हुजैफा आमिर रशादी (Hony. Secretary AMUSU) का जेल से Alig Fraternity के नाम खुला खत

Respected/Dear Aligs,
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाही व बरकातुहू
उम्मीद हैं आप खैरियत से होंगे ? आपकी दुआओं से हम भी यहां जेल में बखैर हैं। ज़िंदगी मे कभी सोचा नही था कि इतनी कम उम्र में जेल देखने की नौबत आन पड़ेगी पर ये इत्मीनान भी है कि कोई गैर क़ानूनी या ग़लत काम करके जेल नही आये हैं बल्कि जेल आकर सुन्नत ए रसूल अदा की और मोहम्मद अली जौहर, भगत सिंह व अशफाकुल्लाह खान जैसे मुजाहिद ए आज़ादी की रवायत को आगे बढ़ाया है। पिछला हफ्ता AMU और मेरी निजी जिंदगी में बहुत सारी उथल पुथल लेकर आया। यूनिवर्सिटी के नए सेशन के पहले दिन ही यूनिवर्सिटी में Voice of Dissent, Democracy & Diversity को दबाने के लिए वो कुछ हुआ जो शायद आज से पहले कभी नही हुआ था। 24 घण्टे के अंदर ही हमारी Personal और Academic Life में इतना कुछ कर दिया गया कि हम खुद कुछ न समझ सके तो दूसरों को क्या समझाते।
निसार मैं तिरी गलियों के ऐ वतन कि जहाँ,
चली है रस्म कि कोई न सर उठा के चले।
Alig Fraternity की अक्सरियत पूरे मामले व बुनियादी मुद्दों और एहतेजाज की वजोहात से वाकिफ़ ही न हो सकी और तमाम अफवाहों और आकलनों का दौर शुरू हो गया जो की अभी तक जारी है। हद तो ये हुई कि यूनिवर्सिटी इन्तेज़ामिया के एकतरफा version और sponsored खबरों और मुखाल्फीन की अफवाहों ने हमे ही शक के दायरे में ला खड़ा किया कि हम अपने निजी फायदे के लिए दबाव बना रहे थे, क्या ज़ाती फायदे की बात अवामी जगह पे इस अंदाज में होती है या बंद दरवाजों के पीछे होती है? अखबारों और अफवाहों के ज़रिए लगातार हमे ही miscreant और criminal की तरह पेश किया जा रहा है यही नही हालात का फायदा उठाते हुए कुछ लोग सियासी/ज़ाती अदावत में या किसी के इशारे पर मेरी ज़ातीयात, मेरे खानदान पे तंज़ और यहां तक कि मेरा "Character Assasination" तक करने की साज़िश कर रहे हैं।
उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़,
हमें यक़ीं था हमारा ही क़ुसूर निकलेगा।
इन हालात में ये लाज़िम है कि तमाम वाक़्यात का सिलसिलेवार ज़िक्र किया जाए ताकि हक़ीक़त से आप सब वाकिफ हो सकें और सही ग़लत का फैसला कर सकें।
1. 27 जुलाई को मुझे कई तलबा और कुछ बुल्स से खबर मिली कि यूनिवर्सिटी सर्किल के पास एक पुलिस चौकी बनाई जा रही है और फिर जिस तरह से पिछले कुछ महीनों से लगातार AMU कैम्प्स में पुलिस के आमदो रफ्त बढ़ी है जो कि AMU के "Autonomous Structure" के खिलाफ है इसे लेकर तलबा ने फिक्र का इज़हार किया। जिसपर मैंने उन्हें AMU प्रॉक्टर व रजिस्ट्रार साहेबान से बात कर हल निकालने का भरोसा दिलाया।
2. 29 जुलाई को कई सारे तलबा जिन्हें लगभग पूरे एक सेशन तक चली जांच के बाद यूनिवर्सिटी की Examination Committe ने Debarred कर दिया था ने मुझसे राब्ता किया और बताया कि लगभग 40 तलबा को Debarred कर दिया गया है और "Competent Authorities" के यहां ब्ज़ाबता दर्जनों शिकायत दर्ज कराने के बाद भी कोई सुनवाई नही हो रही है जिसके बाद मैं 29 जुलाई को कॉन्ट्रोलर ऑफिस उन तमाम तलबा के साथ गया जिनका 1 साल पहले ही ज़ाया हो चुका था और अब उन्हें मज़ीद 6 महीने से 4 साल तक के लिए debarred कर दिया गया था और इसमें बहुत से ऐसे थे जिनका PG में एडमिशन हो गया था, कुछ जॉब में चले गए थे वगैरह। कॉन्ट्रोलर ऑफिस से मुझे इस मसले पे भी ऊपर रजिस्ट्रार य VC साहेबान से राब्ता करने को कहा गया जिसके बाद मैंने रजिस्ट्रार साहब के ऑफिस जा उनके PRO से मिलने का वक़्त मांगा ताकि पुलिस चौकी व डिबार दोनों मसलों पे बात कर सकूं। मुझे इंतेज़ार करने को कहा गया और कुछ देर बाद जब फिर मैने रजिस्ट्रार साहब से मिलने की कोशिश की तो मिलने से मना कर दिया गया और न शाइस्ता ज़बान इस्तेमाल की गई जिसके बाद वहां बाक़ी दोनों AMUSU चेयर आ गईं और हमने जम्हूरी अंदाज़ में अपना एहतेजाज और एतराज़ दर्ज कराया और वहां से रवाना हो गए जिसके बदले अगले दिन 30 जुलाई को मेरे साथ 3 दीगर नौजवानों पे 5 संगीन दफ़ाओं में मुक़दमा दर्ज करा दिया गया और उसी शाम नाएब सदर हमज़ा सुफ़ियान को यूनिवर्सिटी से सस्पेंड कर दिया गया।
3. 31 जुलाई को AMUSU ने शाम को 4 बजे एक GBM बुलाई और वहां सदर AMUSU की क़यादत में मौजूद तमाम तलबा की अक्सरियत राय से तय हुआ कि VC साहब के पास चला जाये और उनसे बात की जाए कि आखिर तलबा के मसाएल किसके सामने और कैसे रखा जाए कि मसाएल हल हो सकें क्योंकि रजिस्ट्रार साहब से बात करने गए तो बैरंग मुक़दमे और सस्पेंशन के साथ लौटना पड़ा। VC ऑफिस पहुंचने पे जब पता चला कि VC साहब नही हैं तो हम सब चुंगी गेट पर जाकर धरने पे बैठ गए और जम्हूरी अंदाज़ में अपना एहतेजाज करने लगे। इस दौरान हमारे सीनियर्स ने लगातार कोशिश करी कि VC साहब से हमारी बात हो जाये ताकि कुछ हल निकाला जा सके हमारी "Charter of Demands" का पर बात तो न हो सकी हाँ कुछ देर बाद मेरा भी सस्पेंशन आर्डर आ गया। इन्तेज़ामिया का ये कदम साफ तौर पे Unjust और Autocratic था फिर भी हम रात भर खामोशी से धरने पे बैठे रहे।
4. 1 अगस्त को हम फिर सुबह VC साहब से बात करने कॉन्ट्रोलर ऑफिस पहुंचे तो हमे फिर उनसे मिलने नही दिया गया और सैकड़ों की तादाद में हमारे मुक़ाबिल RAF, PAC और पुलिस को ला खड़ा कर दिया गया। हमने गुज़ारिश की, कि एक बार हमारी बात डायरेक्ट VC साहब से करा दी जाए क्योंकि हमें यकीन था कि उनकी "Utmost Priority" हमारा "Welfare" है तो वो हमारी बात को समझेंगे पर जवाब में "NO" ही आया। हमने इन हालात में भी "Democratic Way" में ही अपनी बात रखने की कोशिश की थी पर हमारी बात पर अमल तो दूर उसे सुनना भी गवारा नही किया गया। बल्कि हमारी यूनियन के इत्तेहाद को कमज़ोर करने के लिए इन्तेज़ामिया ने सिर्फ सदर साहब को अकेले VC साहब से मिलने के लिए बुलाया जिसका इनकार कर दिया गया। अब ऐसी बेरुखी, एक तरफ़ा कार्यवाही, इस्तेहसाल और पुलिस की चौतरफा घेरेबन्दी में हमने यही बेहतर समझा कि जब हमारे बड़े हमारी बात सुनने तक को राजी नहीं हैं और और हमे गिरफ्तार कराना ही चाहते हैं तो हम खुद उनकी तमन्ना पूरी कर देते हैं और इससे पहले की शेरवानी पे पुलिस अपना हाथ लगाए हमने खुद अपनी गिरफ्तारी दे दी। उसी रात मुझे और VP हमज़ा सुफ़ियान साहब को जेल भेज दिया गया और एक बार फ़िर साज़िश के तहत सदर साहब और 1 कैबिनेट मोइन साहब को बरी कर दिया गया।
उसी रात सवा घण्टे में यूनिवर्सिटी इन्तेज़ामिया ने दर्जनों दफाओं में 3 और मुक़दमे दर्ज करा दिए और हमारे साथ कई दीगर को नामज़द कर दिया। अफसोस तो ये कि इनमे 9 और 10 के मासूम बच्चों को भी बक्शा नही गया।
आज हम यहां भले ही जेल की सलाखों के पीछे क़ैद हैं पर हम तो यही सोचते रहे कि AMU हमारा घर है, हमारी पहचान है और शेखुल जामिया (VC साहब) हमारे "Guardian" हैं, हमारे "Chief Patron" हैं, हमारे "रूहानी वालिद" हैं पर हम ये समझने से क़ासिर हैं कि हमने ऐसा क्या जुर्म किया था कि इतनी सख्त सज़ा दे दी गयी, गर मान लेते हैं कि हमने कोई गलती की, जुर्म किया तो क्या हमारे Patron होने के नाते आप कम से कम सिर्फ एक बार हमारी बात सुन तो लेते और फिर हमें तमाम सज़ा दे देते। ऐसा क्या जुर्म हमने कर दिया था कि आप को हमसे एक मुलाक़ात भी गवारा न हुई। गर आपको लगा कि हम नादानी में या जान बूझ कर गलतियां कर रहे थे तो कोई उस्ताद, कोई बड़ा हमे आकर एक बार ही सही अपने बच्चे की तरह समझाया तो होता, हमसे हमारी तकलीफ तो पूछा होता? जो आया वो अफसर, अधिकारी, फोर्स या इन्तेज़ामिया होने के धौंस में ही आया, कोई तो गार्डियन बन कर आया होता। हमने ज़िद की तो आपने कौनसा बड़ा दिल दिखाया? हमने वक़्ती गुस्से का इज़हार किया तो आपने हमारे करियर और ज़िंदगी के साथ अपने गुस्से का इज़हार कर दिया? क्या आप हमारे रूहानी वालिद" और हम आपकी औलाद नही हैं? क्या आप अपने सगे बेटे के साथ भी ऐसा ही सख्त सुलूक करते? क्या उन्हें भी ऐसे ही अपनी बात रखने का एक मौका भी न देते? हमारी जदोजहद कभी अना या जीत हार की नही थी बल्कि "Student Cause" की थी वो चाहे कैम्पस के अंदर की हो या बाहर। आपने हमे हराने के लिये Suspension से Rustication तक कर डाला, मुक़दमों से लेकर जेल तक भेजवा दिया पर आप एक बार ये कह देते की ये लड़ाई हार-जीत की है तो हम खुद ही हार मान लेते। चलिए अब से मान लेते हैं कि आप जीत गए और हम हार गए, सिर्फ हम ही नही बल्कि AMU भी हार गया क्योंकि आपकी जीत का खौफ ही तो था कि हमारी गिरफ्तारी के बाद भी कैम्पस में एक पत्ता तक न हिल सका, ये आपकी की जीत ही तो है की AMUSU के Hony. Secretary और Vice President को दुनिया के सामने एक क्रिमिनल की तरह पेश कर दिया गया। ये आपकी जीत ही तो है कि एक बड़े तबके के जहन में ये बात पेवस्त करदी गयी की हम ही गलत हैं, न किसी ने हमारा नज़रिया जाना न हमे अपनी बात ही रखने का मौका मिला।
सर! आपको और रजिस्ट्रार साहब को जीत मुबारक! उम्मीद है आप दोनों को फख्र होगा इस जब्र भरी जीत पर।
मैं हर उस तलबा, अपने सीनियर्स, असात्ज़ा और दीगर अलीग बिरादरान व बहनों का शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने किसी भी शक़्ल में मेरा साथ दिया है और दे रहे हैं और उन लोगों का और ज़्यादा शुक्रिया जिन्होंने साथ नही दिया क्योंकि आपने सीख दी है जो मुझे ता उम्र काम आएगी। जिन्हें ये लगता है कि मेरा हौसला टूट जाएगा तो उन्हें अफसोस होगा कि मैं और मज़बूत व पुख्ता हुआ हूँ और दानिशमंद भी।
मैं चराग़ हूँ जिसकी लड़ाई अंधेरों से है, मैं जहां रहूँगा रौशनी लुटाऊँगा।
आखिर में आप सभी को बक़रा ईद की पेशगी मुबारकबाद क्योंकि हालात तो ऐसे बना दिये गए हैं कि शायद हमारी ईद भी यही हो पर उसमे भी अल्लाह का शुक्र होगा कि ईद तो जेल वालों की भी होती है।
वस्सलाम!
दुआओं का तालिब,
Huzaifa Aamir
Hony. Secretary (AMUSU)
4th August, 2019
Aligarh Jail, Aligarh
Next Story
epmty
epmty