रेलवे का बैकडोर से यात्रियों की जेब पर धावा-बढ़ाया किराया

रेलवे का बैकडोर से यात्रियों की जेब पर धावा-बढ़ाया किराया

नई दिल्ली। रेलवे बोर्ड की ओर से प्रत्यक्ष रूप से किराया बढ़ाने के बजाय बैकडोर से यात्रियों की जेब से रुपए निकालने का फंडा विकसित करते हुए यात्री किराए में बढ़ोतरी कर दी है। यात्रियों को अब निर्धारित किराए के अलावा 10 रुपए से लेकर 50 रुपए अतिरिक्त रूप से देने होंगे। ऊपर से जीएसटी यात्रियों के साथ कोढ में खाज का काम करेगा। रेलवे बोर्ड की ओर से इसकी प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है।

दरअसल रेलवे बोर्ड की ओर से यात्रियों की जेब से किराया बढाये बगैर अतिरिक्त धनराशि निकालने की एक नई जुगत भिड़ाई गई है। रेलवे बोर्ड के अनुसार जिन रेलवे स्टेशनों का विकास हो रहा है अथवा हो चुका है, उन रेलवे स्टेशनों से यात्रा करने वाले यात्रियों को दोनों तरफ से निर्धारित शुल्क का डेढ़ गुना विभाग को देना होगा। यदि दो स्टेशनों में से एक का विकास नहीं है तो यात्री को एक स्टेशन का शुल्क चुकाना पड़ेगा। अगर प्रस्थान और गंतव्य दोनों स्टेशनों का विकास नहीं हुआ है या नहीं हो रहा है, वहां के यात्रियों को विकास शुल्क से बाहर रखा गया है। विकसित स्टेशनों से जारी किए जाने वाले प्लेटफार्म टिकट में भी 10 रूपये अतिरिक्त तौर पर जुड़ जाएंगे। रेलवे की ओर से विकास शुल्क रेलगाड़ियों की श्रेणी के आधार पर लगाया जाएगा। प्रत्येक श्रेणी के लिए अलग-अलग शुल्क के निर्धारण की व्यवस्था की गई है। किसी भी श्रेणी में किसी भी यात्री को शुल्क में रियायत नहीं मिलेगी। किराया वापस होने पर पूरा शुल्क वापस हो जाएगा। 120 दिन पहले टिकट बुक करने पर भी शुल्क किराए के साथ जुड़ जाएगा। रेलवे बोर्ड की ओर से श्रेणी वार शुल्क निर्धारित करने के बाद सभी जोनल महा प्रबंधकों को स्टेशनों की सूची तैयार करने के दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।





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