भड़काऊ भाषण मामला-चार्ज पर बहस पूरी-24 सितंबर को आदेश
जिला सरकारी वकील डीजीसी राजीव शर्मा ने कहा कि मामले में सभी गवाह और शिकायतकर्ता मुकर गए है
मुजफ्फरनगर। वर्ष 2013 में हुए दंगों से पूर्व मुजफ्फरनगर के खालापार में आयोजित जलसे में भड़काऊ भाषण दिए जाने के मामले में लगाए गए चार्ज पर न्यायालय में आज बहस पूरी हो गई है। अदालत की ओर से चार्ज पर आदेश के लिए अब 24 सितंबर की तिथि नियत की गई है।
मंगलवार को जनपद न्यायालय में एमपी-एमएलए विशेष अदालत में वर्ष-2013 में जनपद भर में हुए दंगों से पूर्व जिला मुख्यालय के मोहल्ला खालापार में आयोजित किए गए जलसे में भड़काऊ भाषण दिए जाने के मामले की सुनवाई में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपना-अपना पक्ष रखते हुए बहस की। अधिवक्ताओं की बहस पूरी होने के बाद एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट के जज गोपाल उपाध्याय ने चार्ज पर आदेशों के लिए आगामी 24 सितंबर की तिथि नियत की है।
विशेष एमपी एमएलए अदालत में मंगलवार को मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट के पूर्व सांसद कादिर राणा, प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री सईदुजमां, उनके पुत्र सलमान सईद, मीरापुर सीट से विधायक रहे मौलाना जमील और पूर्व सभासद असदजमां आदि समेत कुल 8 लोग न्यायालय के सम्मुख पेश हुए। पूर्व विधायक नूर सलीम राणा एवं इस मामले में आरोपी नौशाद आज न्यायालय में पेश नहीं हो सके। उनकी ओर से हाजिरी माफी दी गई थी। गौरतलब है कि इससे पूर्व सोमवार को स्थानीय अदालत ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी 20 लोगों को बरी कर दिया था। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बाबूराम ने सोमवार को उन्हें यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ सबूत देने में विफल रहा है। जिला सरकारी वकील डीजीसी राजीव शर्मा ने कहा कि मामले में सभी गवाह और शिकायतकर्ता मुकर गए है।
अतिरिक्त जिला सरकारी वकील एडीजीसी नरेंद्र शर्मा ने विवरण देते हुए कहा कि कुटबी गांव निवासी सिराजुद्दीन ने 8 सितंबर, 2013 को शाहपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि भीड़ ने उनके घरों को जला दिया और उन्हें मारने की कोशिश की, साथ ही उनका कीमती सामान भी लूट लिया। इस मामले की सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई।
सूत्रों के अनुसार, पिछले आठ वर्षों में, 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े हत्या, दुष्कर्म, डकैती और आगजनी से जुड़े 97 मामलों में 1,117 लोगों को सबूतों के अभाव या गवाहों के मुकर जाने के कारण बरी कर दिया गया है। पुलिस ने दंगों के सिलसिले में 510 मामले दर्ज किए और 1,480 लोगों को गिरफ्तार किया था। जांच के बाद एसआईटी ने 175 मामलों में चार्जशीट दाखिल की।
मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान कम से कम 60 लोग मारे गए और 50,000 से अधिक विस्थापित हुए थे।