पिता की बीमारी में जानी रक्त की अहमियत तो अमित बन गया ब्लड डोनेटर

रक्तदान एक ऐसा शब्द,जिसको सुनते ही मन में नई सोच व नई उर्जा का संचार होने लगता हैं।

Update: 2019-07-12 10:47 GMT

मुजफ्फरनगर। रक्तदान एक ऐसा शब्द,जिसको सुनते ही मन में नई सोच व नई उर्जा का संचार होने लगता हैं। रक्तदान एक ऐसा दान है जिसको नेत्र दान की भांति महादान की संज्ञा दी गई है। जिसमें जात पात को पीछे छोडकर जरूरतमंद व्यक्ति के लिए रक्तदान किया जाता है। रक्तदान एक ऐसा दान है। जिसमें न कोई हिन्दू है न कोई मुसलमान ऐसा ही एक व्यक्ति है अमित पटपटिया जो मतदाता जागरूकता के लिए देश के प्रमुख समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा सम्मानित किये जा चुके है। जिसने सभी तरह की मान्यताओं को पीछे छोड़कर हिन्दू-मुस्लिम,सिख-इसाई भाई भाई की मिशाल पेश करते हुए रक्तदान के लिए समर्पित युवा समिति का गठन इसलिए किया जिससे लोगों को कभी भी रक्त की कमी महसूस न हो और जब भी किसी जरूरतमंद व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता हो तो बगैर किसी समस्या के समर्पित युवा से जुडा सदस्य उसके लिए रक्त की सुविधा कर सके।


अमित पटपटिया का जन्म 24 अगस्त 1978 को सुशील कुमार के यहां मुजफ्फरनगर स्थित गांधी कालोनी में हुआ।चोैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढाई पूरी करने के बाद अमित ने अपने पिता के साथ मेडिकल स्टोर पर काम शुरू किया।अब तक 31 बार रक्तदान कर चुके अमित बताते है कि उनके पिता को किडनी की समस्या थी इसलिए उनको थोडे-थोडे दिनों बाद रक्त की आवश्यकता पड़ती रहती थी। वो ही जानते है कि रक्त की व्यवस्था वह कैसे कर पाते थे,इधर उधर बड़ी मुश्किल से रक्त की व्यवस्था हो पाती थी,तब जाकर मन में ख्याल आया कि रक्तदान समाज के लिए कितना जरूरी है। वर्ष 2007 से तन मन धन से रक्तदान के लिए समर्पित रहने वाले अमित पटपटिया अपने परिवार को भी रक्तदान के लिए हमेशा प्रेरित करते है। अपने परिवार से वह अब तक अपनी पत्नी मनी पटपटिया से भी 18 बार रक्तदान करा चुके है। अमित द्वारा दी जाने वाली प्ररेणा से प्रेरित होकर अमित के भाई डा. अनुज पटपटिया 16 बार और उनकी पत्नी मेघा पटपटिया 3 बार रक्तदान कर चुकी है। यही नहीं अमित के जीजा और बहन भी लुधियाना से मुजफ्फरनगर आकर 3 बार रक्तदान कर चुकी है।

समर्पित युवा के नाम से रक्तदान के लिए टीम बनाकर काम करने वाले अमित कहते है कि मुस्लिम युवाओ को रक्तदान के लिए अधिक से अधिक प्ररित करना ही उनका लक्ष्य है जिससे मुस्लिम युवाओ को रक्त की आवश्यकता पड़ने पर अन्य लोगों की तरह न भागना पड़े।उनका लक्ष्य प्रत्येक गांव में कम से कम 20 युवाओं को समर्पित युवा से जोड़ने का है। जिससे आवश्यकता पड़ने पर प्रत्येक गांव में कम से कम 20 समर्पित युवा रक्तदान के लिए 24 घंटे सदैव तत्पर रहे।


अब तक 14 रक्तदान कैम्प लगा चुके अमित बताते है कि जब उन्होने पहली बार रक्तदान किया था उन्होने नही सोचा था की वह समाज के लिये इतनी प्रेरणा के रूप में काम कर पायेगे। आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली,चढीगड में भी समर्पित युवा कि टीम आवश्कता पडने पर रक्तदान करती है। अमित पटपटिया ने अपने टीम समर्पित युवा को रक्तदान के लिये इतना प्रेरित किया हुआ है कि समर्पित युवा से जुडा युवा जहां भी देश के किसी भी हिस्से में काम करता है वहीं पर रक्तदान के लिये टीम बनाकर रक्तदान की व्यवस्था कराने लगते है।

                                                                   समर्पित महिला शक्ति

समर्पित महिला शक्ति महिलाओं का सदस्य ग्रुप है इस ग्रुप को संचालन अमित पटपटिया की पत्नी मनी पटपटिया करती है इस ग्रुप में 75 महिलाएं जुडी है जो रक्तदान के लिये 24 घण्टे काम कर रही है।

                                   एक दुखद हादसा जिसमें रक्तदान की मुहिम को बडा झटका दिया

दरअसल समर्पित युवा समिति के सबसे ज्यादा रक्तदान के लिये कार्य करने वाले मनप्रीत सिंह जो अब तक 37 बार रक्तदान कर चुके थे का एक दुखद रेल हादसे में देहांत हो गया मगर रक्तदान की इस मुहिम को झटका ना लगे इसके लिये समर्पित युवा के सदस्य पुलकित अग्रवाल, आशीष अरोरा व हितेश आनन्द ने वादा किया कि वो तीनो मनप्रीत की कमी को पूरा करेगें और रक्तदान की इस मुहिम को हमेशा आगे बढ़ाते रहेंगे।       


 रक्तदान के अलावा भी अमित पटपटिया सामाजिक कार्यो में भी दिया अपना योगदान

समर्पित युवा से जुडे सदस्य न सिर्फ रक्तदान के लिए ब्लकि समाज मे पडने वाली अन्य आवश्यकताओ के लिए भी कार्य करते है। कडाके की सर्दी मे गरीब बच्चो के लिए समर्पित युवा के सदस्य गली-गली घूमकर पुराने कपड़े इकट्ठा करते है जरूरत के अनुसार और गरीब बच्चों को बांटते है जिससे गरीब बच्चों को ठण्ड से राहत मिल सके। इसके अलावा समय समय पर चुनाव के दौरान मतदाता जागरूकता अभियान में भी समर्पित युवा बढचढकर हिस्सा लेते है। मुजफ्फरनगर की सड़को पर प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जो युवा देशभक्ति की भावना से सराबोर होकर दोड़ते है उस जज्बा दौड़ का आयोजन भी समर्पित युवा द्वारा ही किया जाता है प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हजारों युवा जज्बा दौड़ का हिस्सा बनते है। 

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