नई परिवहन नीति के विरोध में मुखर हुए स्कूल संचालक व अभिभावक, 29 को डीएम कार्यालय पर होगा प्रदर्शन

नई परिवहन नीति के विरोध में मुखर हुए स्कूल संचालक व अभिभावक, 29 को डीएम कार्यालय पर होगा प्रदर्शन
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मुजफ्फरनगर। सरकार की स्कूलों के लिए लागू नई परिवहन नीति का विरोध अब वृहत रूप लेता जा रहा है। पहले इस नीति के विरोध में निजी स्कूलों के स्वर मुखर हुए, अब इस नीति के विरोध में स्कूलों द्वारा ठप्प की गयी अपनी ट्रांसपोर्ट व्यवस्था के चलते अभिभावकों के सामने बच्चों को स्कूल भेजने का संकट आ गया है। अभिभावक इसके लिए पहले स्कूल संचालकों से भिडे, लेकिन वहां से समस्या का हल नहीं निकलता देख उन्होंने 29 अगस्त को जिलाधिकारी कार्यालय घेरने का ऐलान किया है।


ज्ञात हो कि बच्चों की सुरक्षा के प्रति गम्भीर उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय को कड़ाई से लागू करने में जुटे प्रशासन ने सभी स्कूल संचालकों को अपने स्कूल वाहनों को सरकार द्वारा तय किये गये 31 मानको को पूरा करने के निर्देश दिये थे। इसके विरोध में निजी स्कूलों के विभिन्न संगठन पहले ही हुंकार भर चुके हैं, लेकिन मामला सुलझता न देख उन्होंने अपनी परिवहन सेवाएं बन्द करने का निर्णय ले लिया था। स्कूलों की परिवहन सेवाएं बन्द होने का सबसे बडा असर स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों पर पड़ा है। उनके सामने बच्चों को स्कूल भेजने का संकट आ खडा हुआ है, अभिभावकों का कहना है कि वे अपनी नौकरी या व्यवसाय देखें या बच्चों को स्कूल छोड़ने जायें। बीते दिवस अपनी समस्या लेकर कुछ अभिभावक स्कूल संचालकों से भिड भी गये थे, लेकिन वहां बात नहीं बनती देख स्कूल संचालकों की सलाह पर उन्होंने 29 अगस्त को जिला अधिकारी कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।


बता दे कि स्कूल वैन हो या बस। इन वाहनों के साथ बच्चे भी सुरक्षित रहे, इसके लिए परिवहन विभाग ने मानक तय कर दिये हैं। स्कूल वाहन तभी सुरक्षित माने जाएगे जब 31 तरह के मानकों पर खरे उतरेंगे। इसके बाद ही परिवहन विभाग उन्हें फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करेगा। तय मानकों को पूरा नहीं करने वाले वाहन मालिकों को फिटनेस प्रमाण जारी नहीं किए जाएंगे और जो वाहन बिना फिटनेस के पकड़ा गया तो उनके खिलाफ जब्तीकरण की कार्रवाई होगी। स्कूली वाहनों की जांच के लिए तैयार चेक लिस्ट स्कूल वैन व बस मालिकों को उपलब्ध करा दी गई है। चैकलिस्ट के अनुसार 31 तरह के मानकों पर खरे उतरने वाले वाहन ही फिटनेस के दायरे में आएगे। इनमें वाहन के वैध प्रमाण पत्र के साथ बीमा, फाइनेंस, आरसी, परमिट होना जरूरी होगा। इसके साथ डीएल, टैक्स, सीएनजी का नो लीकेज प्रमाण पत्र, रेट्रो रिफलेक्टर, वाहन पर स्कूल का नाम व चालक का फोन नंबर लिखा होना चाहिए। स्कूल वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगा हो साथ ही स्पीड गर्वनर भी जरूरी है। इसके अलावा ड्राइवर वर्दी में हांे, अग्नि शमन यंत्र हों, प्रेशर हार्न हों, बैग व बोतल के लिए जगह, सीटों की दशा ठीक हो, नंबर प्लेट स्पष्ट हो, इमरजेंसी गेट हो, वाहन की उम्र 15 वर्ष से कम हो, फस्र्ट एंड बाक्स हो तथा सीट बेल्ट भी अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।


सरकार द्वारा तय अधिकतर मानकों को स्कूली वाहन स्वामी पूरा करने के लिए सहमत हैं, लेकिन मामला वाहनों में सीटबैल्ट और सभी वाहनों में महिला परिचायिका की तैनाती को लेकर अटक गया है। स्कूल संचालक किसी भी कीमत पर इसके लिए तैयार नहीं है। कई स्कूल संचालकों ने सरकार से मांग की है कि पहले रोडवेज की बसों में उक्त सभी सुविधाएं मुहैया कराये, तब स्कूल वाहन में इनको लागू करे।

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