विवि को पांच गांव गोद लेना किया जा रहा है -अनिवार्य

विवि को पांच गांव गोद लेना किया जा रहा है -अनिवार्य

मथुरा। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को कहा कि युवाओं का सही मार्गदर्शन करने के लिए प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को पांच गांव गोद लेना अनिवार्य करने का निश्चय किया गया है।पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान (दुवासु ) के 12वें दीक्षान्त समारोह को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को अब गोद लिये गये गांवों में जाकर कार्य करना होगा। वहां महिलाओं बच्चों से मिलकर,आंगनबाड़ी में जाकर उन्हें विश्वविद्यालय के बारे में बताने के साथ यह भी बताना होगा कि वहां के हर वर्ग के लिए क्या कार्य किया गया है। युवाओं के लिए कैसा मार्गदर्शन दिया है। वैसे भी नैक की मान्यता के लिए इनकी आवश्यकता होती है।

उन्होंने कहा कि आज शिक्षा व्यवस्था टुकड़ों में बंटी हुई है। विश्वविद्यालय में आने वाले को यह पता नही होता कि उसके लिए क्या किया जा रहा है। कुछ ऐसी ही स्थिति सेकेन्डरी स्कूलों में है। आज विषय या व्यवसाय का निर्णय माता पिता की इच्छा अथवा पड़ोसी बच्चे की प्रगति देखकर होता है जिसके कारण बहुत से बच्चे उस मंजिल तक नही पहुंच पाते हैं जो उनकी इच्छा थी। यदि ऐसे बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार मार्गदर्शन मिले तो वे लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। इस दिशा में विश्वविद्यालय काम कर सकते हैं और वे स्कूलों में जाकर विद्यार्थी को सही मार्गर्शन दे सकते हैं।

मती पटेल ने कहा कि समाज में ऐसे लोगों की कमी नही है जो समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं आवश्यकता उनसे संपर्क कर सुझाव देने की है। उन्होंने जीएलए यूनिवर्सिटी और संस्कृति यूनिवर्सिटी के संचालकों के सामने आंगनबाड़ी केन्द्रो की स्थिति रखी और कहा कि अब दोनो विश्वविद्यालय 100-100 आंगनबाड़ी केन्द्रों को कुर्सी, मेज आदि से सुसज्जित करेंगे। इस विश्वविद्यालय ने भी दस आंगनबाड़ी केन्द्रों में उनकी आवश्यकता का सामान दिया है तथा प्राइमरी पाठशाला दामोदरपुरा के 30 बच्चों को उनकी आवश्यकता का समान देकर इस विश्वविद्यालय ने अच्छा कार्य किया है। राज्यपाल ने जिला प्रशासन के प्रत्येक अधिकारी द्वारा आंगनबाड़ी के एक बच्चे को गोद लेने के अभियान की सराहना की। जी-20 का नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी को दिए जाने को लेकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि पिछले 60 वर्षों में भारत को पहली बार इस प्रकार का सम्मान मिला है। इसमें वे देश भी शामिल हैं जिनके पास विश्व का 80 प्रतिशत पैसा है। इसके पीछे एक पृथ्वी एक परिवार यानी वसुधैव कुटुम्बकम की भावना छिपी हुई है।

राज्यपाल ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रधानमंत्री की मन की बात के बाद अब स्कूलों में परंपरागत खेल भी शुरू हो गए हैं। भारत के अंतर्राष्ट्रीय मिलेट इयर के सुझाव ने आज विश्व ने मान लिया है। इससे न केवल लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होगा बल्कि किसानों को भी लाभ होगा। उन्होंने पानी का अपव्यय न करने , हर विश्वविद्यालय के पानी के मामले में आत्म निर्भर बनने तथा गावों में जलस्तर ऊपर लाने के लिए तालाब बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।उन्होंने इस अवसर पर छात्राओं से अपना भोजन स्वयं पकाने तथा लोगों से मोटा अनाज खाने की भी प्रेरणा दी।

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