पैसे कमाने का नया फण्ड़ाः ट्यूशन पढ़ने को बच्चों से प्रार्थनापत्र ले रहे कुछ स्कूल

पैसे कमाने का नया फण्ड़ाः ट्यूशन पढ़ने को बच्चों से प्रार्थनापत्र ले रहे कुछ स्कूल
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मुजफ्फरनगर। तमाम हथकण्ड़ों से अभिभावकों की जेब कतरने के बाद अब कुछ स्कूलों ने अभिभावकों को लूटने का नया फण्ड़ा ईजाद किया है, जिसके तहत बच्चों व उनके अभिभावकों पर ट्यूशन के लिए दबाव बनाने की रणनीति के तहत अब शपथपत्र लिया जा रहा है कि मैं अमुक विषय में कमजोर हूं, मुझे इस विषय में कोचिंग की आवश्यकता है। अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि मुझे कोचिग देने की कृपा करें।

जानकारों का कहना है कि पैसा कमाने के लिए कुछ स्कूल अब इस हद तक उतर आये हैं कि वे बच्चों और उनके अभिभावकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगे हैं। उनका मानना है कि प्रशासन को इस ओर ध्यान देकर स्कूलों की मनमानी पर रोक लगानी चाहिए। इसके साथ ही अभिभावकों को भी जागरूक होकर स्कूलों की इस मनमानी का विरोध करना होगा। नहीं तो यह समस्या सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती ही चली जायेगी।

ताजा मामला कस्बा जानसठ का है, जिसमें कुछ नीजि स्कूलों ने अभिभावकों पर अपने बच्चे को ट्यूशन पढ़ाने के लिए मानसिक दबाव बनाने का नया तरीका निकाला है, जिसके तहत स्कूल प्रशासन बच्चे से शपथ पत्र की शक्ल में एक प्रार्थनापत्र लिखवा रहा है कि मैं उक्त विषय में बहुत कमजोर हूं, मुझे इस विषय के कोचिंग की आवश्यकता है। अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि मुझे कोचिंग देने की कृपा करें।

अपना नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर स्कूलों की मनमानी पर रोष व्यक्त करते हुए एक अभिभावक ने बताया कि स्कूलों में बच्चों को इसीलिए भेजा जाता है कि वहां वे जिस भी विषय में कमजोर हों, उस विषय के शिक्षक से अपनी समस्या का हल निकाल सकें। जो शिक्षक स्कूल की कक्षाओं में शिक्षार्थियों की समस्या का हल नहीं समझा सकता है, वह ट्यूशन में किस तरह से बच्चों को विषयगत समस्याओं से निजात दिला पायेगा? यह बात समझ से बाहर है। उसके अनुसार इसका सीधा सा मतलब है कि कुछ शिक्षक केवल पैसे कमाने के कारण बच्चों पर दबाव बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। या तो वे जानबूझकर क्लास में बच्चों को ठीक प्रकार से नहीं पढ़ाते हैं या उन्हें विषय का ही ठीक ज्ञान नहीं है। उन्होंने स्कूल प्रशासन को भी सलाह दी है कि ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए। इसके विपरीत जानकारों की मानें तो ट्यूशन के लिए प्रार्थनापत्र लेने के कुचक्र में स्कूल प्रशासन की सहमति या शामिल हुए बगैर कोई भी शिक्षक अपने दम पर इतना बड़ा कदम नहीं उठा सकता है, इसलिए इस मामले में प्रशासन को ही कोई कदम उठाना पडेगा।

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