मॉब लिंचिंग पर सेक्यूलर लीडर की खामोशी मानीख़ेज़

बेशक हमारा प्यारा वतन एक महान देश हैl पूरी दुनिया में यहाँ की सभ्यता व संस्कृति ज्ञान व कला की प्राचीन काल में भी शोहरत व अज़मत थी और आज भी उन्हीं विशेषताओं के लिए जाना जाता हैl वर्तमान काल में विज्ञान और तकनीक ने और इस देश को उंचाई के शिखर तक पहुंचा दिया हैl इसके साथ साथ लोकतांत्रिक भारत के आंदोलन का इतिहास भी एक ऐसी रचनात्मक उदाहरण है जहां विभिन्न धर्मों और भाषाओं से संबंध रखने वाले शांति और अमन व सलामती के साथ रहते हैंl इस देश की यह विशेषता है कि देश की स्वतन्त्रता के बाद यहाँ दुनिया के सभी देशों से अधिक राजनीतिक पार्टियां हैं और अपने रंग व बू और पहचान के साथ सम्मान से जीवन व्यतीत करते हैंl इस प्रकार तो तकदीर लिखने वाले ने मानव जीवन को कलह और संघर्ष पर आधारित विभिन्न श्रेणियों में बाँट दिया है जैसा कि आदम की औलाद प्रारम्भिक सृजन से ही अपने लाभ के प्राप्ति के लिए आपस में लड़ रहे हैं, यहाँ तक कि कत्ल व गारत गरी जैसे गंदे काम पर भी इंसान ने दरेग नहीं किया हैl कत्ल का अमल विभिन्न तरीकों से पेश आता हैl अनजाने में कत्ल, जान बुझ कर कत्ल, धोके से कत्ल, राजनीतिक कत्ल और आजके आधुनिकता और शिक्षा से सजे दौर में मॉब लिंचिग, जहां लोग बाग़ इस अमल पर वीडियो बनाते हैं, इसे अपलोड करते हैंl फिर मामला राजनीतिक हो जाता है और फिर राजनीतिक पार्टियां अपने हित की रोटियाँ सेंकना शुरू कर देती हैंl इसमें कुछ पार्टियां खुद को सेकुलरिज्म, हम आहंग, बराबरी, रवादारी आदि जैसे अस्नाफ का दम भर्ती हैं बल्कि सेकुलरिज्म की अलमबरदार होने का दावा भी करती हैंl
ऊपर की कुछ लाइनें पुर्णतः देश के वर्तमान स्थिति को प्रतिबिंबित करती हैंl बिलकुल ताज़ा मॉब लिंचिग की घटना प्यारे देश के एक राज्य झारखंड में पेश आया हैl इस आतंकी हत्या ने सेकुलरिज्म का ढोंग करने वाली राजनीतिक पार्टियों की कलई खोल दी है लेकिन देश के इंसानियत पसंद और न्याय व इन्साफ पर ईमान रखने वाले वर्गों ने इस मामले में देश व्यापी स्टार का विरोध प्रदर्शन कर के इन पार्टियों को आइना दिखाया है कि जो अब तक मुस्लिम दोतों के दम पर सत्ता के मज़े लुटती रही हैंl इस मॉब लिंचिंग के प्रतिक्रिया में अराजनीतिक पार्टियों और संगठनों ने बड़े पैमाने पर देश के सारे राज्यों में यहाँ तक कि वैश्विक स्तर पर इस स्थिति पर गम व गुस्से का इज़हार किया है, इसे इंसानियत दुश्मन तोले की तारीकियों में उम्मीद की एक मौहूम किरण करार दिया जा सकता है लेकिन इस मामले पर सेकुलरिज्म की मुद्दई पार्टियों की प्रतिक्रिया ना केवल अफसोसनाक है बल्कि उनकी अय्याराना रणनीति का सबूत भीl इस रणनीति का प्रदर्शन मॉब लिंचिंग पर पार्लियामेंट में की गई तकरीरों से ले कर देश भर और विशेषतः दिल्ली के जन्तर मंतर पर आयोजित विरोध प्रदर्शन में हुआl इस संदर्भ में सेकुलर पार्टियों के रवय्ये से यह स्पष्ट हो गया है कि ना तो इन पार्टियों की अल्पसंख्यक वर्गों पर होने वाले अत्याचार को रोकने में कोई दिलचस्पी है और ना उन्हें अपनी हार का ही कोई मलाल हैl यही कारण है कि मॉब लिंचिंग जैसा गंभीर सिलसिला तेज़ी से बढ़ रहा है यह पार्टियां किसी सख्त प्रतिक्रिया के इज़हार से गुरेज़ कर रही हैंl दिलचस्प बात यह है कि हिंसा और क़त्ल पर प्रतिक्रिया की जिम्मेदारी कथित सेकुलर पार्टियों ने अपने मुस्लिम पार्लियामेंट के मेम्बरों पर दाल दी हैl जैसे कांग्रेस का मुस्लिम चेहरा कहे जाने वाले गुलाम नबी आज़ाद ने पार्लियामेंट में यह समस्या उठाते हुए मोदी सरकार से कहा कि वह इस नए भारत की बजे उन्हें पुराना भारत ही लौटा देंl हालांकि ऐसा कहते समय वह शायद यह बात भूल गए कि जिस पुराने भारत की बात कर रहे हैं, उसमें भी मुसलमानों को आतंकवाद झूटे आरोपों में जेलों में डाला जाता रहा और फिरका वाराना दंगों में उनके जान व माल को निशाना बनाया गया सेकुरिज्म की मुद्दई सरकार मुसलमानों को सुरक्षा देने में असफल रहींl
बहर हाल, पार्लियामेंट के बाहर मॉब लिंचिंग पर कांग्रेस की तरफ से विरोध दर्ज कराने का काम मीम- अफज़ल ने किया लेकिन ना तो सोनिया गांधी, ना तादम ए तहरीर कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी और ना ही कांग्रेस की उम्मीदवार का नया केंद्र प्रियंका ने मॉब लिंचिंग पर कोई कड़ा स्टैंड विकल्प करने का इशारा दियाl इसके विपरीत राजस्थान में पहलु खान जिसको गौरक्षकों की एक भीड़ ने पीट पीट कर मार दिया था, वर्तमान कांग्रेस सरकार ने उसके और भीड़ के हाथों मौत से बाख जाने वाले उसके बेटे के खिलाफ गायों की स्मंग्लिंग के केस में चार्जशीट दाखिल कर दी हैl
बिहार में मुस्लिम नवाज़ी का दम भरने वाली आर जे डी, मुस्लिम वोटों के सहारे बिहार में कई सीटें जीतने वाली पासवान की पार्टी या फिर नितीश कुमार जेडीयु ने भी इस इशु पर कोई स्पष्ट स्टैंड विकल्प नहीं किया लेकिन खुद नितीश या पासवान या आरजेडी के तेजस्वी यादव इस समस्या पर अब तक लगभग खामोश ही हैंl अधिकतर दोसरे राज्यों की पार्टियों का भी यही हाल है कि अब ऐसा महसूस हो रहा है कि वह हुजूमी क़त्ल पर ही नहीं बल्कि मुसलमानों के किसी भी समस्या पर लब कुशाई से गुरेज़ करेंगेl उत्तर प्रदेश जहां कांग्रेस के अलावा समाज वादी पार्टी, बी एस पी और राष्ट्रीय लोग लोक दल ने भी बीजेपी के खिलाफ इलेक्शन लड़ा था, अब अलग हो चुकी हैं अर्थात महा गठबंधन अपना अस्तित्व खो चुका हैl इस तथाकथित सेकुलर गठबंधन के टूटने का कारण भी असल में उनमें से अधिकतर पार्टियों के गैर मुस्लिम वोटरों का बीजेपी की तरफ चले जाना हैl
हुजूमी हिंसा के मामले में अखिलेश यादव ने भी अब तक कोई ऐसा बयान नहीं दिया है जिससे मुसलमानों के लिए उनकी हमदर्दी ज़ाहिर होती, बल्कि समाजवादी पार्टी के लीडर और मेम्बर पार्लियामेंट आज़म खान ने इस मामले में संसद में अपने भाषण के जरिये मुसलमानों का दर्द बयान करने की कोशिश की लेकिन सवाल यह है कि खुद अखिलेश इस मामले पर लोक सभा में क्यों नहीं बोले? इसका कारण भी वही है जिसका उल्लेख कांग्रेस के मामले में किया गया, बल्कि बीएसपी की तरफ से कुंवर दानिश अली ने अवश्य इस मामले में संसद में भी और संसद के बाहर जंतर मंतर के प्रदर्शन में भी आवाज़ उठाईl ममता बनर्जी भी भीड़ हिंसा की निंदा कर चुकी हैंलेकिन सेकुलरिज्म की दावेदार दोसरी पार्टियों ने हिन्दू वोटरों की नाराज़गी के खौफ से इस इशू पर निहायत मक्कारी से अपने मुस्लिम लीडरों को ही बयान देने के लिए आगे करके अपना दामन बचा लिया हैl शायद यह जमातें स्वीकार कर चुकी हैं भीड़ हिंसा इस देश का नहीं बल्कि मुसलमानों का मसला हैl हालांकि अमेरिका जैसे भारत के दोस्त देश के विदेश मंत्री पोम्पियो ने नई दिल्ली के अपने दौरे पर भारतीय नेताओं से अपनी मुलाक़ात में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा पर बहुत चिंता ज़ाहिर कीl जहां तक मुस्लिम संगठनों या राजनीतिक पार्टियों का संबंध है तो जमीयत ए उलेमा हिन्द और राजनीतिक पार्टियों में मजलिस इत्तेहादुल मुस्लेमीन, मुस्लिम लीग, उत्तर प्रदेश की उलेमा काउन्सिल व कुछ जमातों ने देश व्यापी प्रदर्शन में शिरकत करके इस मसले पर पहली बार मुनज्ज़म शकल में अपना विरोध दर्ज कराया जो काबिल ए तारीफ़ हैl
हालात को देखते हुए बेहद अहम बात यह है कि बीजेपी की फतह और तथाकथित सेकुलर पार्टियों ने सेकुलरिज्म के ठेकेदारों को कई महत्वपूर्ण मुद्दों और नीतियों के मामले में बेनकाब कर दिया है और मुसलमानों को यह सोचने का मौक़ा प्रदान कर दिया है कि वह सेकुरिज्म के झूटे लोली पाप से बाख कर किस तरह अपनी राजनीतिक शक्ति को बढ़ा सकते हैं और बिना किसी के रहम व करम के अपने व दोसरे इमानदार और इंसाफ पसंद लोगों के सहायता से साम्प्रदायिक शक्तियों को शिकश्त दे सकते हैं, क्योंकि सेकुरिज्म की बका केवल बातों से संभव नहींल
~डॉक्टर मोहम्मद अजमल