पीएम नरेन्द्र मोदी ने 'Chandra Shekhar- The Last Icon of Ideological Politics' पुस्‍तक का विमोचन किया

पीएम नरेन्द्र मोदी ने Chandra Shekhar- The Last Icon of Ideological Politics पुस्‍तक का विमोचन किया

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज 'चंद्रशेखर- द लास्‍ट आइकन ऑफ आइडियोलॉजिकल पॉलिटिक्स' पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्‍तक की रचना राज्‍यसभा के उपसभापति हरिवंश और रवि दत्‍त बाजपेयी ने की है। पुस्‍तक विमोचन समारोह का आयोजन बालयोगी ऑडिटोरियम, संसद पुस्‍तकालय भवन में किया गया।

प्रधानमंत्री ने पुस्‍तक की प्रथम प्रति उपराष्‍ट्रपति एम.वेंकैया नायडू को भेंट की।


इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के राजनीतिक संदर्भ में यह उल्‍लेखनीय है कि निधन के लगभग 12 वर्ष बाद भी पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के विचार हमारा मार्गदर्शन करते हैं और हमेशा की तरह जीवंत हैं।

हरिवंश को इस पुस्‍तक की रचना करने के लिए बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने चंद्रशेखर के साथ जुड़ी कुछ यादें और उनके साथ हुई अपनी बातचीत के किस्‍से साझा किये।

उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि वे पहली बार 1977 में चन्द्रशेखर से मिले। वे पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के साथ यात्रा कर रहे थे और दिल्ली एयरपोर्ट पर चन्द्रशेखऱ से मिले। उन्होंने कहा कि दोनों राजनेताओं के बीच राजनीतिक विचारधारा में अंतर होने के बावजूद नजदीकी संबंध था।

प्रधानमंत्री ने याद करते हुए कहा कि चन्द्रशेखर अटल बिहारी वाजपेयी को गुरूजी कहकर संबोधित करते थे। उन्होंने चन्द्रशेखर के बारे में कहा कि वे एक सिद्धांत वाले व्यक्ति थे जिन्होंने अपने समय की मजबूत राजनीतिक पार्टी का विरोध करने में भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई, क्योंकि वे कुछ मामलों पर उस राजनीतिक पार्टी से असहमत थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मोहन धारिया और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे राजनीतिक नेता चन्द्रशेखर का बहुत सम्मान करते थे।

नरेन्द्र मोदी ने चन्द्रशेखर के साथ अपनी अंतिम मुलाकात का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री बीमार थे और उन्होंने टेलीफोन पर मुझे मुलाकात करने का आमंत्रण दिया। उस बातचीत में चन्द्रशेखर ने गुजरात के विकास के बारे में पूछताछ की और कई राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।

प्रधानमंत्री ने उनके विचारों की स्पष्टता, लोगों के लिए प्रतिबद्धता तथा लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति समर्पण की सराहना की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों, गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों के लिए श्री चंद्रशेखर जी द्वारा की गई ऐतिहासिक 'पदयात्रा' को भी स्मरण किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम उस समय उन्हें वह सम्मान नहीं दे पाए जिसके वे हकदार थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे लोगों की एक चौकड़ी है जिन्होंने डॉ. अंबेडकर और सरदार पटेल सहित कुछ महान भारतीय नेताओं की प्रतिकूल छवि बनाने की कोशिश की है। उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का एक संग्रहालय दिल्ली में बनाया जाएगा। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिजनों से इन प्रधानमंत्रियों के जीवन एवं उत्कृष्ट कार्यों के विभिन्न पहलुओं को साझा करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि देश को राजनीतिक अस्पृश्यता से परे एक नई राजनीतिक संस्कृति की जरूरत है।

चंद्रशेखर जी अनुकरणीय व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा लें युवा राजनेता और सांसद : उपराष्ट्रपति

विचार, व्यवहार और आचरण में मर्यादा के कायल थे चंद्रशेखर

उपराष्ट्रपति ने दिल्ली में सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के व्यक्तित्व और कृतित्व को दर्शाने के लिए संग्रहालय बनाने का स्वागत किया

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि "आज जब सिद्धांतनिष्ठ राजनीति का चिंतनीय ह्रास हो रहा है, मुझे विश्वास है कि युवा पीढ़ी के राजनेता और सांसद, चंद्रशेखर के जीवन से प्रेरणा लेंगे।" उन्होंने बल देते हुए कहा कि " आज यह आवश्यक है कि लोग ऐसे व्यक्तित्व और कृतित्व से प्ररेणा लें जिसने बदलती राजनीति में भी अपने राजनैतिक विचारों, विश्वासों, सिद्धांतों का समझौता नहीं किया।"

आज संसद परिसर स्थित बालयोगी सभागार में आयोजित कार्यक्रम में राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश तथा रवि दत्त वाजपेई द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर जी पर लिखी पुस्तक " Chandra Shekhar- The Last Icon of Ideological Politics" की पहली प्रति प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से साभार स्वीकार करते हुए, राज्यसभा के सभापति श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि "मेरे लिए और राज्य सभा के प्रत्येक सदस्य के लिए यह गौरव और हर्ष का विषय है कि चंद्रशेखर ने, 1962 में, 35 साल की युवा आयु में ही अपना संसदीय कैरियर, वरिष्ठों के सदन, राज्य सभा से प्रारंभ किया।"

उन्होंने कहा कि यह पुस्तक सामान्य परिवार में जन्मे एक ऐसे लोकप्रिय राष्ट्रीय जननेता का जीवन वृत्त है जिसके पास न कोई वंशानुगत राजनैतिक पृष्ठभूमि थी, न विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने के अवसर, न समृद्ध वंश के संसाधन और न ही वर्ग, जाति, धर्म पर आधारित वोट बैंक।

चंद्रशेखर के राजनैतिक आदर्शों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि "चंद्रशेखर हमेशा मानते थे कि राजनीति हाशिए पर खड़ी जनता की सेवा का माध्यम है, सिर्फ सत्ता मात्र प्राप्त करने का साधन नहीं।"

उपराष्ट्रपति ने चन्द्रशेखर द्वारा स्थापित संसदीय आचरण के उच्च मानदंडों की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि चंद्रशेखर जी सदैव विचार, व्यवहार और आचरण में मर्यादा के कायल रहे। वरिष्ठों और सहयोगियों के प्रति आदर, कनिष्ठों के प्रति स्नेहिल सद्भाव, आचरण में मर्यादित सौम्यता और बराबरी का व्यवहार, चंद्रशेखर जी की जीवन शैली की नैसर्गिक प्रवृत्ति रहे। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर जी न केवल आदर्शों और विचारधारा पर आधारित राजनीति के हिमायती थे, उन्होंने विचार के साथ आचार और आचरण की मर्यादा का सदैव पालन किया।

आपातकाल के दौरान हुए अधिकारों के हनन की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने उस अवधि में श्री चंद्रशेखर की महत्वपूर्ण भूमिका का ज़िक्र किया। उन्होंने याद दिलाया कि व्यक्ति - परस्त तानाशाही के विरूद्ध जेल जाने वाले महत्वपूर्ण नेताओं में चंद्रशेखर भी थे जो उस समय सत्ताधारी दल में ही थे।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने चन्द्रशेखर की कन्याकुमारी से राजघाट तक की पदयात्रा का ज़िक्र करते हुए कहा कि चन्द्रशेखर सदैव आम आदमी की ज़मीनी सरोकारों से जुड़े रहे।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री द्वारा दिल्ली में सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के व्यक्तित्व और कृतित्व को दर्शाने के लिए एक संग्रहालय के निर्माण की घोषणा का स्वागत किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ लोक सभा अध्यक्ष,ओम बिरला, राज्य सभा में विपक्ष के नेता, गुलाम नबी आजाद, राज्य सभा के उपसभापति और पुस्तक के लेखक हरिवंश तथा अनेक मंत्री, सांसद एवं गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।


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