ट्रांसजेंडर को कानूनी संरक्षण याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी

ट्रांसजेंडर को कानूनी संरक्षण याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने ट्रांसजेंडर समुदाय को यौन अपराधों के मामले में महिलाओं के की तरह ही भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में समान कानूनी संरक्षण दिये जाने संबंधी याचिका पर केंद्र से सोमवार को जवाब तलब किया।

मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने रीपक कंसल की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब देने को कहा है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि देशभर में ट्रांसजेंडर समुदाय को यौन उत्पीड़न के मामले में सही से न्याय नहीं मिल पा रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि अभी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में ऐसे प्रावधान शामिल नहीं किए गए हैं, जो महिलाओं के साथ-साथ ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को भी यौन शोषण से समान कानूनी संरक्षण प्रदान करें। लिहाजा, इस संदर्भ में केंद्र सरकार को विशेष कानून बनाने का निर्देश जारी किया जाए।

खंडपीठ ने इस याचिका की सराहना भी की और कहा कि वह याचिकाकर्ता की दलीलों से सहमत है। यह बहुत ही अच्छी याचिका है, इस पर सुनवाई की जानी चाहिए। इसके बाद न्यायालय ने केंद्र को नोटिस जारी किया।

न्यायालय ने वरिष्ठ वकील विकास सिंह को इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता की ओर से खंडपीठ के समक्ष पक्ष रखने को कहा। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह मामले से संबंधित उन मुद्दों की सूची उसके समक्ष दायर करे, जिनमें पूर्व में न्यायालय ने महिलाओं को यौन संरक्षण से बचाने के लिए विधायी आदेश जारी किए हैं, जो देशभर में लागू किए गए हैं।

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