सुप्रीम कोर्ट की चौखट पहुंची अग्निपथ स्कीम- बोला केंद्र हमें भी सुने

सुप्रीम कोर्ट की चौखट पहुंची अग्निपथ स्कीम- बोला केंद्र हमें भी सुने

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से देश की तीनों सेनाओं में युवाओं की भर्ती के लिए लाई गई बहुचर्चित अग्निपथ योजना अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंच गई है। याचिका के माध्यम से इस स्कीम को चुनौती देते हुए इसे लागू करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। याचिका में योजना को असंवैधानिक बताते हुए अदालत से इसे खारिज करने का अनुरोध किया गया है। केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए अदालत से कहा है कि इस मामले में उसका पक्ष भी जरूर सुना जाए।

मंगलवार को देशभर में इस समय सुर्खियां बटोर रही बहुचर्चित अग्निपथ योजना का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। अग्निपथ स्कीम को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता की ओर से इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका के माध्यम से अग्निपथ योजना को अवैध एवं असंवैधानिक बताते हुए शीर्ष अदालत से इसे खारिज करने का अनुरोध किया गया है। उधर केंद्र सरकार की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट के सम्मुख कैविएट अर्जी दायर कर कहा गया है कि किसी भी तरह का आदेश देने से पहले उसका पक्ष भी जरूर सुना जाए। इसके अलावा अग्निपथ योजना के खिलाफ किए जा रहे प्रदर्शनों के दौरान देश में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा को लेकर भी एक याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की गई है। अब इसके ऊपर सुनवाई की तिथि सीजेआई तय करेंगे।

अधिवक्ता एम एल शर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अग्निपथ योजना को अवैध बताया गया है। उन्होंने योजना के संबंध में रक्षा मंत्रालय की ओर से 15 जून को जारी किया गया नोटिफिकेशन एवं प्रेस नोट को खारिज किए जाने की मांग अपनी याचिका में उठाई है। याचिका में दावा किया गया है कि यह योजना पूरी तरह से अवैध है क्योंकि यह संविधान के प्रावधानों के विपरीत लाई गई है। इसे संसद की मंजूरी एवं गजट अधिसूचना जारी किए बगैर लाया गया है। अधिवक्ता ने कहा है कि मौजूदा सरकार की ओर से एक सदी पुरानी सेना भर्ती की प्रक्रिया को खारिज कर दिया गया है जो संविधान के पूरी तरह खिलाफ है।

इसी बीच मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से कैविएट अर्जी अदालत में दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई या फैसले से पहले उसका पक्ष भी सुना जाए।

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