मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने कहा कि जैविक गन्ने से बने गुड को नई दिशा दी जायेगी। उन्होने कहा कि जैविक गुड बनाने के लिए कोल्हू संचालक प्रयास करे। उन्होने कहा कि जैविक गन्ने का उत्पाद कर जैविक गुड बनाने वाले किसानो, गुड उत्पादकों को एक समूह में जोडा जाये। जिलाधिकारी ने जिला पंचायत सभागार में कोल्हू संचालको, गुड उत्पादको व किसानों के साथ गुड को बढावा देने के उददेश्य से आयोजित बैठक के दौरान कहा कि जैविक गुड के दाम सामान्य गुड से अधिक हो इसके प्रयास किये जायेगे। शासन को भी इस बारे मे अवगत कराया जायेगा।
जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने कहा कि गुड कैमिकल फ्री होना चाहिए। उन्होने कहा कि ग्रीन गुड को भी बढावा दिया जाये। बैठक में यह तथ्य सामने आया कि 8 कुन्तल गन्ने से 1 कुन्तल गुड बनता है। उपस्थित कोल्हू संचालकों द्वारा कोल्हू पर ईधन के रूप में गैस प्रयोग किये जाने की बात रखी गई। आटोमेशन प्लांट लगाने की भी बात की गई। कोल्हू संचालक रविन्द्र प्रधान द्वारा अवगत कराया गया कि सामान्य गुड बनाने में कम से कम 3600 रूपये प्रति कुन्तल की लागत आती है जबकि बाजार में सामान्य गुड का भाव 2400 से 2600 तक जाता है। उन्होने कहा कि कम से कम गुड का मूल्य 4500 रूपय प्रतिकुन्तल तक किया जाये ओर गुड के रेट फिक्स किये जाये। सत्यप्रकाश रेशू ने कहा कि गुड के उत्पादन को बढाने के साथ उसकी क्वालिटी भी मेनटेन करनी होगी। कार्यालयों में गुड खाना लागू कराया जाये। उन्होने कहा कि सबसे अधिक नुकसान मौसम के कारण से होता है। उनहोने सुझाव दिया कि परम्परागत कोल्हू में प्रयोग होने वाली भटिटयों के साथ पर गुम्बदनुमा भट्टी का प्रयोग हो तो ईधन की खपत भी कम होगी और गुड की उत्पादकता बढने के साथ लागत में कमी आयेगी। उन्होने कहा कि गुड के उत्पादन हेतु कोल्हू या अन्य उपक्रम लगाने के लिए बैंको द्वारा लोन आसानी से मिलना चाहिए ताकि निवेशकों को कार्य करने में परेशानी न हो।
कोल्हू संचालकों ने कहा कि ऐसी तकनीक विकसित की जाये कि गुड के रस को स्टोर या प्रिजर्व करके रखा जा सके ताकि बाद में भी उसका प्रयोग किया जा सकें। उन्होने कहा कि जनपद में एक टैस्टिंग लैब खोली जाये जिसमें गन्ने के रस व गुड की टैसटिंग की जा सके। उन्होने कहा कि बाजार पर बिना कैमिकल का गुड आना चाहिए। गुड को बनाने के मानक निर्धारित किय जाये। गुड उत्पादको ने बताया कि दिल्ली एनसीआर में 10 हजार किग्रा प्रति दिन गुड की खपत है। क्रेशर लगाने की अनुमति दी जाये। नरेन्द्र सिंह ने कहा कि कोल्हू संचालकों का सस्ती दर बिजली मुहैया कराई जाये ताकि उनकी लागत कम हो और गुड के उत्पादन मे उन्हे कोई नुकसान न हो। उन्होने कहा कि खडे कोल्हू की बजाय पडा रोलर होना चाहिए ताकि अधिक रस निकल सके और गुड उत्पादन में भी बढोत्तरी हो सके। संगीता तोमर ने कहा कि एनसीआर व मैट्रो सिटी में गुड की मार्किटिग हो वहां पर भी कोल्हू लगाये जाये और सरकार इसमे सहयोग करे।
जिलाधिकारी ने कहा कि सबसे पहले गुड बिना कैमिकल के बनाया जाये। उसके रंग रूप को साफ करने के लिए किसी भी प्रकार का कैमिकल न मिलाया जाये। उन्होने कहा कि आज जैविक को बढावा मिल रहा है। इसलिए जैविक गुड बनाने पर ध्यान केन्द्रित किया जाये। उनहोने कहा कि जैविक गुड सामान्य गुड से कई गुना दाम में बिक रहा है ओर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी मार्किटिंग भी अच्छी है। मुकेश गुप्ता जो कि जैविक गुड बनाने का कार्य करते है उन्होने कहा कि जैविक गुड बनाने वालोे को मण्डी समिति में स्थान दिया जाये। उनके अलग से स्टाॅल आदि लगवाये जाये ताकि जैविक गुड उत्पादक अपनी पहचान बना सके ओर मण्डी मे जैविक गुड कि मार्कटिंग कर सके। उन्होने कहा कि जैविक गन्ना बिना रासायनिक खाद के तैयार किया जाता है। ब्रजवीर सिंह ने कहा कि जैविक गन्ने का बढावा देने के लिए उसका मूल्य 450 रूपये प्रति कुन्तल रखा जाये, क्योकि जैविक खेती में रासायनिक खेती के मुकाबले पैदावार पर फर्क पडता है जैविक में पैदावार कम होती है।
जिलाधिकारी ने कहा कि सभी 5 से 10 प्रतिशत तक जैविक गन्ने का उत्पाद करे ताकि जैविक गन्ने के उत्पादकों को गुड उत्पादकों के साथ जोडकर जैविक गुड का उत्पादन बढाया जा सके। उन्होने कहा कि अभी जनपद में जैविक गुड का उत्पादन ज्यादा नही है इसे और आगे बढाना है ताकि जैविक गुड उत्पादन में मुजफ्फरनगर को एक विशेष स्थान मिले। उनहोने कहा कि जैविक गुड का प्रयोग सरकारी कार्यालयों में कराया जायेगा। जैविक गुड बनाने वालों को प्रोत्साहित किया जायेगा। उन्होने कहा कि व्यापारी बंधुत्व इस जैविक गुड का पैकेजिंग मार्किटग कराये। उन्होने कहा कि गुड की उत्पादकता बढाने के साथ इसकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाये क्योकि जब तक गुणवत्ता ठीक नही होगी किये गये सारे प्रयास खराब हो सकते है। जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि कोल्हू संचालको, व्यापारियों को लिंकेज कराया जाये ताकि दोनो आपस मे समन्व्य कर कार्य कर सके। जिलाधिकारी ने कहा कि जैविक गन्ने व गुड का मूल्य सामान्य गन्न के मूल्य से अधिक हो इसके लिए प्रयास किये जायेगे। शासन को भी इस बाबत अवगत कराया जायेगा।
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमित सिंह, जिला विकास अधिकारी, उपायुक्त उघोग परमहंस मौर्य, जिला गन्नाधिकारी आरडी द्विवेदी, मण्डी सचिव सहित अन्य अधिकारीगण एव गुड उत्पादक, कोल्हू संचालक सहित किसान उपस्थित थे।