सीडलिंग विक्रेता गन्ना कृषकों से नहीं वसूल सकेंगे मनमाना मूल्य- भूसरेड्डी

सीडलिंग विक्रेता गन्ना कृषकों से नहीं वसूल सकेंगे मनमाना मूल्य- भूसरेड्डी

लखनऊ। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि नये बीज गन्ना की आड़ में कतिपय प्रगतिशील किसानों द्वारा दूसरे किसानों के साथ धोखा किये जाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने एवं स्वैच्छिक किसानों द्वारा बीज गन्ना अथवा सीडलिंग के विक्रय एवं वितरण को नियंत्रित करने हेतु इसे बीज अधिनियम, 1966 (Seed Act.1966) द्वारा विनियमित कर दिया गया है। अब गन्ना विभाग में पंजीकरण कराये बिना किसी भी प्रगतिशील गन्ना कृषक द्वारा बीज गन्ना अथवा सीडलिंग का विक्रय/वितरण मान्य नहीं होगा।

इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि विगत कुछ वर्षों में प्रदेश में बहुलता में प्रचलित एवं लोकप्रिय किस्म को.0238 में रोग एवं कीट के बढ़ते प्रकोप तथा कतिपय नई स्वीकृत किस्में जिनकी उपज एवं चीनी परता को.0238 किस्म के समतुल्य या अधिक है, के कारण कृषकों में इन नई किस्मों विशेषकर को.शा.13235, को.लख.14201, को.15023, को.0118 आदि की मांग अत्यधिक है। कृषक को.0238 को विस्थापित करने के लिए किसी भी कीमत पर इन नवीन किस्मों का बीज गन्ना पाना चाहते हैं।

उन्होंने बताया कि विभागीय स्रोतों से गुणवत्तापूर्ण बीज गन्ने (Quality seed) की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण कई कृषक किसी तरह प्रमाणित एवं अप्रमाणित स्रोतों से इन किस्मों का बीज प्राप्त कर अपने खेतों पर नर्सरी पौध तैयार कर रहे है और बीज के रूप में मनमाने ढंग से ऊँचें दामों पर दूसरे किसानों को बेच रहे हैं, जबकि इस प्रकार उत्पादित किस्में/सीडलिंग सक्षम स्तर से प्रमाणित नहीं होती है। विगत दिनों में ऐसे कई पौधशाला धारक/बीज विक्रेताओं द्वारा नई किस्मों के नाम पर दूसरी अधोमानक किस्मों के बीज गन्ना अधिक दामों पर विक्रय किये जाने की शिकायतें भी प्राप्त हुई है। गन्ना बीज विक्रय की प्रक्रिया से न केवल नई किस्मों की आनुवांशिक शुद्धता प्रभावित हो रही है बल्कि वैराइटल मिक्चर एवं रोग-कीटों के अधिक संक्रमण की संभावना भी बढ़ रही है। साथ ही साथ अधोमानक बीज गन्ना के वितरण एवं अत्यधिक दाम लिये जाने के कारण गन्ना किसानों का आर्थिक नुकसान भी हो रहा है।

गन्ना कृषकों के हितों के दृष्टिगत विभाग द्वारा किसी भी अधिसूचित किस्म के बीज गन्ना की शुद्धता सुनिश्चित किये जाने हेतु इसके उत्पादन एवं विक्रय को बीज अधिनियम, 1966 (यथा संशोधित) की धारा 2 से धारा 22 के अन्तर्गत विनियमित किया गया है। जिसके अन्तर्गत प्रगतिशील कृषक जो बीज गन्ने का उत्पादन कर दूसरे कृषकों को विक्रय करने के लिए इच्छुक हैं, उन्हें अपने खेत पर बीज गन्ना/गन्ने की सीडलिंग के उत्पादन के लिए गन्ना विभाग के अन्तर्गत अपना पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण कराये बिना बीज गन्ने अथवा सीडलिंग का वितरण मान्य नहीं होगा। पंजीकरण हेतु उ.प्र. गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर पंजीकरण एजेंसी होगी, जिसके द्वारा कृषकों का पंजीकरण कर पंजीयन प्रमाण-पत्र जारी किया जायेगा। पंजीकरण 03 (तीन) वर्षों के लिए मान्य होगा। इसके पश्चात् प्रत्येक 03 (तीन) वर्षों पर पुनः इसका नवीनीकरण कराना होगा। पंजीकरण एवं नवीनीकरण शुल्क रू.1,000 (एक हजार) प्रति कृषक होगा। ऐसे पंजीकृत कृषक बीज गन्ना उत्पादक कृषक कहलाएंगे। कृषक द्वारा पंजीकरण हेतु अपना आवेदन पत्र सम्बन्धित ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक एवं जिला गन्ना अधिकारी के माध्यम से निदेशक, उ.प्र. गन्ना शोध परिषद, शाहजहॉपुर को प्रेषित किया जायेगा।

उ.प्र. में बीज गन्ना संवर्धन एवं गन्ना खेती हेतु स्वीकृत गन्ना किस्मों का ही बीज गन्ना संवर्धन (Seed multiplicatition) किया जायेगा। किसी वाह्य स्रोत अर्थात् दूसरे प्रदेशों में प्रचलित किस्मों अथवा किसी अन्य देश से लाये गये सीड मैटेरियल को प्रदेश में उपयोग किये जाने के सम्बन्ध में क्वारंटाइन (Quarantine) के नियम लागू होंगे तथा बिना गन्ना आयुक्त, उ.प्र. की अनुमति के ऐसी किस्मों का बीज उत्पादन एवं विक्रय निषिद्ध होगा। उ.प्र. गन्ना शोध परिषद, शाहजहॉपुर में पंजीकृत बीज गन्ना उत्पादक कृषक द्वारा बीज गन्ना/सीडलिंग का विक्रय गन्ना आयुक्त, उ.प्र. द्वारा निर्धारित दरों पर किया जायेगा।

गन्ना किस्मों की आनुवांशिक शुद्धता, रोग एवं कीटों के प्रभाव से बचाव सुनिश्चित करने एवं प्रदेश के गन्ना कृषकों के व्यापक हितों के दृष्टिगत निर्गत निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन कराने हेतु विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। अपर मुख्य सचिव ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि बीज अधिनियम, 1966 में वर्णित प्राविधानों के अनुसार गन्ने की किस्म, बीज गन्ने की गुणवत्ता एवं विक्रय मूल्य आदि के सम्बन्ध में किसी प्रकार की अनियमितता पाये जाने पर सम्बन्धित कृषक का पंजीकरण निरस्त कर दिया जायेगा और उसके विरूद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।

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