क्या आप भी नहीं जानतें एटीएम की फुल फॉर्म?

क्या आप भी नहीं जानतें एटीएम की फुल फॉर्म?

नई दिल्ली। एटीएम मशीन ने पैसे निकालने के लिए बैंकों में लगने वाली कतार को लगभग खत्म ही कर दिया. अब बड़े-छोटे शहरों के ज्यादातर चौक या नुक्कड़ पर एटीएम की एक मशीन तो होती ही है. बड़े शहरों में तो लाइन से कई एटीएम हमें पैसे देने के लिए तैयार खड़े रहते हैं. इन मशीनों से कैश निकालते हुए हमें इतने साल हो गए हैं कि शायद अब याद भी नहीं होगा कि पहली बार एटीएम की सुविधा हमें कब मिली थी. यह तो छोड़िए जनाब, हम में से अधिकतर लोग यह भी नहीं जानते हैं कि इसका फुल फॉर्म क्या है?

कुछ कहते हैं एटीएम को एनी टाइम मशीन कहा जाता है, तो कुछ का कहना है कि इसे ऑटोमेटिक टाइम मशीन कहते हैं. यानी, अपनी सोच के हिसाब से जो जैसा नाम बनाता गया, एटीएम का नाम वैसा ही चलन में आता गया. लेकिन सभी अनुमान अगर साइड में रख कर असली नाम पर चर्चा की जाए, तो एटीएम का असल नाम होता है ऑटोमेटेड टेलर मशीन और यह हमारे देश में 1987 के करीब आ गई थी. जी हां, 80 के दशक में ही हम भारतीयों ने इस मशीन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था. उस समय एचएसबीसी की मुंबई ब्रांच में पहली बार एटीएम की शुरुआत हुई थी. हालांकि, आम लोगों तक पहुंचते-पहुंचते इसे लगभग 20 और साल लग गए. इसके बाद तो हम सभी जानते हैं, नोट बंदी के समय एटीएम की हर भारतीय को कितनी जरूरत पड़ी।

27 जून 1967 वह तारीख थी, जब लंदन के एनफील्ड कस्बे दुनिया की पहली एटीएम मशीन लगाई गई. सबसे पहला बैंक था बार्कलेज, जिसने अपनी ब्रांच में यह मशीन लगाई थी. इसे जॉन शेफर्ड बैरन और उनकी टीम ने मिलकर बनाया था. इससे भी पहले जाॅन शेफर्ड ने ही एक प्रिंटिंग मशीन में काम करते हुए पहली बार आटोमेटिक कैश सिस्टम मशीन तैयार की थी. दिलचस्प बात यह है कि एटीएम का आविष्कार करने वाले जॉन शेफर्ड के तार भारत से जुड़े हैं. सन् 1925 में उनका जन्म मेघालय के शिलॉन्ग में हुआ था।

हिफी





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