ऑपरेशन क्लीन के तहत 160 आईपीएस व पीपीएस अफसर सरकार के राडार पर

उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने ऑपरेशन क्लीन के तहत 364 पुलिस अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के बाद अब सूबे के 160 आईपीएस व पीपीएस अफसरों की सूची बनाकर उनकी ओर नजरे टेढ़ी कर ली हैं

Update: 2019-07-18 13:49 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने ऑपरेशन  क्लीन के तहत 364 पुलिस अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के बाद अब सूबे के 160 आईपीएस व पीपीएस अफसरों की सूची बनाकर उनकी ओर नजरे टेढ़ी कर ली हैं। सूत्रों की मानें तो जल्द ही उनके ऊपर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की गाज गिर सकती है। योगी सरकार ने ये फैसला विभाग में कार्यरत अफसरों व कर्मचारियों द्वारा अपने पचास साल की कारगुजारियों के आधार पर किया है। इसी आधार पर सरकार ने काफी अधिकारियों और कर्मचारियों की पदोन्नति को भी रोका है। पुलिस विभाग के सूत्रों की मानें तो पिछले एक वर्ष में निरीक्षक रैंक के 870 अफसरों को दण्डित किया जा चुका है। इसके साथ ही इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के पुलिस विभाग में छः हजार नियुक्तियां की जायेंगी, जिनमें 573 उपनिरीक्षक व 209 निरीक्षक के पद शामिल हैं।

ज्ञात हो कि सूबे की योगी सरकार ने सभी विभागों के कार्योंमें पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार पर वार करने के लिए ऑपरेशन क्लीन आरम्भ किया था, इसके तहत 50 साल की सेवा पूरी कर चुके काफी अधिकारियों व कर्मचारियों को उनके खराब रिकार्ड के कारण जबरन रिटायरमेंट दे दिया है। इसी कड़ी में अब योगी की नजर पुलिस विभाग की ओर गयी है। सरकार ने अभी तक पुलिस विभाग के 364 अधिकारियों व कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान कर दी है। इसके बाद अब प्रदेश के 160 आईपीएस और पीपीएस अफसर उनके राडार पर हैं। सूत्रों की मानें तो अपनी पचास साल की नौकरी में खराब ट्रैक रिकार्ड वाले 160 आईपीएस व पीपीएस अफसरों की सूची बनायी जा चुकी है। अब जल्दी ही इन पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की गाज गिर सकती है।

बता दें कि अब तक पुलिस विभाग के जिन अनुशासनहीन, लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों की स्क्रिनिंग करके 364 को जबरन रिटायरमेंट दिया गया है, उनमें 11 इंस्पैक्टर, 8 सहायक पुलिस उपनिरीक्षक, 200 आरक्षी व समकक्षों समेत 57 उपनिरीक्षक या उनके समकक्ष शामिल हैं।

सूत्रों की मानें तो पिछले दो साल में करीब 600 अधिकारियों पर कार्यवाही की गयी है, इनमें बिजली विभाग के 169, पंचायती राज विभाग के 25, अधिकारी बेसिक शिक्षा के 26 और लोक निर्माण विभाग के 18 अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं। विगत दिनों सचिवालय प्रशासन विभाग के कामकाज की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकार में भ्रष्ट अधिकारियों और स्टाफ की कोई जगह नहीं है । ऐसे अधिकारियों को जबरन वीआरएस देना चाहिए।

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