भाजपा के शासनकाल में जनता की तकलीफें घटी नहीं बढ़ी है: अखिलेश

अखिलेश यादव ने आज कहा कि भाजपा सरकार के प्रदेश की सत्ता में पौने चार साल बीत रहे हैं पर जनता की तकलीफें घटने के बजाय बढ़ती गई है

Update: 2020-11-25 16:11 GMT

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज कहा कि भाजपा सरकार के प्रदेश की सत्ता में पौने चार साल बीत रहे हैं पर जनता की तकलीफें घटने के बजाय बढ़ती गई है। अर्थव्यवस्था खराब दौर से गुजर रही है। मंहगाई और भ्रष्टाचार चरम पर है। काला बाजारियों और जमाखोरों पर कोई अंकुश नहीं है। कानून व्यवस्था चौपट है। बर्बादी के इन बुरे दिनों में भी भाजपा सरकार को बस दो ही बातें सूझ रही है। 'राम नाम सत्य' करो या फिर 'जेहाद' बोल दो।

अखिलेश ने कहा कि चाहे कर्ज के बोझ तले दबकर किसान का दम निकल जाए, बेकारी से परेशान नौजवान फांसी पर लटक जाए, बीमारी से किसी की सांसे अटक जाएं, बच्चियां अपनी लाज बचाने को जहर खा लें, मंहगाई की मार से कोई सपरिवार आत्महत्या कर ले-इस सबसे भाजपा सरकार और माननीय मुख्यमंत्री जी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। उनको हर मसले के हल का एक ही बीजमंत्र याद है 'राम नाम सत्य' कर दो।

जो सरकार चारों पहर 'राम नाम सत्य' का जाप करती हो वह किसी के बारे में शुभ सोच ही नहीं सकती है। वैसे भी भाजपा नेतृत्व को विकास के बारे में सोचने, जनहित की योजनाएं लाने और गरीब को राहत पहुंचाने के लिए समय ही नहीं है। इस भाजपा सरकार को अपने वादे भी याद नहीं है। किसानों को फसल की लागत का ड्योढ़ा मूल्य देने, आय दुगनी करने, नौजवान को हर वर्ष नौकरियों का थोक तोहफा देने, व्यापारियों की मदद करने, और हरेक के खाते में 15 लाख रूपए भेजने जैसी फरेबी बातें हवा में ही रह गई है।

मुख्यमंत्री जेहादी उन्माद फैलाकर फिर जनता को भटकाने की कोशिश में लग गए हैं। नफरत फैलाकर समाज को बांटने की भाजपा-आरएसएस की पुरानी रणनीति है। रोज नए-नए कड़े कानून अपनी अकर्मण्यता छुपाने के लिए ही लाए जा रहे हैं। सख्त बयान तो किसी मर्ज का इलाज नहीं है। वैसे भी कानून कड़ा या नरम नहीं होता है, उसका कैसे प्रयोग होता है, इस पर उसका प्रभावी या अप्रभावी होना निर्भर करता है।

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