निराशा-छोटे व्यापारियों को बजट में कुछ नहीं मिला, न ही टैक्स में कोई राहत दी-अनिल कंसल

निराशा-छोटे व्यापारियों को बजट में कुछ नहीं मिला, न ही टैक्स में कोई राहत दी-अनिल कंसल

मुजफ्फरनगर। देश की अर्थव्यवस्था की रीढ कहे जाने वाले व्यापारी वर्ग को संसद के बजट सत्र में वित्तमंत्री निर्मला सीता रमण द्वारा पेश किये गये बजट से समाज के अन्य वर्गो की तरह व्यापारियो में भी निराशा का माहौल बना हुआ है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश वरिष्ठ प्रचार मंत्री अनिल कंसल ने केंद्रीय सरकार द्वारा पेश बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि केंद्रीय बजट एक प्रगतिशील एवं व्यापक आर्थिक दस्तावेज हो सकता था। लगातार महंगाई की बढ़ोतरी को देखते हुए मध्यम वर्ग के लिये करमुक्त आय को रुपये 2.5 लाख की जगह कम से कम 6 लाख होना अनिवार्य था,जो अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र के संरचित विकास को न केवल सुनिश्चित करता है। प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमित गर्ग ने कहा कि अनेक प्रावधान देश भर के 75 वर्ष से ऊपर वरिष्ठ अधिकांश नागरिकों को कर के बोझ से राहत देना और स्वास्थ्य क्षेत्र एवं उसमें सेवाओं के मजबूत विकास को सुनिश्चित करना व व्यापारियों की ऑडिट सीमा को बढ़ाना बजट की मुख्य विशेषता है।


प्रदेश संगठन मंत्री हर्षवर्धन जैन ने कहा कि इस बार के बजट में कोई भी नया कर नहीं लगाया गया है। हालांकि देश भर में पिछले एक पखवाडे से नए कर लगाने की तमाम अटकलें लगाईं जा रहीं थी, जिन पर अब विराम लग गया है। परन्तु मध्यम वर्ग को करो से राहत ना देना लोगों के साथ नाइंसाफी है, जबकि मध्यम वर्ग ही सरकार गठन के लिए सबसे अधिक वोट डालने जाता है व आंदोलनों से भी दूर रहता है। उसके बाद भी सरकार ने इनका कोई ध्यान नहीं रक्खा। यह सरकार की सरासर ज्यादती लग रही है। उन्होंने कहा कि इस दौरान महंगाई की दर बढ़ी है। जब सरकार मानती है कि व्यापारियों ने बहुत अधिक मात्रा में जीएसटी देकर सरकार के खजाने भर दिये हैं तो टैक्स की दर कम करके अपने गत वर्षों में किये गये अपने वादों को सरकार निभाये व टैक्स दर घटाये। रोजाना सुरसा के मुंह की तरह बढ रही मंहगाई से शहरी लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। महामंत्री तिलक राज ने कहा कि हम वित्तमंत्री से असहमत हैं कि जीएसटी को तर्कसंगत बनाया गया है। जबकि ठीक इसके विपरीत जीएसटी अत्यधिक जटिल कर प्रणाली बन गई है और साथ ही इस बात का गहरा अफसोस है कि भारत के खुदरा व्यापार के लिए कोई समर्थन नीति घोषित नहीं की गई है। जो 70- 80 लाख करोड़ से अधिक का वार्षिक कारोबार करता है और देश में लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है ! ज्ञातव्य हो देश मे लगभग 8 .5 करोड़ व्यापारी है ! इनको राहत पैकेज न दिया जाना काफी अखर रहा है।

मिडिया प्रभारी सोहन लाल गर्ग ने बजट पर अपने विचार रखते हुए कहा है कि वित्तमंत्री को सभी वरिष्ठ नागरिकों को एक ही दृष्टिगत रखते हुए आयकर रिटर्न जमा न करने की छूट को केवल 75़ वर्ष की आयु के दायरे में आने वालों के बजाए 60़ वर्ष की आयु के दायरे में आने वाले वरिष्ठ को भी इस छूट के दायरे में रखा जाना चाहिए था। तभी यह न्याय पूर्ण संगत सिद्ध होगा।

राकेश अग्रवाल प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व सुमित गर्ग नगर महामंत्री ने कहा कि डीजल, पेट्रोल पर कृषि सैस लगाना एवं यह कहना कि इस का बोझ उपभोक्ता की जेब पर नहीं पडेगा, यह एकदम गलत है। कयोंकि प्रत्येक कर का बोझ उपभोक्ता की जेब पर ही पड़ता है। पेट्रोल कम्पनी अपनी जेब से न देकर उपभोक्ता से रेट बढ़ाकर सेस की वसूली करेगी।

नगर अध्यक्ष एवं लोहा हार्डवेयर संघ के महामंत्री नरेन्द्र मित्तल व अध्यक्ष शैलेन्द्र तायल ने कहा कि एग्रीकल्चर के सामान जैसे किसान के उपयोग में आने वाले टीलर खुरपा, कल्टीवेटर, खुरपा, तसला व फावड़े के पतरे पर उसको पतरा मानकर जो गत वर्ष टैक्स लगा दिया वो खत्म होना चाहिये था। जब व्यापारियों ने ईमानदारी से जीएसटी देकर सरकार के खजाने भर दिये हैं तो टैक्स की दर कम करनी चाहिये।

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