80वां स्थापना दिवसः भारत की अभिन्न शक्ति........ केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल का आदर्श वाक्य.......सेवा और निष्ठा

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केन्द्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्य करने वाला केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल देश के सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सबसे विशाल है। आज से 80 वर्ष पूर्व सीआरपीएफ प्रथम बार मध्यप्रदेश के नीमच में मूलतः क्राउन रिप्रेंजेन्टेटिव पुलिस के नाम से 27 जुलाई 1939 को अस्तित्व में आया था। देश की आजादी के बाद 28 दिसंबर 1949 को सीआरपीएफ अधिनियम के लागू होने पर क्राउन रिप्रेंजेन्टेटिव पुलिस को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के रूप में नई पहचान मिली थी। इस बल की दूसरी बटालियन आजादी के बाद तुरन्त बनी थी और तीसरी बटालियन 1956 में बनी थी। केरिपुबल आतंकवाद, नक्सलवाद तथा अन्य भयावह हालातों का सामना करता है। आज इसकी संख्या एक से बढ़कर 217 बटालियन की हो गई है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल विश्व का सबसे बड़ा एवं पुराना बल बन गया है। सेवा और निष्ठा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का आदर्श वाक्य है।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल राज्य सरकारों की आवश्यकतानुसार उनके द्वारा दिए गए आदेशों के मुताबिक भी कार्य करता है। इसका मुख्य कार्य कानून व्यवस्था को बनाए रखना, अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा करना तथा देश के आंतरिक हिस्सों में असामाजिक तत्त्वों से निपटना आदि है।

वर्ष 1950 से पूर्व तत्कालीन पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ तथा चंबल के बीहड़ों के सभी इलाकों द्वारा केरिपुबल की सैन्य टुकडियों के प्रदर्शन की सराहना की गई थी। भारत संघ में रियासतों के एकीकरण के दौरान बल ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जब जूनागढ़ की विद्रोही रियासत और गुजरात में कठियावाड़ की छोटी रियासत ने भारतीय संघ में शामिल होने के लिए मना कर दिया था, को उन दोनों रियासतो ंको भारतीय संघ में शामिल कराने में इस बल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

आजादी के तुरंत बाद कच्छ, राजस्थान और सिंध सीमाओं में घुसपैठ और सीमापार अपराधों की जांच के लिए केरिपुबल की टुकडियों को भेजा गया था। इसके बाद पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा शुरू किए गए हमलों के बाद इनको जम्मू-कश्मीर की पाकिस्तानी सीमा पर तैनात किया गया। भारत के हॉट स्प्रिंग (लदाख) पर पहली बार 21 अक्टूबर 1959 को चीनी हमले को केरिपुबल ने ही नाकाम किया था। इसी दौरान केरिपुबल के एक छोटे से गश्ती दल पर चीन द्वारा घात लगाकर हमला कर दिया था, जिसमें बल के दस जवान शहीद हो गये थे। उनकी याद में हर साल 21 अक्तूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। चीनी आक्रमण के दौरान ही सीआरपीएफ ने अरूणाचल प्रदेश में भारतीय सेना को सहायता प्रदान की थी, इसमें केरिपुबल के 8 जवान शहीद हुए थे। पश्चिमी और पूर्वी दोनों सीमाओं पर 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध में भी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया था।

अर्द्ध सैनिक बलों के इतिहास में पहली बार महिलाओं की 1 टुकड़ी सहित केरिपुबल की 13 कंपनियों को आतंवादियों से लड़ने के लिए भारतीय शांति सेना के साथ श्रीलंका में भेजा गया था, इसके सहित संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के एक अंग के रूप में केरिपुबल के कर्मियों को हैती, नामीबीया, सोमालिया और मालद्वीव में वहां की कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए भेजा जा चुका है। 70 के दशक में जब उग्रवादी तत्वों द्वारा त्रिपुरा और मणिपुर में शांति भंग की गई तो वहां केरिपुबल बटालियनों ने ही स्थिति सम्भाली थी। जम्मू के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुआ आतंकवादी हमला बेहद क्रूरता भरा था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे, जिसका बदला भारत की सेनाओं ने मिलकर लिया और आतंकवादियों को दातों चने चबा दिये

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