क्या फिर टल सकता है निकाय चुनाव का मामला - हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
आयोग की पूरी रिपोर्ट को कोर्ट में तलब कर फिर से निकाय चुनाव पर असमंजस बना दिया है।
लखनऊ। ट्रिपल टेस्ट फार्मूले को लेकर उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव का रास्ता तब साफ होता दिखाई दिया जब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव कराने को हरी झंडी दे दी थी लेकिन आज हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पिछड़ा वर्ग आयोग की पूरी रिपोर्ट को कोर्ट में तलब कर फिर से निकाय चुनाव पर असमंजस बना दिया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव दिसंबर 2022 में होने थे लेकिन जैसे ही सरकार की तरफ से अध्यक्ष पद के आरक्षण की सूची जारी हुई। उसको लेकर कई लोगों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट के बाद इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वह पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए एक आयोग बनाकर उसकी रिपोर्ट के आधार पर निकाय चुनाव में अध्यक्ष पद का आरक्षण लागू करें।
उत्तर प्रदेश सरकार ने आयोग का गठन किया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी तो सरकार ने उस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया था। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को चुनाव कराने के आदेश दे दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने फिर से अध्यक्ष पद के आरक्षण की सूची जारी की। जिसके बाद आज लखनऊ की हाईकोर्ट बेंच ने पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को लेकर दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आयोग की पूरी रिपोर्ट कोर्ट में तलब की है। अब इस मामले में कल फिर से हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई होगी। हाई कोर्ट में जस्टिस राजन राय और मनीष कुमार की बेंच कल सुनवाई के बाद क्या फैसला देती है। इसको लेकर स्थानीय निकाय चुनाव पर फिर से असमंजस के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं।