19 साल की युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म पर सीएम जवाब दें : कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है ।

Update: 2020-09-29 10:19 GMT

नयी दिल्ली कांग्रेस ने हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म की घटना को उत्तर प्रदेश में कानून -व्यवस्था ध्वस्त होने का प्रमाण बताते हुए दोषियों को शीघ्र सख्त सजा देने की मांग की और कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस पर जवाब देना चाहिए।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है और अपराघियों का भय खत्म हो गया है। अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं लेकिन राज्य सरकार उनके खिलाफ चुप बैठी है। हाथरस के एक गांव में 19 साल की युवती के साथ जघन्य अपराध हुआ है और योगी आदित्यनाथ को इस पर जवाब देना होगा।

उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभा में भी अपराघियों का बोलबाला है। विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के कुल 312 विधायक हैं जिनमें से 37 प्रतिशत के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं और 80 से जयादा के खिलाफ जघन्य अपराध के मामले है। ऐसे जघन्य अपराघ करने वाले जनप्रतिनिधियों के रहते हुए किसी राज्य में बेटियां कैसे सुरक्षित रह सकती हैं।

उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ अपराध का आंकड़ा देते हुए उन्होंने कहा कि 2018 के एक डाटा के अनुसार राज्य में हर रोज 12 बलात्कार की घटनाएं, 36 महिलाओं के साथ बदसलूकी और 46 का अपहरण हुआ है। उनका कहना था कि यह दो साल पुराना आंकड़ा है और इसे देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आज स्थिति कितनी खतरनाक होगी। घटना के दोषियों को शीघ्र सख्त सजा देने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि इस बर्बरतापूर्ण और पाश्विक घटना है इसलिए मामले को लेकर न्यायालय में तारीख पर तारीख नहीं पडनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि हाथरस की युवती के साथ बर्बरता की सारे हद पार हुई हैं। अपराधियों ने उसे मारा पीटा ही नहीं बल्कि उसकी जीभ भी काटी गयी तथा उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गयी। युवती 12 दिन से लगातार बात करने की कोशिश करती रही लेकिन अंत में जीवन की जंग हार गयी। इस अपराध को बर्बरता करार देते हुए उन्होंने कहा कि बच्ची को चार लोगों ने घास काट रही मां के साथ से खींचा और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।

कांग्रेस प्रवक्ता ने इस बात पर हैरानी जतायी कि इस घटना पर आठ दिन बाद सूचना दर्ज की गयी। इससे बड़ी हैरानी की बात यह है कि मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार और आगरा के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इसे फर्जी खबर बताया और इस संबंध आधिकारिक तौर पर सूचना भी जारी की। पुलिस ने इस मुद्दे पर कार्रवाई करने की बजाय मामले को दबाने के लिए लीपापोती करने का प्रयास किया।

उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने यदि समय पर कार्रवाई की होती तो उसकी मौत नहीं होती । उसे तत्काल एम्स दिल्ली भेज दिया गया होता तो शायद वह बच जाती। उन्होंने कहा कि यह जघन्य अपराध है लेकिन इस पर पुलिस ने आठ दिन तक चुप्पी साधे रखी

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