जब गांव वालों के विरोध से रुक गया बाल विवाह
कटिहार। अशिक्षित समाज ही कुरीतियों को जन्म देता है लेकिन जब वही समाज पढ़-लिख जाए और अधिकारों के प्रति जागरूक जो जाए तो कुरीतियों के विरोध में खड़ा भी हो जाता है।
बिहार के कटिहार जिले में बारसोई अनुमंडल के आजमनगर थाना क्षेत्र में जब पंद्रह साल की एक बच्ची को सिर का बोझ समझकर बाल विवाह की भट्टी में झोंकने की काेशिश उसके मां-बाप ही करने लगे तब कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन (केएससीएफ) की पहल और बारसोई अनुमंडल प्रशासन के सहयोग तथा पंचायत की मुखिया एवं पुलिस प्रशासन की तत्परता से यह विवाह नहीं होने दिया गया। इस पूरे प्रकरण का सबसे मजबूत पक्ष यह रहा कि उस बच्ची के गांव के लोग ही अड़ गए कि वे बाल विवाह नहीं होने देंगे।
बारसोई के अनुमंडल पदाधिकारी राजेश्वरी पांडेय ने गुरुवार को यहां बताया कि कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन के एक कार्यकर्ता ने उन्हें सूचना दी कि आजमनगर थाना क्षेत्र के सालमारी ओपी इलाके के नपरंगा गांव में 15 साल की एक लड़की का विवाह 16 साल के लड़के के साथ कराई जा रही है। उन्होंने मलिकपुर पंचायत की मुखिया साहेदा खातून और सालमारी ओपी अध्यक्ष से जांच करवाकर मामले को सत्यापित कराया। इसके बाद थाना को इस संबंध में त्वरित कार्रवाई करते हुए बाल विवाह रुकवाने का आदेश दिया।
श्री पांडेय ने बताया कि प्रशासनिक हस्तक्षेप और बाल विवाह के दुष्परिणामों को समझाने के बाद बाल विवाह नहीं हाे पाया। साथ ही भविष्य में बाल विवाह नहीं करने के लिए दोनों पक्षों से दस-दस हजार रुपये का बंध-पत्र (बॉन्ड पेपर) भी लिया गया।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन कार्यालय के अनुसार, मंगलवार रात करीब 9.45 बजे पुलिस लड़की वालों के घर पहुंची। तब तक वहां काफी गांव वाले और महिला मुखिया भी आ चुकी थीं। माहौल हंगामे में तब्दील हो चुका था। इस बीच, पुलिस को देखकर लड़के के दोस्त और रिश्तेदार वहां से भाग गए। इस इलाके में यह पहली बार है जब बाल विवाह के खिलाफ गांव वालों ने इस तरह से आवाज उठाई है। हालांकि स्थिति उस समय और बिगड़ गई, जब लड़का विवाह करने पर अड़ गया और लड़की की मां भी उसके समर्थन में आ गई।
लड़की की मां का कहना था, “वह गरीब लोग हैं और रिश्तेदारी में ही विवाह कर रहे हैं। आप लोग इसे हो जाने दीजिए। इस पर गांव वालों ने लड़की की मां को समझाया कि जब तक लड़की 18 साल की न हो जाए तब तक उसकी शादी न करें। 18 साल की होने पर हम सब चंदा देंगे और पूरा गांव अच्छे से उनकी बेटी की शादी करेगा। मुखिया ने भी लड़की की मां को समझाने की कोशिश की।” इस तरह एक मासूम बच्ची ‘बालिका वधु’ बनने से बच गई।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक बिधान चंद्र सिंह ने बाल विवाह जैसी गंभीर समस्या पर चिंता जताते हुए कहा, “केएससीएफ देश भर में अपने सहयोगी स्वयंसेवी संगठनों और कार्यकर्ताओं के साथ बाल विवाह के खिलाफ लोगों को जागरूक कर इस अपराध को रोकने का प्रयास कर रहा है। साथ ही तमाम सरकारों से आह्वान कर रहे हैं कि बाल विवाह के खिलाफ सख्ती बरती जाए। हम बाल विवाह रोकने के लिए असम सरकार द्वारा उठाए गए सख्त कानूनी कदम की सराहना करते हैं और अन्य सरकारों से भी अपील करते हैं कि वे भी असम की तरह ही अपने-अपने राज्यों में बाल विवाह रोकने के लिए सख्त कानून लाएं।”
वार्ता