इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण नीति को सरकार की मंजूरी

पसंदीदा गंतव्य बनाने और औद्योगिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

Update: 2025-09-02 13:18 GMT

लखनऊ, योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण नीति-2025 (यूपी ईसीएमपी-2025) को मंजूरी प्रदान कर दी है।

सरकार का दावा है कि उत्तर प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाने की दिशा में यह नीति कारगर साबित होगी। अगले छह वर्षों तक प्रदेश में डिस्प्ले, कैमरा मॉड्यूल, मल्टीलेयर पीसीबी जैसे 11 महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा देने वाली इस नीति से पांच हजार करोड़ रुपये के निवेश और लाखों रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय को मंजूरी दी गयी। ईसीएमएस एक अप्रैल 2025 से अगले छह वर्षों तक प्रभावी रहेगी। इस नीति के तहत उद्यमियों को केंद्र की योजना के समतुल्य अतिरिक्त प्रोत्साहन दिए जाएंगे, जिससे यूपी का मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभरेगा। नीति का क्रियान्वयन शासन स्तर पर गठित नीति कार्यान्वयन इकाई और सशक्त समिति की देखरेख में नोडल संस्था द्वारा किया जाएगा। इसके तहत डिस्प्ले, कैमरा मॉड्यूल, मल्टीलेयर पीसीबी जैसे कॉम्पोनेन्ट्स के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी और नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा।

प्रमुख सचिव अनुराग यादव ने बताया कि पिछले आठ वर्षों में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। 2015 में जहां केवल दो यूनिट मोबाइल बनाती थीं, आज 300 यूनिट्स कार्यरत हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स का उत्पादन 1.9 लाख करोड़ से बढ़कर 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। मोबाइल फोन का निर्यात 1,500 करोड़ से 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा है। यूपी इस क्रांति का केंद्र बन चुका है, जहां देश के आधे से ज्यादा मोबाइल फोन का उत्पादन होता है। यह नीति यूपी को आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता की नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, साथ ही युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगी।

यह नीति न केवल यूपी को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाएगी, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर यूपी की आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करेगी। नीति के तहत 5,000 करोड़ रुपये का अनुमानित व्यय होगा, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के लाखों अवसर सृजित होंगे। यह कदम यूपी को निवेश का पसंदीदा गंतव्य बनाने और औद्योगिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

मंत्रिमंडल ने इसके अलावा पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे के लिए विभाजन विलेख पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस को अधिकतम पांच हजार रुपये तक सीमित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया। वर्तमान में विभाजन विलेख पर चार प्रतिशत स्टाम्प शुल्क और एक प्रतिशत रजिस्ट्रेशन फीस लागू है, जो संपत्ति के मूल्य पर आधारित है। इसकी वजह से लोग बंटवारा विलेख रजिस्टर कराने से हिचकते हैं, जिससे दीवानी और राजस्व न्यायालयों में मुकदमों की संख्या बढ़ रही है। नई व्यवस्था से पारिवारिक विवाद कम होंगे और संपत्ति का सौहार्दपूर्ण बंटवारा संभव होगा। इससे राजस्व विभाग के खतौनी/अधिकार अभिलेख अद्यतन होंगे और संपत्ति बाजार में आसानी से उपलब्ध होगी। हालांकि, इस छूट से अनुमानित 5.58 करोड़ रुपये का स्टाम्प शुल्क और 80.67 लाख रुपये का रजिस्ट्रेशन शुल्क राजस्व नुकसान हो सकता है, लेकिन रजिस्ट्रेशन की संख्या बढ़ने से दीर्घकाल में राजस्व में वृद्धि होगी। तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में ऐसी व्यवस्था पहले से लागू है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

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