यक सूचना, विश्लेषण एवं दृष्टिकोणों के साथ लोगों को सशक्त बनाने के लिए तथा वर्तमान में जारी इस रोग के खिलाफ लड़ने में चिंतित लोगों के साथ साझीदारी करने के लिए मीडिया की सराहना की है। उन्होंने व्यापक जागरूकता के लिए महामारी के बारे में जानकारी देने में जमीनी स्तर पर काम कर रहे मीडिया के लोगों के समर्पित प्रयासों के लिए उन्हें 'अग्रिम पंक्ति का योद्धा' बताया।

'मीडिया: आवर पार्टनर इन कोरोना टाइम्स' शीर्षक के अपने फेसबुक पोस्ट में नायडु ने विस्तार से कहा कि कोरोना के कारण हुई इस लंबी बंदी और बंधन की वजह से अपने नजदीक और वृहत्तर विश्व से संपर्क बनाए रखने की चुनौती पैदा हो गई है। प्रतिदिन जैसे-जैसे कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, हमारे पड़ोस में, हमारे गांव और शहरों में और प्रदेशों में और विश्व भर में इसके प्रभाव को लेकर हमारी चिंता भी बढ़ रही है। यह वायरस कैसा है? इसकी प्रकृति क्या है? यह संक्रमण कब तक जारी रहेगा? इसका इलाज कब तक संभव हो सकेगा? इन सब को लेकर आशंका और चिंता बनी रहती है। इन सभी आशंकाओं, उत्कंठाओंं का उत्तर यदि कहीं मिल सकता है तो वह है मीडिया। अतएव आज मैं आपसे इस विषय पर अपने विचार साझा करना चाहता हूं।

नॉवेल कोरोनावायरस विश्व भर के लिए एक अनजानी अभूतपूर्व आपदा है, कोविड-19 संक्रमण ने तो विश्व को स्तब्ध कर दिया है। इस छोटे से विषाणु के कारण हुए विनाश से मानवता अभी भी उबर नहीं पाई है। संक्रमण के कारण कितने बीमार पड़ेंगे और कितनी मौतें होंगी, इसके बारे में दर्जनों अनुमान नित्य प्रतिदिन आ रहे हैं। यह दौर और कितना लंबा खिंचेगा कोई नहीं जानता।

यह तो जनवरी में ही लगने लगा था कि आइंदा के लिए हमारा जीवन सामान्य नहीं रहने वाला है और हमें अपने जीवन का नया ढंग सीखना होगा। जीवन की इस नई सामान्यता के लिए यह जरूरी था इस वायरस के बारे में, उसके चरित्र के बारे में, उसके संभावित इलाज के बारे में, जितनी भी संभव हो सारी जानकारी प्राप्त की जाए। ऐसे में जरूरी था कि लोगों को जरूरी सूचना दी जाय, उन्हें सजग किया जाय, जिससे वे इस वायरस के विरुद्ध बचाव की एक सुविचारित रणनीति अपना सकें। 21वीं सदी के इस सबसे विषम समय में जन जागरण का यह दायित्व मीडिया के कंधे पर है। और मेरे विचार में मीडिया ने इस दायित्व का निष्ठापूर्वक निर्वाह प्रायः किया भी है, जो कि सराहनीय है।

किसी अन्य प्रसंग में मैंने मीडिया (Media) को Means of Empowerment for Development through Informed Action अर्थात ' विकास के लिए सुविचारित रणनीति के माध्यम' के रूप में परिभाषित किया था। वर्तमान संदर्भों में अंग्रेज़ी के Media शब्द में D वर्ण के मायने बदल कर संभवतः Disaster Management या आपदा प्रबंधन अथवा Dealing with Pendemic अर्थात संक्रमण से जूझना, ज्यादा समीचीन हैं। लेकिन मीडिया जन सामान्य के सशक्तिकरण का माध्यम है और खासकर वर्तमान आपदा की स्थिति में तो यह बात तय है।

कोरोना संक्रमण के दौर में मीडिया की भूमिका

अनिश्चितता और असमंजस के इस दौर में हम इस चिंता के कारणों, कारकों और प्रभावों, इसकी संभावित अवधि तथा इस दौर से उबरने के उपायों के बारे में सारी जानकारी चाहते हैं। इस वर्ष जनवरी से ही प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया में इस प्रकार की जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही है। लोगों को सूचना उपलब्ध कराने, उन्हें शिक्षित करने, उन्हें सशक्त बनाने में मीडिया की महती भूमिका की सराहना करता हूं।

गत वर्ष दिसंबर में इस संक्रमण की खबर आने के बाद से ही मीडिया वुहान से लेकर WHO तक, हर जगह हर मोड़ पर उपस्थित रहा है, उसने हर सूचना, हर परिपेक्ष्य और दृष्टिकोण से लोगों को अवगत कराया है, हर नए आयाम की सूचना दी है, विशेषज्ञों के विश्लेषण से लोगों को जागरूक किया है।

मैं स्वयं प्रिंट मीडिया को बारीकी से पढ़ता हूं। कोरोना वायरस और महामारी से संबंधित खबरों को अखबार में जितना स्थान दिया जाता है, उतना तो युद्ध के समय में युद्ध की रिपोर्टिंग को भी नहीं दिया जाता। सूचना के लिए लोगों जिज्ञासा को पूरा करने के लिए नए नए उपाय किए गए हैं, नई जगह बनाई गई हैं। इस व्याधि के विषय में खबरें और विश्लेषण आज भी एक अभियान के रूप में चलाया जा रहा है।

प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में आज भी मास्क पहनने, हाथ धोने, भीड़ से बचने, सामाजिक दूरी बनाए रखने को लेकर जागरूकता अभियान चल रहे हैं क्योंकि इस संक्रमण से बचने के यही कुछ जरूरी उपाय हैं।

प्रवासी मजदूरों जैसे समाज के दुर्बल वर्गों की स्थिति के उपर टेलीविजन की रिपोर्टों ने समाज में व्याप्त असमानता के बारे लोगों की संवेदना को झकझोरा है। हालाकि टेलीविजन के कुछ वर्ग को इस स्थिति को सनसनीखेज बनाने से भी बचना चाहिए। समाज में अनावश्यक भय पैदा करने से कोई लाभ न होगा बल्कि लोगों में चिंता और अवसाद और बढ़ने से हानि ही होगी।

सोशल मीडिया का चरित्र भिन्न है। इसने बंदी के दौरान लोगों में संपर्क और संवाद कायम रखने में बड़ी मदद की है।लेकिन सोशल मीडिया का एक दूसरा पक्ष भी है, संक्रमण के बारे अप्रमाणिक सूचना और सनसनीखेज अफवाहों को फैलाने का। इस पर प्रायः अप्रमाणिक उपचार तजवीज किए जाते हैं, संक्रमण के बारे में अनावश्यक मिथक को प्रचारित किया जाता है।

इंटरनेट का प्रयोग करने वाले नेटिजंस की ज़िम्मेदारी है कि वे देखें कि इंटरनेट पर सिर्फ प्रामाणिक सूचना ही प्रसारित प्रचारित की जाय। मैंने हमेशा माना है कि प्रामाणिक सूचना आपको शक्ति प्रदान करती है और अप्रमाणिक अफवाह अनजान और अवांछनीय परिणामों को जन्म देती है।

मीडिया: सरकार और जनता के बीच का पुल

मीडिया को प्रायः चौथा स्तंभ कहा जाता है जो विधाई निकायों और उसकी संरक्षक, जनता, के बीच द्विपक्षीय संवाद को सुगम बनाता है, दोनों के बीच पुल का काम करता है। महामारी के इस दौर में यह भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।

संक्रमण के विरुद्ध इस अभियान में, केंद्र और राज्य सरकारों, दोनों ने अपने अपने क्षेत्र में सरनायक की भूमिका अख्तियार कर रखी है।रोगियों की बढ़ती संख्या, संक्रमण के रुझान, उसे रोकने की नई रणनीति, उपचार पद्धति और प्रोटोकॉल, दवाओं, अस्पतालों, बिस्तरों, पीपीई किट्स आदि की उपलब्धता, वैक्सीन की दिशा में हुई प्रगति, दुर्बल वर्गों की सहायता के लिए सरकार द्वारा शुरू किए जा रहे कार्यक्रम और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर दैनिक ब्रीफिंग, नागरिकों के लिए प्रामाणिक सूचना का महत्वपूर्ण माध्यम रही है जिससे वे इस संक्रमण से उबरने में सक्षम बन सके हैं। उद्विग्नता के इस दौर में लोगों तक आवश्यक सूचना पहुंचाने में मीडिया की भूमिका अभिनंदनीय रही है। यदि मीडिया पुल की यह भूमिका न निभाता तो सरकार और जनता के बीच संवाद और सूचनाओं का आदान प्रदान संभव ही न होता।

मीडिया नियमित रूप से विशेषज्ञों को बुला कर, लोगों को संक्रमण से निरापद रहने के उपायों जैसे पौष्टिक आहार, शारीरिक व्यायाम, योग, ध्यान आदि के महत्व से अवगत कराता रहा है।

मेरा परामर्श होगा कि यदि मीडिया इस दिशा में किसी व्यक्ति, समूह, समुदाय या प्रशासन की सफलता के बारे में सकारात्मक रिपोर्टों को उजागर करे तो इससे जन जागृति में बड़ी सहायता मिलेगी। मीडिया को अन्य देशों और प्रदेशों की सरकारों द्वारा अपनाई जा रही सफल कारगर प्रणालियों का भी प्रचार करना चाहिए, इससे लोगों में विश्वास बढ़ेगा और प्रेरणा भी मिलेगी।

प्रवासी मजदूरों की विपदा और कष्टों को उजागर करने में मास्क लगाए पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।इसमें कई तो स्वयं भी संक्रमित हो गए और कई मीडियाकर्मियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु भी हुई है। मैं ऐसे साहसी कर्तव्य निष्ठ मीडियाकर्मियों को सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके परिजनों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। मीडियाकर्मी भी कोरोना के विरुद्ध इस अभियान में अग्रणी योद्धा रहे हैं।

मीडिया पर भी इस आपदा का असर हुआ है लेकिन वह इस अभियान में डटा रहा है

दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह महामारी एक आपदा साबित हुई है। सेवा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण घटक होने के नाते, मीडिया क्षेत्र को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। प्रतिबंधों के कारण अर्थव्यवस्था के संकुचित हो जाने से, विज्ञापन राजस्व घट गया। सामान्य परिचालन स्तर को भी घटाना पड़ा और बड़ी संख्या में मीडियाकर्मियों के वेतन में कटौती करनी पड़ी। लेकिन कुल मिलाकर मीडिया ज़रूरत की घड़ी में लोगों को सशक्त बनाने के मिशन के साथ बना रहा। मैं इस भावना की सराहना करता हूं।

प्रिंट मीडिया भी एक अन्य समस्या से जूझता रहा है। शुरुआत के कुछ दिनों में तो समाचार पत्र ही वितरित नहीं किए जा सके थे क्योंकि उनसे वायरस फैलने का संदेह था। कुछ स्पष्टीकरणों के बाद, वितरण फिर से शुरू हुआ। हालांकि मुझे बताया गया है कि कुछ पाठक अभी भी अपनी प्रतियां नहीं ले रहे हैं।

इस महामारी के इतिहास के साक्षी इतिहासकार के रूप में मीडिया

इस अवधि में मीडिया का एक और महत्वपूर्ण कार्य यह रहा है कि यह इस महामारी के सामाजिक आर्थिक प्रभावों को रिकॉर्ड करता रहा है। मानव इतिहास में महामारी के इस दौर का प्रमाणिक इतिहास, भावी पीढ़ियों के लिए मीडिया लिखेगा।

एजेंडा का निर्धारण

महामारी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए, मीडिया में इस संक्रमण, उसके प्रबंधन पर तथ्यात्मक और विश्लेषणात्मक दस्तावेज़ उपलब्ध हैं, जो हमारे विधाई निकायों में इस महामारी के प्रबंधन पर चर्चा के लिए एजेंडा निर्धारित करेंगे। भविष्य में इस महामारी से संबद्ध प्रासंगिक मुद्दों को उठाने के लिए, विश्लेषणात्मक लेखों सहित मीडिया की रिपोर्टें ही प्रमुख संदर्भ स्रोत होंगे।

संसदीय समीक्षा

इस संदर्भ में, महामारी के प्रबंधन की संसदीय समीक्षा के विषय को उठाया जा सकता है जिसकी चर्चा मीडिया में कहीं कहीं की भी जा रही है।

संसद के पिछले बजट सत्र को तय समय से कुछ दिन पहले ही रोकना पड़ा क्योंकि सांसद इस संकट की घड़ी में अपने लोगों के साथ रहना चाहते थे। तदनुसार 23 मार्च, 2020 को दोनों सदनों को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। संविधान के अनुसार, संसद को अंतिम बैठक के छह महीने के भीतर पुनः बैठक करनी होती है। अतीत में कुछ अपवादों के साथ, आम तौर पर, मानसून सत्र हर साल जुलाई में शुरू होता है।

इस वर्ष महामारी के कारण स्थिति असामान्य है। केंद्र और राज्य सरकारें पिछले चार महीनों से एक एक दिन महामारी से निपटने में जुटी हैं। जन प्रतिनिधि, प्रतिबंधों के अनुशासन में भी अपने लोगों और स्थानीय निकायों के साथ मिल कर काम कर रहे हैं। हाल तक देश भर में यात्रा पर प्रतिबंध थे।

मई में घरेलू हवाई यात्रा पर प्रतिबंधों में ढील देने और रेल यात्रा पर से भी कुछ हद तक रोक हटने के साथ, इस महीने से संसद के दोनों सदनों की विभाग संबंधी स्थायी समितियों ने अपनी बैठकें फिर से शुरू कर दी हैं। उन्होंने महामारी के प्रबंधन और इसके विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की है। इसका मतलब यह है कि देश की शीर्ष विधायिका की आखिरी बैठक के साढ़े तीन महीनों में ही महामारी के प्रबंधन की संसदीय समीक्षा शुरू हो गई है। देश के मौजूदा हालात देखते हुए, इससे कम समय में संसदीय समीक्षा करना संभव भी नहीं था।

मैंने और माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने संसदीय समितियों की बैठकों और संसद के मानसून सत्र को लेकर, अब तक कई बैठकें की हैं। संक्रमण से बचने के लिए जरूरी सामाजिक दूरी के मानदंड को देखते हुए, सांसदों के बैठने की व्यवस्था के लिए विस्तृत विचार-विमर्श और योजना की आवश्यकता है। सरकार ने भी मानसून सत्र सुनिश्चित करने के लिए हाल ही में दोनों पीठासीन अधिकारियों से बात की है। हम इसके लिए तैयारी कर रहे हैं।

अंत में, मैं एक बार फिर, इस महामारी से निपटने के लिए लोगों को सूचित करने, शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने के अपने दायित्व का प्रभावी ढंग से निर्वहन करने के लिए और इस संकट के दौरान एक भरोसेमंद साथी के रूप में हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने के लिए, मीडिया और मीडियाकर्मियों का अभिनंदन करता हूं। आइए, हम सभी उनके योगदान का सम्मान करें, और उनकी हौंसला अफजाई करें।

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