आजादी की लड़ाई में जैन समाज का बलिदान अद्वितीय रहा है- गौरव जैन

गोष्टी कार्यक्रम में वक्ताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में जैनो की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि इतिहास साक्षी है

Update: 2023-08-15 13:15 GMT

मुजफ्फरनगर। जैन एकता मंच राष्ट्रीय ने भी समस्त देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस के लिये शुभकामनाएं दी गोष्टी कार्यक्रम में वक्ताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में जैनो की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि इतिहास साक्षी है। जैन अपनी वसुंधरा-मातृभूमि-संस्कृति व देश को बचाने के लिये सदैव रणभूमि में खड़े हुये हैं तथा स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले हमारे जैन पूर्वजों का इतिहास अद्वितीय है। 

जैन एकता मंच युवा शाखा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव जैन ने यह भी बताया कि हमारे पूर्वज सत्य का पर्याय थे जो जैनी ने गवाही दे दी वही उस समय सत्य हो जाया करती थी व आजादी की लड़ाई में जैनो का बलिदान अद्वितीय है। मौके पर मौजूद जैन समाज के सम्भ्रांत लोगो ने अनेको घटनाओ की चर्चा भी की, जिसमे आजादी के राजनैतिक इतिहास की अविस्मरणीय घटना 1857 की। इसमे दो अमर जैन शहीद लाला हुक़ूमचन्द जैन और अमर चंद बांठिया हुए। वीर शहीद लाला हुकुमचंद जैन 11 जनवरी 1857 को उनके मकान के सामने कृतम तरीके से फांसी दे दी गई व वीर शहीद अमरचंद बांठिया जब का समर जोरो पर था तब ग्वालियर राज्य के कोषाध्यक्ष अमर चंद बांठिया ने 1857 के समर में झूझ रहे क्रांतिकारियो को सहायता दी थी। इसी कारण 22 जून 1858 को को ग्वालियर में झूठे राजद्रोह के अपराध में आप को फांसी दे दी गई थी। इसी प्रकार वीर शहीद मोतीचंद शाह जब अंग्रेजों भारत छोड़ो जैसे नारे लग रहे थे। उस समय शाह सार्वजनिक मंचो से औपनिवेशिक स्वराज्य’ की मांग रखते थे, जिन्होंने जेल में 10 उपवास भी किये थे।

उन्होंने कहा कि वीर शहीद सिंघई प्रेमचंद जैन दिसम्बर 1933 में पूज्य महात्मा गांधी का दमोह में जब आगमन हुआ, आपके भीतर गांधी जी का भाषण सुन ऐसी देश भक्ति जगी की आप खादी’ के प्रचार में लग गये और तब आप को जेल में जहर देकर छोड़ दिया। मरने के लिये इसी कड़ी में शहीद वीर सताप्पा टोपणणावर’ 16 वर्ष की उम्र में आपने असहयोग आंदोलन शुरू किया, कई बार जेल गए व सिंह गर्जना के साथ अंग्रेजों को जबाब दिया और आप को गोली मार दी गई आप शहीद हो गए।

वक्ताओं ने यह भी बताया कि अमर शहीद वीर उदय चंद जै शहीद भगतसिंह और चंदशेखर आजाद को बहुत मानते थे आप छोटी सी उम्र में भी पुलिस से कभी नही डरे अंग्रेजो द्वारा आप की सभा पर लाठीचार्ज हुआ व आप भी शहीद हुए इनके अलावा वीर शहीद साबूलाल जैन जी बैसाखिया’ गढ़ाकोटा जिला सागर, जिसमे बुंदेलखंड के हृदय स्थल आजादी की लड़ाई से अछूता नही रहा। आप अपने 5 साथियो साथ तिरंगा झंडा लिए आगे बढ। आप सभी ने यूनियन जेक निकालकर तिरंगा लगाने की कोशिश की सामने से धांय धांय गोलियां चली आप सभी शहीद हो गए। जैन महिलाएं भी बलिदान में पीछे नही रही, जिनमे अमर शहीद कुमारी ज्यावती संघवी मुख्य नाम है आप एक बार बाल उम्र में ही जुलूस का नेतृत्व कर रही थी। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े जिसमे आप शहीद हो गई। इन सभी शहीदो की सूची में अमर शहीद अण्णा पन्नावले, अमर शहीद मगनलाल ओसवाल, वीर अमर शहीद भूपाल अणसकुरे, अमर शहीद कंधीलाल जैन, अमर शहीद मुलायम चंद जैन, अमर शहीद चौधरी भैयालाल’ जिला दमोह, अमर शहीद चौथमल भंडारी , अमर शहीद भूपाल पंडित, अमर शहीद भारमल जैन आदि ने भी स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़ का भागेदारी की व कुर्बानियां दी। इस सभी महान क्रांतिकारी बलिदानियों के द्वारा वक्ताओं ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में जैनो की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जैन धर्मावलम्बियों ने बढ़चढ़ आंदोलनों में हिस्सा लिया व तन, मन, धन से सहयोग दिया। जैन धर्मावलंबियों के बलिदान को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नही किया जा सकता।

गोष्ठी में विप्लव जैन, अंकुर जैन, मुदित जैन, अजय जैन, रोहित जैन, डॉ अमित जैन, आशीष जैन, अश्वनी जैन, पुनीत जैन, शुभम जैन, सुनील जैन, नितिन जैन आदि मौजूद रहे।

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