गैर मुस्लिमों की नागरिकता में रोड़ा- मुस्लिम लीग पहुंची सुप्रीम कोर्ट

गैर मुस्लिमों की नागरिकता में रोड़ा- मुस्लिम लीग पहुंची सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिलने में नया रोड़ा सामने आ गया है। मुस्लिम लीग भारतीय सरकार द्वारा अल्पसंख्यक शरणार्थियों के आवेदन मांगने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। मुस्लिम लीग का मत है कि धर्म के आधार पर वर्गीकरण नहीं कर सकते।

इंडियन मुस्लिम लीग ने लंबित सीए मामले में एक आवेदन दायर कर 28 मई की अधिसूचना को इस आधार पर चुनौती दी है कि भारतीय अधिनियम के प्रावधान धर्म के आधार पर आवेदकों के वर्गीकरण की अनुमति नहीं देता। नागरिकता अधिनियम की धारा-5(1) (ए) (जी) पंजीकरण द्वारा योग्य लोगों को नागरिकता के लिए आवेदन करने की इजाजत देता है। जबकि अधिनियम की धारा 6 किसी भी व्यक्ति( अवैध प्रवासी को छोड़) को प्राकृतिककरण के जरिए नागरिक के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है।

बता दें कि 28 मई को गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना जारी कर भारत में रह रहे शरणार्थियों के रूप में गैर मुस्लिम जैसे हिंदू,सिख,इसाई,जैन,पारसी आदि लोगों से नागरिकता के लिए आवेदन मांगे गए थे। जिसको लेकर मुस्लिम लीग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और उन्होंने धर्म के आधार पर नागरिकता देने का आरोप लगाया है। विदित हो कि भारत के 5 राज्यों में गैर मुस्लिम आवेदन कर सकते हैं। इस अधिसूचना में गुजरात,राजस्थान छत्तीसगढ़, पंजाब और हरियाणा के 13 जिलों में रह रहे अफगानिस्तान,पाकिस्तान और बांग्लादेश के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता आवेदन करने का अधिकार दिया गया है। इससे पहले वर्ष 2016 में देश के 16 जिला अधिकारियों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत नागरिकता के लिए आवेदन स्वीकार करने के लिए कहा गया था।

सुप्रीम कोर्ट में अभी इस याचिका पर सुनवाई होनी है। मगर जल्द ही सुनवाई होगी। सुनवाई के बाद ही पता चलेगा कि क्या आवेदन रुकेंगे या फिर सरकार द्वारा मांगे गए आवेदनों पर नागरिकता देने का काम आगे जारी रहेगा।

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