कॉलेज में ‘आत्मविश्वास निर्माण एवं कौशल वृद्धि’ विषय पर हुई कार्यशाला
ऑथर शैरी ने धागा और मोती की क्रिया-कलाप द्वारा विद्यार्थियों को भाषण की कला समझायी।;
मुजफ्फरनगर। आज दिनांक 11.05.2025, दिन रविवार को होली चाइल्ड पब्लिक इण्टर कॉलेज, जडौदा, मुजफ्फरनगर के सभागार में विद्यार्थियों के लिए ‘आत्मविश्वास निर्माण एवं कौशल वृद्धि’ विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला के समापन दिवस पर कोच एवं ट्रेनर पब्लिक स्पीकर कुलविन्द्र कौर ने कक्षा-6 से कक्षा-8 तक के बच्चों को पुनरावृत्ति कार्यक्रम के अन्तर्गत विद्यार्थियों को गृह कार्य का महत्व बताते हुए बच्चों से उनके पंसदीदा गृह कार्य के बारे में जानकारी ली तथा किस प्रकार गुणवत्तापूर्ण गृह कार्य किया जा सकता है जिसमें आनन्द भी प्राप्त हो तथा कार्यकुशलता में भी वृद्धि की जा सके। इसके बारे में विद्यार्थियों को समझाया।
कुलविन्द्र कौर ने बच्चों को बताया कि अपना एक पंसदीदा विषय अवश्य चुने क्योंकि हर किसी को सभी विषय पंसद नहीं आते, लेकिन किसी विषय को अपना दोस्त बनाओ। जिससे कि आप धीरे-धीरे सभी विषयों को अपना सको। इसके बाद ऑथर शैरी ने कक्षा-10 से कक्षा-12 तक विद्यार्थियों को सर्वप्रथम अच्छा वक्ता बनने के गुर बताये गये।
उन्होंने बताया कि पब्लिक स्पीकिंग से न सिर्फ आपकी एंग्जायटी और बैचेनी दूर होती है बल्कि यह आपके आत्मविश्वास व आपके आत्मसम्मान को भी बढाता है बच्चों को अपने कैरियर और कार्यक्षेत्र में इन स्किल्स काफी जरूरत पडती है, इससे बच्चों को अपने विचारों और सलाह को व्यक्त करने की ताकत मिलती है। अगर आपकी मंच अभिव्यक्ति अच्छी है तो आपके जीवन को एक नई दिशा देने का कार्य भी करती है जिससे आप जीवन के हर क्षेत्र में अपने आपको बेहतर प्रस्तुत कर पाते है। अगर विद्यार्थी अपने जीवन में आत्मविश्वास को दृढ कर पाता है तो वह अपने कैरियर में भी बुलंदियों को छूने से नहीं घबराता। उन्होंने बताया कि अक्षर देखने में आता है जब बच्चा कक्षा-5 तक होता है तो वह बहुत उन्मुक्त स्वभाव को होता है उसमें बिल्कुल भी झिझक नहीं होती, जैसे-जैसे वह कक्षा-12 तक आता है तो उसमें बहुत सी झिझक उत्पन्न हो जाती है। कहीं-कहीं ये झिझक समाज के द्वारा तथा हमारे आस-पास के परिवेश के कारण उत्पन्न होती है, जिसे हमें दूर करना है। उन्होंने कहा कि बच्चों को कम उम्र में ही मंच पर आकर प्रतिभाग करने के मौके विद्यालय स्तर दिये जाने चाहिए। जो अच्छे वक्ता होते है वे अधिक जिम्मेदार और समाज के प्रति जागरूक होते है।
जिसमें बताया गया कि अच्छा वक्ता बनने के लिए सबसे पहले एक अच्छा स्रोता बनना बहुत जरूरी है। कभी-कभी अपने आप को मोटिवेट करने के लिए अपनी पीठ थपथपाना भी बहुत जरूरी है। अच्छे वक्ता को अपने विषय पर गहरी श्रद्धा और समर्पण होना चाहिए। सार्वजनिक भाषण, कौशल व्यक्तियों के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को बढाते है जिससेे वे जीवन चुनौतियों का सामना करने में अधिक सक्षम होते है। ऑथर शैरी ने धागा और मोती की क्रिया-कलाप द्वारा विद्यार्थियों को भाषण की कला समझायी।
कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य प्रवेन्द्र दहिया एवं रीटा दहिया ने ऑथर शैरी और उनकी सहयोगी कुलविन्द्र कौर का आभार व्यक्त किया और अतिथियों को शॉल और स्मृति चिह्न प्रदान किया और उनके द्वारा बताये गये नियमों पर चलने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में नितिन बालियान, प्रितम कुमार मिश्रा, सचिन कश्यप, सतकुमार, धीरज बालियान, रजनी शर्मा का विशेष सहयोग रहा।