खतौली रेलवे स्टेशनः सरकार पास, प्रशासन फेल

खतौली रेलवे स्टेशनः सरकार पास, प्रशासन फेल
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खतौली। केन्द्र सरकार ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को रेलवे लाईन के दोहरी करण और रेलवे स्टेशनों के सौंदर्यीकरण का तोहफा तो दे दिया है, लेकिन रेलवे के अधिकारी व कर्मचारी इस सुविधा को सहेजने में पूरी तरह नाकाम हो रहे हैं। जिन जीआरपीएफ के जवान रेल द्वारा टैक्स की चोरी करके लाये जाने वाले अवैध सामान लाने वालों से वसूली करने महारथ हासिल कर रखी, वो भी रेलवे स्टेशन पर चोरों के साथ ही खडे नजर आते हैं। यहां हर बात पर गौर करें तो सरकार पास और प्रशासन फेल नजर आता है।



कुछ ऐसी ही तश्वीर है बीते लगभग साल भर पहले बने खतौली के रेलवे स्टेशन की। स्टेशन से शेखपुरा जाने के लिए लगभग दो सौ मीटर की दूरी में मुख्यद्वार सहित तीन-चार रास्ते होने के बावजूद कुछ लोगों ने मिलीभगत करके एक लोहे के दरवाजे को समूल निकालकर एक और रास्ता बना लिया है, लेकिन रेलवे का पूरा अमला जैसे कानों में तेल डालकर आंखें मूदकर बैठा है, जिसे न कुछ सुनायी दे रहा है और न कुछ दिखायी दे रहा है। रेलवे अधिकारियों ने असामाजिक तत्वों द्वारा समूल दरवाजे को दुबारा लगवाना तो दूर, चोरी किये गये दरवाजे की रिपोर्ट तक दर्ज कराना भी गंवारा नहीं समझा। इस बारे में अपना नाम प्रकाशित नहीं की शर्त पर रेलवे के एक स्थानीय कर्मचारी ने बताया कि कौन आफत मोल ले। सबको सबकुछ पता है, लेकिन बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे? जो इस मामले में बोलेगा, उसे ही कहीं गवाही देने तो कही किसी और बात के लिए परेशान होना पडेगा और अफसरों की लताड़ पडेगी वो अलग से। स्टेशन परिसर की मानें तो रेलवे लाईन पार करके एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने के लिए यहां बने एक मात्र ओवरब्रिज पर गंदगी का बुरा हाल है, गंदगी को देखकर ऐसा लगता है, कि जैसे महिनों से यहां सफाई हुई ही नहीं।







प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर दो पर लगे दो हैंडपम्प से शायद कभी पानी निकला ही नहीं, लेकिन अफसर हैं कि सबकुछ जानते हुए भी कुछ करना तो दूर कुछ बोलने को भी तैयार नहीं है। हां! उन्होंने आस-पास ही लगे हैंडपम्प के हत्ती और मुंह पर रस्सी बांधकर ये संदेश का प्रयास जरूर किया है कि यह हैण्ड़पम्प खराब है। इन अफसरों ने ये मेहरबानी जरूर की है कि उन्होंने पानी के लिए टोटियों का इंतजाम कर दिया है, जिसमें सर्दियों में बेहद सर्द और गर्मियों में बेहद गर्म पानी आता है, जिसे शायद ही कोई पी सके, लेकिन पत्रकारों का कैमरा देखने के बाद रेलवे प्रशासन ने एक हैण्ड़पम्प को ठीक कराकर उसमें बंधी रस्सी खोलकर उसे लोकार्पित कर दिया गया है, लेकिन शायद दूसरा हैण्ड़पम्प उनके बस की बात नहीं है।



इस सबसे इतर रेलवे के अफसरों व कर्मचारियों की लापरवाही और दिल्ली आदि शहरों से ट्रेन द्वारा अवैध रूप से माल लाने वालों गठबन्धन का ज्वलन्त उदाहरण है कि उन्होंने इन व्यापारियों द्वारा प्लेटफार्म से वाहनों द्वारा माल ले जाने के लिए प्लेटफार्म के किनारे पर लगाये गये अवरोधकों को हटाकर वहीं किनारे रख अपनी इमानदारी को परिचय दे दिया था, लेकिन रेलवे अधिकारी व कर्मचारी उन अवरोधकों को दुबारा लगवाने या उन्हें वहां से उठाकर सुरक्षित कही रखने की फुर्सत ही नहीं थी, हालांकि पत्रकार का कैमरा देखकर उन्होंने अवरोधक दुबारा लगवा दिये हैं, लेकिन फिर नहीं हटाये जायेंगे, इसकी कोई गारन्टी नहीं है। अब अवैध माल रेलवे से आयेगा तो उसे लेने के लिए प्लेटफार्म तक सेवा देने के लिए आखिर इन्हें फिर से हटवाना ही पडेगा। आखिर उनसे वसूली ऐसी ही सुविधा मुहैया कराने के नाम पर ही तो की जाती है।

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