फ्लैश बैक - मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर 5 बार रह चुका है जाटों का कब्जा

फ्लैश बैक - मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर 5 बार रह चुका है जाटों का कब्जा

मुजफ्फरनगर। आजादी के बाद से अब तक 17 बार लोकसभा के चुनाव हो चुके हैं। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर 17 में से 5 बार जाट समाज के नेताओं का कब्जा रह चुका है और यह 5 जीत पिछले तीन दशक के अंदर मिली है। कौन - कौन है यह पांच बार जीतने वाले यह तीन जाट नेता। पढ़िए खोज न्यूज़ की खबर.........

आजादी के बाद ही 1952 में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट अपने वजूद में आ चुकी थी। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर जाट वोटरों की संख्या भी अच्छी खासी तादाद में है। पहले से ही जाट मतों को एक इस लोकसभा सीट पर निर्णायक माना जाता है, लेकिन 17 बार हुए लोकसभा के चुनाव में 5 बार ही जाट समाज के नेता लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं। यह भी एक इत्तेफ़ाक़ ही है पांचो बार यह जीत भाजपा के टिकट पर ही हुई है। इसकी शुरुआत 1991 में भाजपा के टिकट पर नरेश बालियान की जीत के साथ हुई थी, हालांकि इससे पहले भी 1971 में किसान मसीहा माने जाने वाले चौधरी चरण सिंह ने बीकेडी के टिकट पर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर ताल ठोक दी थी मगर तब सीपीआई के कैंडिडेट ठाकुर विजय पाल सिंह ने उन्हें लगभग 50000 वोटों से हरा दिया था।

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर साल 1991 में जाट नेता के रूप में नरेश कुमार बालियान ने ताल ठोकी थी। राम मंदिर लहर के कारण भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश में हवा चल रही थी, ऐसे में नरेश कुमार बालियान भाजपा और जाट समाज के ऐसे पहले नेता बने, जिन्होंने जाट लैंड कही जाने वाली मुज़फ्फरनगर लोकसभा सीट पर भाजपा के साथ-साथ जाट समाज का भी खाता खोला था। नरेश कुमार बालियान ने तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद को हराने का काम किया था। इस चुनाव में नरेश बालियान को 271638 वोट तो जनता दल के मुफ्ती मोहम्मद सईद को 175987 तो कांग्रेस के ठाकुर नकली सिंह को 78903 वोट मिले थे। नरेश बालियान ने 95691 वोटों से बड़ी जीत हासिल की थी। मूल रूप से भाकियू की राजधानी कही जाने वाली सिसौली में जन्मे नरेश कुमार बालियान ने एमए तक शिक्षा हासिल की थी। 2 अगस्त 1935 को जन्म लेने वाले नरेश कुमार बालियान की 13 मार्च 2013 को 82 साल की उम्र में मौत हो चुकी है।

1991 में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर जाट समाज से जीते नरेश बालियान की जीत के बाद यह सिलसिला 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव तक भाजपा के टिकट पर भाजपा के टिकट पर सोहनवीर सिंह की जीत के साथ तक बना रहा। 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में सोहनवीर सिंह कांग्रेस के सईददुज्मा से चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में कांग्रेस और लोकदल का गठबंधन था और जाट मुस्लिम वोटों के बलबूते सईददुजमा चुनाव जीत पाए थे।

इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी ने जाट बिरादरी के नेता को कैंडिडेट नहीं बनाया था हालांकि 2009 के चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल की दिग्गज नेत्री रही अनुराधा चौधरी को भाजपा राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन के तहत चुनाव मैदान में उतारा गया था लेकिन तब बसपा के कादिर राणा ने उन्हें लगभग 20000 वोटों से हरा दिया था। जाट बिरादरी के नेता की मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर 1998 के बाद जीत की शुरुआत डॉक्टर संजीव बालियान के रूप में हुई, जब भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में डॉक्टर संजीव बालियान को अपना प्रत्याशी बनाया तो उन्होंने रिकॉर्ड वोटों से बसपा के ही कादिर राणा को हरा दिया था। 2019 में भी डॉक्टर संजीव बालियान ने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखते हुए दिग्गज नेता चौधरी अजीत सिंह को हराकर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर पांचवी बार जाट बिरादरी के नेता के रूप में लोकसभा में जाने का काम किया है।

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