जन्मदिन विशेष : सर्वमान्य राजनीतिज्ञ है राजनाथ सिंह

वर्तमान में देश के रक्षामंत्री व पूर्व में केन्द्रीय गृहमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व सम्भाल चुके राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई 1951 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के निकटस्थ चंदौली जनपद स्थित छोटे से गांव भाभोरा निवासी किसान राम बदन सिंह व गुजराती देवी के पुत्र के रूप में हुआ था। राजनाथ सिंह ने होनहार बिरवान के होत चिकने पात वाली कहावत बचपन से ही चरितार्थ करनी आरम्भ कर दी थी।
बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस से राजनाथ की करीबी जगजाहिर है
राजनाथ सिंह 1964 में संघ परिवार से जुड़े थे और गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिक शास्त्र में प्रथम श्रेणी में आचार्य की डिग्री प्राप्त करने के बाद केबी डिग्री कालेज में भौतिकी के व्याख्याता (प्रोफेसर) नियुक्त हो गये थे, लेकिन उनका संघ से जुड़ाव बरकरार रहा, जिसके चलते 1974 में उनहें भारतीय जनसंघ का सचिव नियुक्त किया गया। उन्होंने साल 2000 में वहां से रिटायरमेंट लिया था। पद से रिटायर होने के बाद उन्हें सिर्फ 1350 रुपए पेंशन के तौर पर मिलते थे। रिटायरमेंट के बाद राजनाथ सिंह की पेंशन का एरियर 9500 रुपए बना था, लेकिन उन्होंने ये पैसे लेने से इंकार कर दिया था। इमरजेंसी के दौरान वे कई महीनों तक जेल में बंद रहने के बाद 1975 में राजनाथ सिंह को जन संघ ने मिर्जापुर जिले का अध्यक्ष बनाया गया। 1975 में ही जेपी आंदोलन का जिला संयोजक भी नियुक्त किया गया। बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस से राजनाथ की करीबी जगजाहिर है। आरएसएस के साथ उनके बेहतर रिश्ते का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आडवाणी के जिन्ना प्रकरण के बाद संघ ने राजनाथ को ही पार्टी के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी सौंपी थी।
राजनाथ सिंह 1977 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहली बार विधायक बने थे
राजनाथ सिंह 1977 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहली बार विधायक बनकर आए। 1994 में राजनाथ को भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रांतीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1991 में उन्होंने शिक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण किया। 1994 में वे राज्य सभा के सदस्य चुने गए। 1997 में उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 1999 में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री बने। बाराबंकी के हैदरगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजनाथ सिंह दो बार विधायक बने। 2002 में उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। 2004 में उन्हें एक बार फिर भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया। 24 मई 2003 को उन्हांेने केंद्रीय कृषि मंत्री और उसके बाद खाद्य प्रसंस्करण मंत्री के रूप में शपथ ली।
1991 में उन्होंने बतौर शिक्षा मंत्री एंटी-कॉपिंग एक्ट लागू करवाया था
राजनाथ सिंह एक कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते रहे हैं। जब कल्याण सिंह के नेतृत्व में यूपी में भाजपा और बसपा की गठबंधन की सरकार बनी थी, लेकिन कुछ ही समय बाद बसपा ने भाजपा से समर्थन वापस ले लिया था। इस बीच सरकार गिरने की कगार पर थी, लेकिन राजनाथ सिंह ने अपने नाम के अनुरूप अपनी बुद्धिमत्ता और राजनीतिक कौशल का परिचय देते हुए बसपा के 20 व कांग्रेस के भी करीब इतने ही विधायकों को अपने पाले में ले लिया। उन्होंने अधिकतर बसपा व कांग्रेस के क्षत्रिय नेताओं को तोड़ा था। जिसके बाद यूपी में भाजपा की सरकार गिरने से बच गई थी। इस घटना के बाद राजनाथ सिंह का राजनीतिक कद और बढ़ गया था। 1991 में उन्होंने बतौर शिक्षा मंत्री एंटी-कॉपिंग एक्ट लागू करवाया था। इसके साथ ही वैदिक गणित को भी सिलेबस में शामिल करवाया था।
हिंदी भाषण में देने वाले राजनाथ सिंह 20 अक्टूबर 2000 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे
अपने सभी भाषण हिंदी में देने वाले राजनाथ सिंह 20 अक्टूबर 2000 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि उनका कार्यकाल 2 साल से भी कम समय के लिए रहा। जब राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने, तो सरकार को सहयोग देने वाले कुछ राजनीतिक दल अपनी मौजूदगी को ही महत्व देते थे और हमेशा अपना ही हित आगे रखते थे। इनमें से एक थे लोकतांत्रिक कांग्रेस के नेता नरेश अग्रवाल जो समय-समय पर सरकार से गठबंधन खींचकर सरकार गिराने की धमकी देते थे। उस समय राजनाथ सिंह ने बड़ा फैसला लिया और नरेश अग्रवाल को मंत्रिपरिषद् से बर्खास्त कर दिया था, इतना ही नहीं इसकी जानकारी उन्होंने खुद नरेश अग्रवाल को फोन करके दी थी। इस कठोर निर्णय के बाद राजनाथ प्रदेश की जनता के हीरो बन गए थे। उसी दौरान मुख्यमंत्री रहते राजनाथ सिंह ने अपनी ही सरकार के राज्यमंत्री अमरमणि त्रिपाठी का न सिर्फ मंत्री पद छीना, बल्कि उन्हें गिरफ्तार भी करवाया था। सीएम रहते हुए राजनाथ सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान अति पिछड़े वर्ग को आरक्षण में आरक्षण दिए जाने का ऐलान किया था। इसके विरोध में तत्कालीन पर्यटन मंत्री अशोक यादव अदालत चले गए थे। जिसके चलते राजनाथ सिंह ने उनसे मंत्री पद छीन लिया था।
केंद्र में जब वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार बनी तो राजनाथ सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया था। उन्होंने यूपी के बेरोजगारी की समस्या और उसके निदान नामक एक पुस्तक भी लिखी है। वे दो बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। राजनाथ सिंह पहली बार 31 दिसंबर 2005 को तथा दूसरी बार 23 जनवरी 2013 से 9 जुलाई 2014 तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। इससे पहले यह उपलब्धि केवल अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के पास ही थी। वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं गृहमंत्री अमित शाह हैं और वर्तमान में राजनाथ सिंह 17वीं लोकसभा में भाजपा के उपनेता हैं।
मोदी सरकार-1 में राजनाथ सिंह ने 26 मई 2014 को केंद्रीय गृहमंत्री के रूप में शपथ ली थी
मोदी सरकार-1 में राजनाथ सिंह ने 26 मई 2014 को केंद्रीय गृहमंत्री के रूप में शपथ ली थी। दूसरी बार मोदी सरकार-2 में 30 मई 2019 को उन्होंने केन्द्रीय रक्षा मंत्री पद की शपथ लेकर 1 जून 2019 को राजनाथ सिंह ने केन्द्रीय रक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला है। सरकारी तौर पर राजनाथ सिंह कैबिनेट में नंबर दो पर हैं और प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में, यानी यदि प्रधानमंत्री विदेश जाते हैं और कोई ऐसा मामला आता है जब कैबिनेट की राय लेनी हो तो राजनाथ सिंह कैबिनेट बुला सकते हैं, उसकी अध्यक्षता भी कर सकते हैं। मोदी सरकार-2 द्वारा गठित 8 कैबिनेट कमेटियों में से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को छह में जगह दी गई है। मोदी सरकार-2 में राजनाथ की नम्बर दो पोजीशन को इस तरह भी समझा जा सकता है कि नई लोकसभा के पहले सत्र से पहले मंत्रियों के एक कोर समूह की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर बैठक हुई। इस बैठक में सत्र से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गयी। गृह मंत्री अमित शाह उन मंत्रियों में शामिल थे जो इस बैठक में शामिल हुए। इस बैठक में आगामी सत्र में सांसदों के साथ समन्वय, नवनिर्वाचित सांसदों को संसदीय प्रक्रियाओं और संसदीय स्थायी समिति के गठन जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
राजनाथ सिंह अपनी चुटीली भाषाशैली और सौम्य व्यवहार के लिए जाने जाते हैं
राजनाथ सिंह अपनी चुटीली भाषाशैली और सौम्य व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कई मौंकों पर अपने इस हुनर का बखूबी प्रदर्शन भी किया है। जयपुर में बीजेपी सदस्यता अभियान कार्यक्रम में पहुंचे राजनाथ सिंह ने कांग्रेस के हालिया हालात पर चुटकी लेते हुए तंज कसा कि पता नहीं कांग्रेस का अध्यक्ष कौन है, बनेगा भी या नहीं। दूसरी ओर उन्होंने अपनी सौम्यता का परिचय उस समय दिया जब 17वीं लोकसभा का सत्र आरम्भ होने पर जब राहुल गांधी ने भी संसद सदस्य के रूप में शपथ ली, लेकिन इस दौरान व संसद रजिस्टर पर दस्तखत करना भूल गए और शपथ लेने के बाद जब वह अपनी सीट की तरफ जाने लगे तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा याद दिलाए जाने के बाद उन्होंने संसद रजिस्टर पर दस्तखत किए थे।
राजनाथ सिंह अपनी बात को बिना लागलपेट के साफ और सीधे सरल तरीके से कहने में भी सिद्धहस्त हैं। अभी कांग्रेस द्वारा संसद में गतिरोध पैदा करने पर उन्होंने लोकसभा में कहा कि कर्नाटक में राजनीतिक संकट कांग्रेस के अंदरूनी गतिरोध की वजह से खड़ा हुआ है और उसका सदन की कार्रवाई बाधित करने का फैसला सरासर गलत है। इसके साथ ही पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी के विवादास्पद ट्विट पर सरल शब्दों में मामले का निपटारा करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने चेन्नई में जलसंकट पर किए अपने विवादास्पद ट्वीट पर बेहद खेद जताया है। उन्होंने सदन से इस मामले पर विराम लगाने का आग्रह किया।
वे पार्टी के पावरफुल और जनाधार वाले नेताओं में से एक माने जाते हैं। मई 2009 में वह गाजियाबाद से सांसद निर्वाचित हुए थे। मई 2014 व 2019 में वे लखनऊ से लोकसभा सदस्य का चुनाव जीते।
राजनीति के अलावा राजनाथ सिंह को एक कड़ी फिल्मों से भी जोड़ती है। यह कड़ी विक्की कौशल की फिल्म उरी द सर्जिकल स्ट्राइक है। यह फिल्म उरी आंतकी हमले पर आधारित है। इस फिल्म में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ राजनाथ सिंह का भी किरदार बॉलीवुड एक्टर्स ने निभाया था। उरी आतंकी हमले के वक्त राजनाथ सिंह गृह मंत्री थे। इस फिल्म में नवतेज ने बड़े परदे पर राजनाथ सिंह के किरदार को उतारा। फिल्म में न केवल उनका पहनावा, बल्कि बोलचाल में भी राजनाथ सिंह की झलक दिखी। कई बार तो फिल्म के दौरान दर्शकों को नवतेज को देखकर ऐसा लगा कि मानों सही में राजनाथ सिंह फिल्म में हैं।
रक्षामंत्री का कार्यभार संभालते ही राजनाथ सिंह ने देश की सुरक्षा व्यवस्था के हालात का जायजा लेना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सियाचिन आधार शिविर पहुंचे और वहा तैनात सैनिकों से मुलाकात की।
बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर हिमालय के पूर्वी काराकोरम पर्वत श्रंखला में स्थित है, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा समाप्त होती है। सेना ने इस इलाके में एक ब्रिगेड तैनात कर रखे हैं, जहां कुछ चैकियां 6,400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। सियाचिन ग्लेशियर पर 13 अप्रैल 1984 से ही सेना का नियंत्रण है, जब पाकिस्तानी सेना को हरा कर चोटी पर कब्जे के लिए ऑपरेशन मेघदूत लांच किया गया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने के लिए उपयोग होने वाले कच्चे माल के चीन से आयात पर किसी तरह की रोक नहीं है, लेकिन इसके निर्माण में 30 फीसद स्वेदशी सामग्री का प्रयोग किया जाना आवश्यक है। यदि कोई आपूर्तिकर्ता टेंडर के नियमों का उल्लंघन करता है उसे अयोग्य भी ठहराया जा सकता है। राजनाथ ने कहा कि वर्ष 2009 में देश में 3,53,755 बुलेटप्रूफ जैकेट की कमी थी, लेकिन लंबे समय तक कोई खरीदारी नहीं की गई। अप्रैल 2016 में 1,86,138 जैकेटों की खरीद का रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी किया गया था। इसके बाद नौ अप्रैल 2018 को टेंडर आमंत्रित किए गए। राजनाथ ने कहा कि 638.97 करोड़ रुपये की लागत से 1.86 लाख जैकेटों की खरीद होनी है। इनकी आपूर्ति 36 महीनों में की जानी है। किसी भी हालत में आठ अप्रैल 2020 तक आपूर्ति पूरी की जानी है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया कि सभी रैंकों की तीनों सेनाओं को शारीरिक दिव्यांगता पेंशन पर आयकर में पूरी छूट दी जाएगी। हालांकि पेंशन में छूट केवल उन सैनिकों के लिए होगी, जिन्हें सशस्त्र सेना में सेवा देने के दौरान लगी चोट या तकलीफ बढ़ने के कारण सेना से रिटायर होना पड़ा है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 40 सालों से सैनिक वन रैंक वन पेंशन की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें अंधेरे में रखा गया। पूरा देश इस सच्चाई को जानता है। अगर किसी सरकार ने इसे लागू किया है तो वह हमारी सरकार है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश को आश्वासन दिया कि देश की रक्षा तैयारियों के साथ कोई समझौता नहीं होगा और बजट इसमें बाधा नहीं बनेगा। सिंह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में कहा कि सरकार कोष के कारण रक्षा तैयारियों के साथ समझौते की अनुमति नहीं देगी। उन्होंने कहा कि जहां तक देश की रक्षा तैयारियों का सवाल है, इस पर बजट के कारण कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया ने इस सच्चाई को स्वीकार कर लिया है कि भारत अब कमजोर देश नहीं रहा बल्कि वह दुनिया का ताकतवर देश बन चुका है। राजनाथ ने कहा कि 'प्राचीन इतिहास को उठाकर देख लें कि दुनिया के किसी देश पर हमने आक्रमण नहीं किया है और दुनिया के किसी देश की एक ईंच जमीन पर हमने कभी कब्जा नहीं किया है यह है भारत का चरित्र। उन्होंने कहा, 'हमने दुनिया के किसी देश की संप्रभुता पर प्रश्न चिन्ह लगाने की कोशिश नहीं की। आतंकवाद का सफाया करना तो हमारी सरकार का संकल्प है हम इस काम को करेंगे ही। भारतीय वायुसेना द्वारा सीमापार आतंकी ठिकानों पर हमलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'जब हमारे सैनिक वहां गए तो पूरी सावधानी बरती कि आतंकवादी ठिकानों और वहां प्रशिक्षण ले रहे आतंकवादियों का सफाया हो, लेकिन पाकिस्तान की सेना पर कोई आक्रमण इन लोगों ने नहीं किया।