जल्द ही खत्म होंगे मकान मालिक और किराएदार के बीच आपसी विवाद
अब किराएदार और मकान मालिकों के आपसी विवाद को जल्दी निस्तारण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है।
लखनऊ। मकान मालिक और किराएदार के बीच अक्सर विवाद पनपते रहते हैं और इन विवादों का जल्दी से समाधान भी नहीं हो पाता। कई बार किराएदार और मालिक के बीच उत्पन्न हुआ विवाद कोर्ट की दहलीज पहुंच जाता है, जिसमें एक लंबी प्रक्रिया चलती रहती है। मगर विवाद वहीं का वहीं पर रहता है। कई बार अंत में आकर किराएदार और मालिक भी आपस में ही फैसला कर लेते हैं। अब किराएदार और मकान मालिकों के आपसी विवाद को जल्दी निस्तारण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है।
यूपी में किराएदारी विवाद संबंधी मामलों का निस्तारण किराया अधिकरण 60 दिनों के अंदर करेगा। प्रदेश भर में इसके लिए जल्द ही किराया अधिकरण के गठन संबंधी आदेश जारी किया जाएगा। किराया प्राधिकरण के फैसलों को चुनौती किराया अधिकरण में दिया जा सकेगा। अधिकरण के पास जांच कराने का अधिकार भी होगा। इसके गठन का मकसद प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में मकान मालिक और किराएदार के बीच होने वाले विवादों को तय समय में खत्म किया जाना है।
उत्तर प्रदेश में नौ अप्रैल को नगरीय परिसर किरायेदारी विनयमन (द्वितीय) अध्यादेश-2021 लागू किया गया है। इसमें किराएदार और मकान मालिक का दायित्व तय किया गया है। इस मामले की सुनवाई के लिए किराया प्राधिकरण गठन की व्यवस्था की गई है। अब न्यायिक व्यवस्था के लिए किराया अधिकरण के गठन संबंधी अधिसूचना जल्द जारी करने की तैयारी है। किराया अधिकरण का अध्यक्ष जिला जज होगा या उसके द्वारा नामित अपर जिला न्यायधीश होगा। किराया प्राधिकरण के फैसलों को चुनौती इसमें दी जा सकेगी।
भू-स्वामी या किराएदार शपथ पत्र और दस्तावेजों के आधार पर किराया अधिकरण में अपील दायर करने का हकदार होगा। इसके आधार पर किराया अधिकरण विरोधी पक्षकार को नोटिस जारी करेगा। विरोधी पक्षकार आवेदक को उसकी एक प्रति तामील कराने के पश्चात शपथ-पत्र और दस्तावेजों यदि कोई हो के साथ उत्तर दाखिल करेगा। किराया अधिकरण को जांच कराने का भी अधिकार होगा। तय समय में मामले का निस्तारण न होने पर किराया अधिकरण को इसके लिए स्थिति स्पष्ट करनी होगी। किराया अधिकरण को भू-स्वामी व किराएदार को नोटिस ई-मेल, व्हाट्सएप, एसएमएस या अन्य मान्यता प्राप्त इलेक्ट्रानिक माध्यम से तामील कराना होगा। किराया अधिकरण जांच कराने के लिए कम से कम 24 घंटे का नोटिस जरूर देगा। किराया अधिकरण जहां किराया न्यायसंगत या उचित न होने पर इस्तावेज की मांग करेगा। इस सुनवाई के दौरान किसी दस्तावेज को एक से अधिकार बार दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।