उत्तर प्रदेश सरकार की पर्यटन नीति से लोगों को मिल रहा है रोजगार
उत्तर प्रदेश भारत के हृदयस्थल में संस्कृतियों के मिलन और आस्था के संगम के अनोखे दृश्यों को समेटे एक अनूठा प्रदेश है।
मुजफ्फरनगर । उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधताओं का प्रदेश है। यहां हरे-भरे मैदानों के साथ बारहमासी नदियां, घने जंगल और उपजाऊ भूमि प्रचुर मात्रा में हैं। यह प्रदेश सांस्कृतिक, राजनैतिक, कृषि, शिक्षा, उद्योग और पर्यटन के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा पर्यटन आकर्षण केन्द्र है। यहां पर्यटकों को मोह लेने वाले अनेक सुन्दर तीर्थ स्थान, वन, प्राचीन कलाओं से ओतप्रोत किले, महल, स्थापत्य कला के सुन्दर निर्माण स्थल आदि है। उत्तर प्रदेश का इतिहास गौरवशाली है। यहां भगवान राम, कृष्ण, गौतमबुद्ध, महावीर, संतों और महान विद्वानों, रचनाकारों, कवियों की कर्मस्थली रही है। महान ग्रन्थ रामायण और महाभारत की रचना यहीं हुई थी।
उत्तर प्रदेश भारत के हृदयस्थल में संस्कृतियों के मिलन और आस्था के संगम के अनोखे दृश्यों को समेटे एक अनूठा प्रदेश है। उत्तर प्रदेश में पूरे उप महाद्वीप की दो महान, प्राचीन नदियों गंगा और यमुना के किनारे संस्कृतियों और धार्मिक रीतियों का उद्गम हुआ। नदियों के किनारे ही गौरवशाली सभ्यताओं और नगरों का विकास हुआ है। उत्तर प्रदेश में इन नदियों के दोनों किनारों पर बसे नगरों में जिन धार्मिक, सांस्कृतिक, वैचारिक और बौद्धिक परम्पराओं का विकास हुआ है, उसने देश ही नहीं, पूरे विश्व को एक नई दिशा दी है।
पर्यटन के बहुआयामी आकर्षणों से परिपूर्ण उत्तर प्रदेश भारत का ऐसा राज्य है, जहां पर्यटन विकास के साथ-साथ निजी क्षेत्रों के लिए भी पूंजी निवेश की विपुल सम्भावनाएं विद्यमान है। यहां हर आयु, वर्ग, सम्प्रदाय, क्षेत्र के पर्यटक प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भ्रमणार्थ आते हैं। प्रदेश में वर्ष 2017 में कुल 2375.33 लाख पर्यटक आये जिनमें विदेशी पर्यटकों की संख्या 35.56 लाख है। उसी तरह प्रदेश में वर्ष 2018 में कुल 2888.60 लाख पर्यटक आये जिनमें विदेशी पर्यटकों की संख्या 37.80 लाख है। प्रयागराज के कुम्भ 2019 में 10.30 लाख विदेशी पर्यटकों सहित 24.05 करोड़ से अधिक पर्यटक भ्रमणार्थ/स्नानार्थ कुम्भ आये जो प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है।
वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति 2018 लागू करते हुए प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने, निजी उद्यमियों द्वारा सुगमता से पूंजी निवेश करने एवं पर्यटन सेक्टर के अन्तर्गत रोजगार की वृद्धि हेतु क्रियान्वयन प्रारम्भ कर दिया है। प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि पर्यटन से हर साल 5 लाख नौकरियां पैदा करने के साथ-साथ 5000 करोड़ रु0 के निवेश को आकर्षित किया जाय। घरेलू पर्यटकों में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि और विदेशी पर्यटकों में 10 प्रतिशत की वृद्धि करना है। 50 नये हेरिटेज होटल स्थापित करते हुए पर्यटकों को ठहरने की अच्छी व्यवस्था दी जा रही है। राष्ट्रीय उद्यानों और वन्य जीव अभ्यारणों को अधिक सुसम्य, सुन्दर बनाते हुए पर्यटकों को आकर्षित किया जा रहा है। इसके साथ ही पर्यावरण पर्यटन पर भी जोर दिया जा रहा है। स्थानीय स्तर पर उत्पादित वस्तुओं एवं उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे पर्यटक संबंधित क्षेत्र की उत्पादित वस्तुओं की ओर आकृष्ट होकर उनको क्रय करें और स्थानीय कारीगरों, कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिले एवं उन्हें आर्थिक लाभ हो। प्रदेश सरकार उद्यमिता को बढ़ावा देते हुए मेलों, त्योहारों, उत्सवों का आयोजन भी करा रही है।
प्रदेश सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन क्षेत्र में हुए निवेश की धनराशि से सभी पर्यटन स्थलों का विकास कर रही है। पर्यटन के लिए सरकार ने सर्किट बनाया है जिनमें रामायण सर्किट, बृज सर्किट, बौद्ध सर्किट, वन्यजीव एवं पर्यावरण पर्यटन सर्किट, बुन्देलखण्ड सर्किट, महाभारत सर्किट, शक्तिपीठ सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, सूफी/कबीर सर्किट, जैन सर्किट प्रमुख है। जो भी पर्यटक जिस क्षेत्र में जाना चाहता है वह उस क्षेत्र में जा सकता है। प्रदेश सरकार ने स्थानीय लोगों को होटल, आश्रय स्थल, खाने, घुमाने आदि के क्षेत्र में कार्य करने वालों को विभिन्न मदों में छूट भी प्रदान की है। सरकार की पर्यटन नीति से स्थानीय व प्रदेश स्तर पर काफी लोगों को रोजगार मिल रहा है और प्रदेश की व्यवस्था से पर्यटक भी खुश होकर जा रहे हैं।