किसान आंदोलन-किसानों के जाम से ठहर गई जिंदगी

किसान आंदोलन-किसानों के जाम से ठहर गई जिंदगी

मुजफ्फरनगर। पानीपत-खटीमा राजमार्ग को बाधित करते हुए भाकियू ने जाम लगाकर कृषि कानूनों का विरोध किया। लगभग सवा 2 घंटे तक लगे रहे जाम से सड़क के दोनों ओर वाहनों की लाइन लग गई। बाद में अधिकारियों की मान मनोव्वल पर धरना दे रहे किसान जाम खोलने को राजी हुए।

मंगलवार को भाकियू तोमर के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी संजीव तोमर की अगुवाई में संगठन के कार्यकर्ता और किसान इकट्ठा होकर पानीपत-खटीमा राजमार्ग पर पहुंचे और शामली रोड पर लालू खेड़ी के समीप यातायात बाधित कर दिया। लगभग सवा 2 घंटे तक लगे रहे जाम से वाहनों के पहियें थम गए और लोगों की जिंदगी भी ठहर गई। इस मौके पर धरना दे रहे कार्यकर्ताओं व किसानों को संबोधित करते हुए भाकियू तोमर के राष्ट्रीय अध्यक्ष चैधरी संजीव तोमर ने कहा कि किसान आंदोलन को चलते हुए राजधानी में लगभग 55 दिन हो गए हैं। किसान जाड़े पाले की मार सहते हुए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार किसानों की सुनवाई नहीं कर रही है। सरकार का विचार है कि किसान खाली हाथ ही राजधानी से वापस लौट जाएंगे? लेकिन यह सरकार की गलतफहमी है।


उन्होंने किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें शहीद का दर्जा देकर 50 लाख रूपये का मुआवजा और शहीद किसान के परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि किसानों के गन्ने का भाव 450 रूपये प्रति कुंतल किया जाए और गन्ने का भुगतान 14 दिन के भीतर ब्याज समेत कराया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार और किसानों के बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई कमेटी में कोई भी ऐसा व्यक्ति ना लिया जाए, जिसने पहले कभी कृषि कानूनों का समर्थन किया हो। सरकार को कृषि अध्यादेश को लेकर खुले मंच पर किसानों से बातचीत करनी चाहिए।

उन्होंने मांग उठाई कि किसानों को नलकूप की बिजली मुफ्त दी जाए और बिजली की दरें सस्ती की जाए। किसानों को अपनी फसल का मूल्य तय करने का अधिकार दिया जाए। किसानों को 60 वर्ष के बाद 10000 रूपये प्रति महीना की पेंशन दी जाए। इस मौके पर पवन त्यागी, विपुल, मोहित शर्मा, अजय, राजीव, शहजाद, बूटा सिंह, दिलशाद, रणबीर, उपेंद्र, चंद्रपाल, राममेहर तोमर, जमीर अहमद आदि मुख्यरूप से शामिल रहे।

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